उदयपुर के गोगुंदा थाना क्षेत्र में हाल ही में दो फार्म हाउसों पर छापे के दौरान रेव पार्टी और वेश्यावृत्ति (Rave party and prostitution) के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ। इस मामले में पुलिस ने 28 आरोपियों को गिरफ्तार किया (Police arrested 28 accused) था, जिनमें 10 युवतियां और 18 युवक शामिल (10 girls and 18 youths included) थे। सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान स्थानीय अदालत ने आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अदालत के फैसले में जज बृजपाल दान चारण ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रकार के कृत्यों से न केवल समाज में अनैतिकता बढ़ती है, बल्कि यह राज्य और विशेष रूप से उदयपुर की छवि को भी धुमिल करता है। जमानत अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि इस गंभीर अपराध के लिए आरोपियों को जमानत देना न्यायसंगत नहीं होगा।
पुलिस ने कार्रवाई कर की पूछताछ
पुलिस ने गोगुंदा थाना क्षेत्र के माताजी का खेड़ा स्थित पियाकल प्रियांक पीपी फार्म हाउस पर शनिवार रात 1 बजे छापा मारा था। वहीं, दूसरी टीम ने रविवार सुबह 3ः30 बजे खुमानपुरा स्थित द स्काई साइन हॉलिडे होम फार्म हाउस पर कार्रवाई की। दोनों फार्म हाउसों के बीच की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर थी। पुलिस ने इस ऑपरेशन में करीब 13 घंटे बिताए, जिसमें युवतियों और युवकों से पूछताछ की और आवश्यक जानकारी जुटाई गई। इस दौरान पुलिस ने 10 युवतियों और 18 युवकों को गिरफ्तार किया।
रेव पार्टी का ऐसे हुआ खुलासा
रेव पार्टी के आयोजन में हिस्सा लेने के लिए प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपए की एंट्री फीस रखी गई थी। पुलिस ने पहले इस पार्टी की जानकारी की पुष्टि की और फिर सटीक समय पर दबिश दी। जब पुलिस फार्म हाउस में पहुंची, तो वहां तेज म्यूजिक बज रहा था और एक हॉलनुमा कमरे में युवतियां अश्लील कपड़ों में डांस कर रही थीं। इस दौरान, वहां मौजूद युवक उन पर पैसे उड़ा रहे थे। पुलिस ने मौके से एक गुजरात नंबर की कार भी बरामद की, जो इस घटनाक्रम से जुड़ी थी।
जमानत पर अदालत का फैसला और समाज पर प्रभाव
जमानत अर्जी खारिज करते हुए जज बृजपाल दान चारण ने अपनी टिप्पणी में यह कहा कि इस तरह के कृत्य न केवल समाज में नशे की प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं, बल्कि अनैतिकता का वातावरण भी बनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के अपराध राज्य और उदयपुर की छवि को विश्व स्तर पर धुमिल करते हैं। इस मामले में आरोपियों का अपराध गंभीर था, और इसलिए उन्हें जमानत दी जाना न्यायिक दृष्टि से उचित नहीं था।
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आरोपियों का बचाव और कोर्ट में दलील
इस मामले में आरोपियों के वकील ने जमानत की अर्जी दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि आरोपियों को झूठा फंसाया गया है। वकील का कहना था कि प्रार्थी गरीब हैं और न्यायिक अभिरक्षा में रहने के कारण उनके परिवार की स्थिति बेहद खराब हो जाएगी। वकील ने अदालत से जमानत की अपील करते हुए यह भी कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप गलत हैं और उन्हें जल्द रिहा किया जाना चाहिए।