राजस्थान में खनन उद्योग और निर्माण क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 4 दिसंबर को नई खनन और एम-सैंड नीति 2024 (New Mining and M-Sand Policy 2024) जारी करेंगे। यह नीति खनन प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के साथ-साथ रोजगार, राजस्व, और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। जयपुर में मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित होने वाले इस लॉन्च कार्यक्रम में आठ अन्य नीतियों के साथ इसे जारी किया जाएगा।
खनिज नीति, विकास की नई दिशा
नई खनिज नीति में खनिज खोज, खनन और प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्राथमिकता दी गई है। खनिज खोज कार्य में तेजी लाने, खनिज रियायतों के आवंटन को सुगम बनाने, खनन क्षेत्रों के विकास और अवैध खनन पर जीरो टॉलरेंस की नीति (Zero tolerance policy on illegal mining) अपनाने का प्रावधान किया गया है।
इस नीति के तहत जीडीपी में खनिज क्षेत्र की हिस्सेदारी को 2029-30 तक 5ः और 2046-47 तक 6-8ः तक बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके लिए खनिज ब्लॉकों की प्री-एम्बेडेड अनुमतियों के साथ नीलामी की जाएगी और खनन प्रक्रिया में नवीनतम तकनीकों का समावेश होगा।
एम-सैंड नीति, निर्माण क्षेत्र में बदलाव
राजस्थान एम-सैंड नीति का उद्देश्य बजरी के सस्ते और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में एम-सैंड के उपयोग को बढ़ावा देना है। एम-सैंड इकाइयों की स्थापना के लिए 3 साल के अनुभव, 3 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और टर्नओवर की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।
इसके अलावा, सरकारी और वित्त पोषित निर्माण परियोजनाओं में बजरी की मांग के 25ः हिस्से को एम-सैंड से पूरा करना अनिवार्य किया गया है। इस नीति के तहत एम-सैंड इकाइयों को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2024 (Rajasthan Investment Promotion Scheme-2024) के तहत विशेष लाभ दिए जाएंगे।
खनिज क्षेत्र में रोजगार और राजस्व का विस्तार
राज्य सरकार ने खनिज क्षेत्र से सालाना राजस्व को वर्तमान 7,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, खनन क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार (Direct and indirect employment) के अवसरों को 35 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ तक पहुंचाने की योजना है। पॉलिसी के तहत जनजातीय क्षेत्रों और स्थानीय निवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
पारदर्शिता और प्रक्रिया का सरलीकरण
नीति में नीलामी प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए खनिज ब्लॉकों की प्री-एम्बेडेड अनुमतियों का प्रावधान है। इसके साथ ही, नीलामी के बाद की औपचारिकताओं को पूरी करने के लिए विभागीय सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए जियो-फेंसिंग, जीपीएस ट्रैकिंग, और आरएफआईडी चेकपोस्ट जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
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पर्यावरण संरक्षण जिम्मेदारी
खनन क्षेत्र में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और सस्टेनेबल माइनिंग को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक दायित्व को नीति का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है। नई खनन और एम-सैंड नीति, राजस्थान को खनन और निर्माण क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के साथ-साथ पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करेगी। सरकार की यह पहल आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों का बेहतरीन उदाहरण है।