तेल उत्पादन और आपूर्ति के परिदृश्य में 2025 में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के बावजूद अगले वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की जरूरत से ज्यादा आपूर्ति होने की संभावना (Possibility of excess supply of crude oil in the international market) है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEEA) की दिसंबर में जारी ऑयल मार्केट रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की गई है।
ओपेक की कटौती के बावजूद अतिरिक्त आपूर्ति का अनुमान
IEEA की रिपोर्ट के अनुसार, ओपेक (OPEC) के सदस्य देशों द्वारा उत्पादन में स्वैच्छिक कटौती की नीति के बावजूद 2025 तक वैश्विक बाजार में रोजाना 9,50,000 बैरल अतिरिक्त कच्चे तेल की आपूर्ति हो सकती है। यह स्थिति तब और गंभीर हो सकती है जब मार्च 2025 के बाद ओपेक सदस्य उत्पादन कटौती को समाप्त करना शुरू करेंगे। इस स्थिति में, अतिरिक्त आपूर्ति बढ़कर 14 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंचने का अनुमान है।
आईईए ने इस आपूर्ति की अनिश्चितता पर भी टिप्पणी की है। रिपोर्ट के अनुसार, ओपेक के सदस्य देशों का सामूहिक उत्पादन उनके निर्धारित लक्ष्यों से अधिक रहा है। नवंबर 2024 में, उत्पादन लक्ष्य से लगभग 6,80,000 बैरल प्रतिदिन अधिक कच्चे तेल का उत्पादन (crude oil production) किया गया।
भारत के लिए अनुकूल स्थिति
IEEA की यह रिपोर्ट भारत के लिए सकारात्मक संकेत दे रही है। भारत अपनी कच्चे तेल की कुल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है। अतिरिक्त आपूर्ति का मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में गिरावट की संभावना (Possibility of fall in prices in the international market) बढ़ सकती है, जिससे भारत को आर्थिक लाभ होगा।
लीबिया, सूडान और कजाकिस्तान का योगदान
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर लीबिया, दक्षिण सूडान और सूडान (Libya, South Sudan and Sudan) अपने मौजूदा उत्पादन स्तर को बनाए रखते हैं और कजाकिस्तान (kazakhstan) के तेंगिज़ फील्ड का विस्तार कार्य 2025 में पूरा हो जाता है, तो ओपेक देशों का उत्पादन और अधिक बढ़ सकता है।
गैर-ओपेक देशों का दबदबा
ओपेक देशों के अलावा, गैर-ओपेक देशों का वैश्विक तेल आपूर्ति में दबदबा (Non-OPEC countries dominate global oil supply) बना रहेगा। अमेरिका, ब्राजील, कनाडा, गुआना और अर्जेंटीना (America, Brazil, Canada, Guiana and Argentina) जैसे देश 2025 में तेल और प्राकृतिक गैस तरल उत्पादन में रोजाना 11 लाख बैरल की वृद्धि कर सकते हैं।
सऊदी अरब और अरामको का प्रभाव
सऊदी अरब की ऊर्जा नीति (Saudi Arabia’s energy policy) भी इस आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अरामको की जाफूरा गैस परियोजना, जो अगले महीने शुरू होने जा रही है, सऊदी अरब की NGL (प्राकृतिक गैस तरल) आपूर्ति को बढ़ावा देगी।
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वैश्विक मांग पर सवाल
हालांकि, तेल की मांग को लेकर 2025 एक बड़ा सवाल बना हुआ है। भले ही उत्पादन और आपूर्ति में वृद्धि के संकेत हैं, लेकिन वैश्विक मांग में किसी भी अप्रत्याशित बदलाव से बाजार पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ता उपयोग, स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ते रुझान और वैश्विक नीतियां तेल की मांग पर असर डाल सकती हैं।