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सरकार के आदेश को बेतुका बताते हुए निजी स्कूल संचालक आखिर क्यों है प्रदर्शन करने को मजबूर?

Why are private school operators forced to protest, calling the government's order absurd?

जिला कलक्टर, माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय पर प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन

बूंदी। गैर सरकारी विद्यालयों के सबसे बड़े संगठन स्कूल शिक्षा परिवार के बैनर तले प्रारंभिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किए गए बेतुके आदेशों एवं सरकार द्वारा किए जा रहे भेदभाव के विरोध में जिला कलक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक को प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। गैर सरकारी विद्यालयों में हो रहे सरकारी भेदभाव को बंद करने एवं विभाग द्वारा जारी आदेशों को निरस्त करने की मांग (Demand to cancel the orders) की।

जिलेभर से आए स्कूल शिक्षा परिवार के बैनर तले सैकड़ों गैर सरकारी विद्यालय संचालकों ने ज्ञापन में बताया कि 21 फरवरी को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक द्वारा गैर सरकारी विद्यालयों में बीस बिंदुओं पर निरीक्षण करने का आदेश जारी (Inspection order issued) किया है। जिसे निरस्त करने की मांग करते हुए बताया कि विभाग द्वारा आरटीई भौतिक सत्यापन के समय सभी विद्यालयों में निरीक्षण किया जाता है। शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार ही गैर सरकारी विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी बेतुके आदेशों से इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा।

स्कूल संचालकों ने राज्य सरकार द्वारा गैर सरकारी विद्यालयों के साथ भेदभाव का आरोप (Allegation of discrimination against non-government schools) लगाते हुए बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संस्थाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चल रही है। जिनमें निशुल्क साइकिल वितरण, लेपटॉप वितरण, विभिन्न छात्रवृत्तियों से गैर सरकारी विद्यालयों के बच्चों को वंचित कर दिया है। जिनका लाभ गैर सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों को नहीं मिल रहा है। सरकार द्वारा आरटीई में अध्ययनरत सैकड़ों बच्चों का पुनर्भरण भुगतान भी समय पर नहीं दिया जा रहा है। जबकि सरकार द्वारा आरटीई पुनर्भरण भुगतान के लिए बजट आवंटित कर दिया है। दर्जनों स्कूल को दो से तीन साल में भी आरटीई भुगतान नहीं हुआ (RTE has not been paid even in three years) है। जिसके कारण गैर सरकारी विद्यालयों संचालकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। माध्यमिक बोर्ड परीक्षाओं में सत्रांक भेजने के नियमों में किए गए बदलाव से भी गैर सरकारी विद्यालय सहमत नहीं हैं।

उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया कि सरकार की सौ दिवसीय कार्ययोजना में निरीक्षण होंगे। जबकि कार्ययोजना में स्कूलों से जुड़े 36 बिंदुओं में से गुड टच बेड टच पर निरीक्षण करना बताया है। उन्होंने बताया कि जिले का एक भी गैर सरकारी विद्यालय शिक्षा विभाग द्वारा कराए जा रहे बेतुके निरीक्षण को नहीं करवाएंगे। इस दौरान जिला कलक्टर कार्यालय के बाहर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। उसके बाद वाहन रैली निकालते हुए जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यालय पर जाकर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा।

इस दौरान स्कूल शिक्षा परिवार जिला प्रभारी दिलीप सिंह हाड़ा, जिलाध्यक्ष श्योजी लाल गुर्जर, प्रदेश प्रतिनिधि अजीत सिंह चौहान, जिला उपाध्यक्ष छोटूलाल बाथरा, रघुनाथ कुमावत, मदनलाल कुमावत, भगवती प्रसाद शर्मा, भगवान सिंह राठौड, दीनबंधु गौतम, अर्पित रावत, मेघराज जैन, हिण्डोली अध्यक्ष प्रमोद जोशी, नैनवां अध्यक्ष अनिल कुमार रंगीला, इंद्रगढ़ अध्यक्ष सत्यनारायण प्रजापत, बूंदी अध्यक्ष राधेश्याम प्रजापत, लाखेरी अध्यक्ष गोविंद सैनी, केशवरायपाटन अध्यक्ष महेंद्र सिंह हाड़ा, नरेंद्र कुमावत, ज्ञानप्रकाश गर्ग, गंगाधर शर्मा,प्रदीप गुप्ता सहित सैकड़ों स्कूल संचालक मौजूद रहे।

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प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी ने मांगो को लेकर दिया ज्ञापन
बतादें, इससे एक दिन पहले प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश की पालना करते हुए आरटीई का समस्त बकाया भुगतान गैर-सरकारी विद्यालयों को तत्काल प्रभाव से दिलवाने एवं प्राइवेट स्कूलों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने, उनकी समस्याओं के समाधान किए जाने की मांगो को लेकर जिलाध्यक्ष कविता जैन के नेतृत्व में निजी स्कूल संचालको ने जिला कलेक्टर, संयुक्त निदेशक और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया।

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