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Arhar Farming Tips: अरहर की खेती से 5 साल तक कमायें मुनाफा, जानें बुवाई का सही तरीका

Arhar Farming Tips: Earn profit from Arhar cultivation for 5 years, know the right method of sowing.

Arhar Farming Tips: भारत में अरहर दाल का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है। यह दाल न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसमें कैल्शियम, आयरन और अन्य आवश्यक पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अरहर की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है और सही तकनीक का उपयोग करके किसान इसका लंबे समय तक लाभ उठाकर मालामाल (Get Rich By Taking Advantage) हो रहे हैं। यहां हम बता रहे हैं कि कैसे अरहर की खेती से अधिकतम मुनाफा कमाया जा सके।

अरहर की नई किस्म, पन्त अरहर 291

बहराइच कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉक्टर शैलेंद्र सिंह के अनुसार, पारंपरिक अरहर की प्रजातियों को पकने में लगभग 260-250 दिन का समय लगता था, जिसके कारण किसानों को सालभर इंतजार करना पड़ता था और खेत खाली न होने से वे दूसरी फसल नहीं ले पाते थे। इस समस्या का समाधान पन्त अरहर 291 (Pant Arhar 291) नामक एक नई किस्म है, जो मात्र 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की मदद से किसान छह महीने में फसल प्राप्त कर सकते हैं और तुरंत दूसरी फसल जैसे गेहूं की बुवाई कर सकते हैं, जिससे खेत का उपयोग अधिकतम रूप में किया जा सकता है।

अरहर की बुवाई का सही समय

अरहर की बुवाई (sowing of pigeon pea) का समय बहुत महत्वपूर्ण है। जल्दी पकने वाली प्रजातियों की बुवाई जून के पहले पखवाड़े में की जाती है, जबकि देर से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई जून के दूसरे पखवाड़े में करनी चाहिए। बुवाई के लिए सीड ड्रिल या हल के पीछे चोंगा बांधकर पंक्तियों में बीज बोना चाहिए।

भूमि का चुनाव और तैयारी

अरहर की फसल के लिए दोमट या अधिक स्फुर युक्त मिट्टी (Loamy or high phosphorus soil for pigeon pea crop) सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल ज्यादा पानी सहन नहीं कर सकती, इसलिए खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था आवश्यक है। बेहतर उत्पादन के लिए मिट्टी की तैयारी भी बहुत महत्वपूर्ण है। खेत में 2-3 बार हल चलाकर और बखर से बुवाई करनी चाहिए। साथ ही, जमीन को समतल और खरपतवार मुक्त रखना चाहिए। इससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा और उत्पादन अधिक होगा।

उर्वरक और पोषण

अरहर की फसल के लिए खेत की उर्वरता और पोषक तत्वों का संतुलन (Field fertility and nutrient balance) महत्वपूर्ण होता है। उच्च उर्वरता वाली भूमि में अरहर की फसल अच्छी तरह से पनपती है। बुवाई से पहले जैविक खाद और नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उपयोग करें, जिससे पौधे मजबूत और स्वस्थ बनें। इसके अलावा, फसल को बढ़ाने के लिए आवश्यक खनिज तत्व भी प्रदान करना आवश्यक है।

जल प्रबंधन

अरहर की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए बारिश के मौसम में खेत में जल निकासी का ध्यान रखें। पानी का ठहराव अरहर की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे पैदावार पर असर पड़ेगा। ऊंची जमीन या मेड बनाकर बुवाई करना इस फसल के लिए फायदेमंद साबित होता है।

कीट और रोग प्रबंधन

अरहर की खेती के दौरान कीट और रोगों से बचाव भी जरूरी है। फसल को कई प्रकार के कीटों और रोगों का सामना करना पड़ता है, जिनसे पैदावार में कमी आ सकती है। जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें और समय-समय पर फसल की जांच करें। यदि कोई समस्या दिखे तो तुरंत कृषि विशेषज्ञ (Agricultural expert) की सलाह लें।

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कटाई और भंडारण

फसल तैयार होने के बाद उसे तुरंत काटना जरूरी है। कटाई के बाद दाल को अच्छे से सूखा लें और फिर सुरक्षित स्थान पर भंडारण करें। अरहर को सूखे और ठंडे स्थान पर रखने से इसकी गुणवत्ता बनी रहती है और लंबे समय तक इसे सुरक्षित रखा जा सकता है।

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