नई दिल्ली। शादी की रस्में और मान्यताएं सदियों से हमारे समाज का हिस्सा रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक वक्त ऐसा था जब शादी के बाद मेहमान दुल्हन के गाउन का टुकड़ा पाने के लिए उतावले हो जाते थे? ऐसा माना जाता था कि दुल्हन की ड्रेस का टुकड़ा मिलने से जीवन में सौभाग्य आता है। यही वजह थी कि शादी के बाद लोग दुल्हन की ड्रेस को काटकर अपने पास रख लेते थे।
वक्त के साथ, इस परंपरा में थोड़ा बदलाव हुआ, अब दुल्हन की ड्रेस में एक खास कपड़े का टुकड़ा जोड़ा जाने लगा, जिसे गार्टर कहा जाता है। शादी के बाद दूल्हा इस गार्टर (Groom this garter) को निकालकर मेहमानों की भीड़ में फेंकता है और इसे पकड़ने वाले के बारे में कहा जाता है कि उसकी शादी जल्दी होगी।
आज यह प्रथा एक वेडिंग गार्टर की रस्म (This practice is a wedding garter ritual) मुख्य रूप से पश्चिमी देशों में प्रचलित है। खासकर यूरोप और अमेरिका में (in Europe and America)। यह रस्म पारंपरिक ईसाई शादियों का हिस्सा है। वक्त के साथ ये फैशन स्टेटमेंट में बदल गई है, लेकिन इसके पीछे की कहानी आज भी उतनी ही दिलचस्प है जितनी सदियों पहले थी।
कहां से आई ये परंपरा
मध्यकालीन यूरोप में शादी की रात को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता था, जहां शादी की पूर्णता केवल समारोह से नहीं, बल्कि नवविवाहित दंपति के शारीरिक संबंध से जुड़ी होती थी। शादी में शामिल मेहमानों को यह यकीन दिलाने की परंपरा थी कि शादी पूरी हो चुकी है। दूल्हा शादी की रात को दुल्हन के कपड़े का एक टुकड़ा, खासकर गार्टर, निकालकर उसे शादी के मेहमानों की ओर फेंकता था इसे एक इशारे के तौर में देखा जाता था कि शादी खत्म हो चुकी है।
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वक्त के साथ हुआ बदलाव
मार्डन जमाने में इस रस्म की शक्ल बदली। शादियों में गार्टर फेंकने की रस्म को मस्ती और मनोरंजन का हिस्सा बना दिया गया। इसे कुछ अलग अंदाज में किया जाने लगा। अब दूल्हा अपनी दुल्हन की टांग से गार्टर निकालकर कुंवारे दोस्तों की भीड़ में फेंकता है, जो लड़का इसे पकड़ता है, उसके बारे में कहा जाता है कि उसकी शादी सबसे पहले होगी।