नई दिल्ली। दुनिया में ऐसे कई आदिवासी समुदाय हैं, जो आज भी किसी न किसी रूप में नरभक्षण करते हैं। इनकी कई ऐसी अजीबोगरीब प्रथाएं हैं, जिनसे आज भी दुनिया वाकिफ नहीं है। ऐसे ही कुछ आदिवासी कबीले हैं, जो अपने मृत सगे-संबंधियों के शवों की हड्डियों का सूप बनाकर पीते हैं।
परिवार वालों के मरने पर उनकी हड्डियों का सूप (Soup of their bones after death) बनाकर पीने वाले आदिवासी समुदाय दक्षिण अमेरिका (Tribal communities south america) में रहते हैं। इनका निवास स्थान मुख्य रूप से उत्तरी ब्राजील और दक्षिणी वेनेजुएला के जंगलों में है। इन्हें यानोमानी आदिवासी कहा जाता है। ये अमेजन वर्षावन के किनारे बसे हुए हैं।
यानोमानी आदिवासी समुदाय (Yanomani tribal community) अपने अजीबोगरीब प्रथाओं और जीवनशैली के लिए जाना जाता है। ये आदिवासी बिना कपड़ों के नग्न घूमते हैं, इनका कोई घर नहीं होता है। येलोग खुले आसमान के नीचे रात बिताते हैं। इनके रस्म और रिवाज और वेश-भूषा भी अजीब होते हैं।
ये आदिवासी समुदाय के लोग अपने परिजन की मौत के बाद अंतिम संस्कार की जो रस्म निभाते हैं, वो भी बड़ी अजीब है, ये लोग अपने परिजन के अंतिम संस्कार के बाद उसकी हड्डियों की राख का सूप बनाकर पीते हैं। इन आदिवासियों का ऐसा मानना है कि ऐसा करके वे अपने परिजन की आत्मा की रक्षा करते हैं। माना जाता है कि इन कबीलेवासियों का मृत्यु में विश्वास नहीं होता है।
मृत्यु के बजाय, ये सोचते हैं कि किसी विरोधी समुदाय के जादूगर ने उनके परिजन पर हमला करने के लिए बुरी आत्माओं को भेजा है। वे सोचते हैं, इसलिए व्यक्ति के शरीर का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए। उनका मानना है कि शव को जलाने और उसकी राख पीने से उनके प्रियजनों की आत्माएं पुनर्जीवित होती हैं। ये आदिवासी समुदाय करीब 200 से 250 गांवों में फैले हुए हैं।
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यानोमानी आदिवासी अपने मृतक रिश्तेदार के शव को पास के जंगल में पत्तों से ढककर 30 से 45 दिनों के लिए छोड़ देते हैं। इतने दिनों के बाद फिर से जाकर मृतक के शरीर से हड्डियां निकाल कर जला दी जाती हैं। हड्डियों को जलाने के बाद जो राख निकलती है, उसे केले के साथ मिलाकर सूप बनाया जाता है। इस तरह से बनाया गया सूप समुदाय के सभी लोगों के लिए पीना जरूरी होता है।