बूंदी, राजस्थान: रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर-1 में मंगलवार को रणथंभौर की एक युवा बाघिन को सफलता पूर्वक शिफ्ट किया गया। इस बाघिन को अब आरवीटी-5 के नाम से जाना जाएगा और यह बूंदी के जंगलों में अपना नया इलाका बनाएगी। इस स्थानांतरण के साथ ही, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिनों की कुल संख्या बढ़कर सात हो गई है, जिसमें तीन नर बाघ और चार बाघिन शामिल हैं। इससे जंगल में रोमांच और जैव विविधता दोनों बढ़ेंगी।
रणथंभौर से रामगढ़ तक का सफर
मंगलवार को दोपहर में रणथंभौर से इस युवा बाघिन आरबीटी 2508 को ट्रेंकुलाइज किया गया और उसे रेडियो कॉलर लगाया गया। इसके बाद, शाम 4 बजकर 20 मिनट पर उसे रामगढ़ स्थित मेज नदी किनारे बने बजाल्या एनक्लोजर में छोड़ा गया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की स्वीकृति के बाद, वन विभाग पिछले एक सप्ताह से राज्य की मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा के निर्देशन में इस शिफ्टिंग की तैयारियों में जुटा था, और मंगलवार को यह प्रयास सफल रहा।
शिफ्टिंग के दौरान रणथंभौर और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व का वन अमला, पशु चिकित्सक, वन्यजीव प्रेमी और एनटीसीए के प्रतिनिधि मौके पर मौजूद थे। अब इस बाघिन के व्यवहार और स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाएगी, जिसके बाद ही उसे खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।
रणथंभौर में मानव-बाघ संघर्ष के बाद लिया निर्णय
यह ध्यान देने योग्य है कि रणथंभौर की बाघिन एरोहेड (T-84) के तीन युवा शावकों ने त्रिनेत्र गणेश मंदिर क्षेत्र और फोर्ट इलाके में अपना आशियाना बना रखा था। पिछले दिनों हुई तीन घटनाओं में, जिनमें एक बच्चे सहित तीन लोगों की मौत हुई थी, इन्हीं बाघ शावकों के शामिल होने की आशंका थी। इन घटनाओं के चलते वन विभाग ने मजबूरी में इन्हें अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया। इनमें से एक नर बाघ को पहले ही धौलपुर करौली टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा चुका है, और अब इस मादा बाघिन को रामगढ़ में स्थानांतरित किया गया है। एरोहेड की एक और मादा शावक अभी रणथंभौर में ही एनक्लोजर में बंद है, जिसे जल्द ही मुकुंद्रा टाइगर रिजर्व में भेजा जाएगा।
रामगढ़ में अब 7 बाघों का कुनबा, RVT-1 का राज
राज्य में चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में 16 मई 2022 को अस्तित्व में आए रामगढ़ विषधारी में बाघिन की इस शिफ्टिंग के साथ ही बूंदी के जंगलों में लंबे अरसे बाद बाघों की संख्या 7 तक पहुंच गई है। इस फिर से उभरते टाइगर रिजर्व में अब 3 नर और 4 मादा बाघिन हो गई हैं, जिनमें एक जोड़ा वयस्क है, एक नर और तीन मादा युवा बाघ हैं, जबकि एक नर बाघ युवा शावक है।
इस समय पूरे जंगल में आठ साल के युवा बाघ आरवीटी-1 का राज है। यह बाघ पिछले 5 सालों से रामगढ़ में मौजूद है और इसने पूरे जंगल को अपनी टेरेटरी बना रखा है। यह वही बाघ है जिसने सरिस्का टाइगर रिजर्व से लाए गए एक युवा बाघ को मार डाला था, जो इसकी शक्ति और क्षेत्र पर पकड़ को दर्शाता है।
रामगढ़ में बाघों के कुनबे का इतिहास
- RVT-1 (T-115): जून 2020 में यह बाघ प्राकृतिक रूप से चलकर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आया।
- RVT-2 (T-102): रणथंभौर की यह बाघिन 16 जुलाई 2022 को रामगढ़ के सॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ी गई थी। इसे 31 अगस्त 2022 को खुले जंगल में छोड़ा गया, लेकिन गत वर्ष इसका कंकाल मिला था। इस बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से दो मादा शावक अभी अभयारण्य में अपनी टेरेटरी बना चुकी हैं, जबकि एक शावक जीवित नहीं रहा।
- RVT-3 (T-119): रणथंभौर की यह बाघिन अगस्त 2023 में रामगढ़ में छोड़ी गई, जिसने एक नर शावक को जन्म दिया है जो करीब एक साल का हो चुका है।
- अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क का बाघ: कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से रामगढ़ में रीवाइल्ड करने के लिए भेजा गया एक बाघ अभी तक सॉफ्ट एनक्लोजर में शिकार करना सीख रहा है और उम्मीद है कि उसे जल्दी ही जंगल में रिलीज किया जाएगा।
- RVT-4: सरिस्का टाइगर रिजर्व से हरियाणा पहुंचे इस बाघ को रामगढ़ में RVT-4 के रूप में शिफ्ट किया गया था, जिसकी RVT-1 के साथ टेरेटरी फाइट में दुखद मौत हो गई थी।
- RVT-5 (RBT-2508): रणथंभौर की टाइग्रेस T-84 (एरोहेड) की यह मादा शावक अब रामगढ़ का नवीनतम सदस्य है।
सफलतापूर्वक ट्रेंकुलाइज और निगरानी
पिछले दो दिनों से रणथंभौर का स्टाफ इस बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने का प्रयास कर रहा था। मंगलवार को बारिश के बाद मौसम सही होने पर उप वन संरक्षक डॉ. रामानंद भाकर के नेतृत्व में पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. राजीव गर्ग, वन विभाग के वरिष्ठ पशुचिकित्सक डॉ. सीपी मीना और सहायक वन संरक्षक श्री तेजस पाटिल की टीम ने सफलतापूर्वक इस टाइगर मादा शावक को ट्रेंकुलाइज कर लिया।
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यह शिफ्टिंग मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा गठित कमेटी की सिफारिश और राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण तथा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बाद की गई है। फिलहाल मादा शावक आरबीटी-2508 को सॉफ्ट रिलीज कर एनक्लोजर में रखा गया है। एनटीसीए के प्रोटोकॉल के अनुसार, मादा शावक की लगातार निगरानी की जा रही है ताकि उसके स्वास्थ्य और व्यवहार को सुनिश्चित किया जा सके। इस नए सदस्य के आने से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के लिए नए अवसर और चुनौतियां दोनों सामने आएंगी।