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UPSC Success Story: चाय बेचने से IAS बनने तक… हिमांशु गुप्ता की प्रेरणा से भरी कहानी

UPSC Success Story: From selling tea to becoming an IAS…Himanshu Gupta's inspirational story

UPSC Success Story: अगर मेहनत और दृढ़ संकल्प हो तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। यह बात उत्तराखंड के हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta of Uttarakhand) ने साबित कर दिखाई। एक चायवाले के बेटे से लेकर IAS अधिकारी बनने तक का सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए उम्मीद की किरण है जो संसाधनों की कमी के कारण अपने सपनों से समझौता कर लेता है। हिमांशु की कहानी उस विचारधारा को चुनौती देती है कि केवल संपन्न लोग ही बड़े मुकाम हासिल कर सकते हैं।

गरीबी में बीता बचपन, बड़ा सपना देखा

हिमांशु गुप्ता ने अपना बचपन बेहद गरीबी में गुजारा। उनके माता-पिता शिक्षित नहीं थे, लेकिन बेटे को पढ़ाने की उनकी इच्छाशक्ति ने हिमांशु को कभी हार मानने नहीं दी। उनके पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे और चाय का ठेला लगाते थे (used to sell tea)। हिमांशु बचपन में स्कूल जाने से पहले और बाद में चाय के ठेले पर अपने पिता की मदद करते थे।

उनके लिए पढ़ाई करना आसान नहीं था। रोजाना 70 किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल जाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। संसाधनों की कमी, अंग्रेजी में कमजोरी, और आर्थिक तंगी के बावजूद हिमांशु का सपना हमेशा बड़ा था।

यूपीएससी का सफर: तीन प्रयास और सफलता की कहानी

हिमांशु ने 2018 में पहली बार UPSC परीक्षा दी और भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के लिए चयनित हुए। लेकिन उन्होंने रुकने की बजाय आगे बढ़ने का फैसला किया।

2019: दूसरे प्रयास में उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए चयनित होकर नई ऊंचाई छुई।
2020: तीसरे प्रयास में उन्होंने IAS बनने का सपना साकार किया।
यह सफर हिमांशु की अटूट मेहनत और लगन का प्रमाण है।

हिमांशु की प्रेरक बातें

हिमांशु ने एक फेसबुक पोस्ट में अपने संघर्षों को साझा करते हुए लिखा:

“मैं स्कूल जाने से पहले और बाद में पिता के साथ काम करता था। 35 किमी दूर स्कूल जाने के लिए वैन का सहारा लेता था। जब सहपाठी हमारे चाय के ठेले के पास से गुजरते, मैं छिप जाता। लेकिन जब मजाक बना तो मैंने ध्यान भटकाने के बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाया।”

उन्होंने बताया कि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी, लेकिन सीखने के लिए उन्होंने अंग्रेजी फिल्में देखनी शुरू कीं। उनके पिता हमेशा कहते थे, “सपने सच करने हैं तो पढ़ाई करो!” यही बात उनके जीवन का प्रेरणा स्रोत बन गई।

सीखने लायक सबक

हिमांशु गुप्ता की कहानी हर उस इंसान के लिए एक प्रेरणा है, जो संसाधनों और हालातों के कारण हार मान लेता है। यह साबित करती है कि इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

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परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ें।

शिक्षा ही असली ताकत है।
सपने देखने का साहस करें।
हर चुनौती को सीखने का मौका समझें।

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