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अलविदा रतन टाटा: भारत ने नम आंखों से दी विदाई, मुंबई में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

Goodbye Ratan Tata: India bids farewell with tearful eyes, cremated with state honors in Mumbai

नई दिल्ली। रतन टाटा भारत की सख्सियत हें जिन्होंने भारतीय उद्योग और समाज पर गहरी छाप छोड़ी, रतन टाटा ने 86 वर्ष की उम्र में 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरा देश शोक में डूब गया। प्रार्थना सभा में पारसी, हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मगुरु ने मिलकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की, जो उनके सौहार्दपूर्ण व्यक्तित्व को दर्शाता है।

रतन टाटा की राजकीय सम्मान के साथ विदाई

रतन टाटा को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मुंबई के वर्ली स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां उनके पार्थिव शरीर को भारतीय तिरंगे में लपेटा गया था। उनके अंतिम संस्कार में कई प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया, जिसमें राजनीतिक नेता, उद्योगपति और आम नागरिक शामिल थे। उनका पेट डॉग भी अंतिम क्षण तक उनके पार्थिव शरीर के पास बैठा रहा, जो उनके पशुओं के प्रति प्यार को दर्शाता है।

पारसी धर्म और अंतिम संस्कार की परंपरा

रतन टाटा पारसी धर्म से थे, जिसमें अंतिम संस्कार की एक प्राचीन परंपरा “दखमा” प्रचलित है। इसमें मृत शरीर को गिद्धों के हवाले किया जाता है। लेकिन रतन टाटा का अग्निदाह से अंतिम संस्कार हुआ, जो पारसी धर्म में भी एक स्वीकृत प्रक्रिया है।

सादगी और विनम्रता के प्रतीक

रतन टाटा का जीवन सादगी और विनम्रता का जीता-जागता उदाहरण था। वह कहते थे कि “पैसे को दिमाग में नहीं, जेब में रखना चाहिए।” उनकी इस सादगी ने उन्हें लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया। उनकी परवरिश उनकी दादी ने की थी और उनकी सादगी इतनी थी कि वह अपनी दादी की रॉल्स रॉयस में बैठने के बजाय पैदल चलना पसंद करते थे।

उद्योग और समाज सेवा में अतुलनीय योगदान

रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझते थे। टाटा ग्रुप की 66% हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट को जाती है, जो समाज सेवा के कार्यों में लगाई जाती है। कोविड-19 के समय रतन टाटा ने PM Cares Fund में 1500 करोड़ रुपये का दान देकर समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।

टाटा ग्रुप: हर भारतीय का हिस्सा
आज टाटा ग्रुप भारत के हर घर का हिस्सा है। चाहे वह टाटा सॉल्ट हो, टाटा स्टील या टाटा मोटर्स—हर भारतीय टाटा ग्रुप के किसी न किसी उत्पाद से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, टाटा कैंसर अस्पताल जैसी संस्थाओं ने देश को बहुत कुछ दिया है।

सबसे बड़े दानदाता
रतन टाटा दुनिया के सबसे बड़े दानदाताओं में से एक थे। हुरुन रिसर्च के अनुसार, टाटा ग्रुप सबसे बड़े दानदाताओं में पहले स्थान पर है। उन्होंने अपने जीवन में जो भी कमाया, उसका एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा के कार्यों में लगा दिया।

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देश की धरोहर रतन टाटा
रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे, वह देश की धरोहर थे। उनके विचार, उनके योगदान, और उनकी सादगी ने उन्हें करोड़ों भारतीयों के दिलों में जगह दी। उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी, और उनके द्वारा किए गए कार्य उन्हें अमर बनाए रखेंगे।

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