जयपुर। वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है, अब जयपुर में भी बाघों की दहाड़ गूंजेगी और पर्यटक टाइगर सफारी का आनंद उठा सकेंगे। सोमवार को नाहरगढ़ जैविक उद्यान में टाइगर सफारी का शुभारंभ किया जायेगा। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा आज 11 बजे इस सफारी का लोकार्पण करेगें। आशा है कि जयपुर का वन्यजीव पर्यटन एक नई ऊंचाई पर पहुंचेगा।
जयपुर बना देश का पहला बहु-सफारी शहर
इस नए सफारी के शुरू होने के बाद जयपुर देश का पहला ऐसा शहर बन जाएगा, जहां लेपर्ड, लॉयन, एलिफेंट और अब टाइगर सफारी (Leopard, Lion, Elephant and now Tiger Safari) भी उपलब्ध होगी। यह सफारी न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगी, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी प्रोत्साहित करेगी। उद्घाटन समारोह में नगरीय विकास राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेगे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा करेगें।
टाइगर सफारी की खासियतें
डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) जगदीश गुप्ता के अनुसार, सफारी के लिए 8 किलोमीटर लंबा ट्रैक तैयार किया गया है। इस सफारी के दौरान पर्यटक वाहन में बैठकर लगभग 45 मिनट तक बाघों के प्राकृतिक वातावरण का अनुभव (Experience the natural environment of tigers)ले सकेंगे। इसके लिए पर्यटकों को 252 रुपए का शुल्क देना होगा, जिसमें 52 रुपए जैविक उद्यान का प्रवेश शुल्क भी शामिल है। सफारी में पहले से मौजूद पुराने कैंटर का उपयोग किया जाएगा, जो सैलानियों को रोमांचक सफारी अनुभव प्रदान करेगा। हालांकि, नए वाहनों के लिए टेंडर निकाले गए हैं, लेकिन उनके आने में समय लगेगा।
सफारी निर्माण- 4.5 करोड़ की लागत से तैयार
यह सफारी परियोजना 30 वर्ग हेक्टेयर भूमि पर फैली हुई है और इसे 4.5 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। निर्माण कार्य तीन महीने पहले ही पूरा हो गया था, और अब इसे आधिकारिक रूप से जनता के लिए खोला जा रहा है। पर्यटक यहां बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकेंगे और उनके व्यवहार का अध्ययन कर सकेंगे।
पुराने वाहनों से होगी शुरुआत, नए वाहनों का इंतजार
हालांकि शुरुआत में पुराने कैंटर का इस्तेमाल सफारी के लिए किया जाएगा, वन अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि ये वाहन काफी पुराने और खराब हो चुके हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने वाहनों को जल्द से जल्द बदलना जरूरी है क्योंकि ये अक्सर सफारी के बीच में खराब हो जाते हैं, जिससे पर्यटकों को परेशानी होती है। वन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अब तक इन वाहनों को हटाया नहीं गया है, लेकिन नए वाहन आने तक इन्हें अस्थायी रूप से इस्तेमाल में रखा जाएगा।
पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
इस सफारी के उद्घाटन से जयपुर के पर्यटन उद्योग (Tourism industry) को भी एक बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। बाघ सफारी जैसे आकर्षण न केवल स्थानीय बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करेंगे। इसके साथ ही, यह परियोजना वन्यजीव संरक्षण को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि बाघों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने पर ध्यान दिया जाएगा।
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जयपुर का वन्यजीव पर्यटन- एक नई दिशा
जयपुर, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध है, अब वन्यजीव पर्यटन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रहा है। टाइगर सफारी के साथ, यह शहर वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनने की ओर अग्रसर है। इस सफारी के माध्यम से पर्यटक न केवल बाघों को देख सकेंगे, बल्कि उन्हें जंगल के माहौल में जीने का अनुभव भी होगा।