कोटा। खान विभाग के अधिकारियों का अनोखा कारनामा सामने आया है। यहां विभाग के अधिकारियों द्वारा रामगंज मंडी में लाइमस्टोन की अवैध खनन मामले में लीजधारक पर 10 करोड़ का जुर्माना (10 crore fine) लगाया है। लेकिन विभाग के अतिरिक्त निदेशक ने इस फैसले को पलट कर लीजधारक के पक्ष में फैसला दे दिया। गनीमत रही कि पूरे मामले में खान विभाग ने स्वप्रेरणा से इस फैसले की समीक्षा का निर्णय किया और पीठासीन अधिकारी व संयुक्त संयुक्त सचिव ने पूरे मामले में अतिरिक्त निदेशक के फैसले को गलत ठहराया और अब लीजधारक पर नियम अनुसार कार्रवाई करने यानि जुर्माना वसूली करने के आदेश जारी किए हैं।
दरअसल, मामला रामगंज मंडी (Ramganj Mandi) के खनन पट्टे संख्या 68/2008 के लीजधारक दमनजोत सिंह (Leaseholder Damanjot Singh) ने यहां खनन पट्टे से लगाती हुई खातेदारी भूमि खसरा संख्या 1702 में 70865 टन लाइमस्टोन का अवैध खनन किया। पूरे मामले में खान विभाग की टीम ने मौका निरीक्षण के बाद 9 करोड़ 92 लाख 31996 की मांग कायम की। इसके बाद 16 महीने तक पूरा प्रकरण नियम कानून में खिंचता रहा, मामला जब अतिरिक्त निदेशक दीपक तंवर (Additional Director Deepak Tanwar) के पास पहुंचा तो उन्होंने अपने ही विभाग की टीमों द्वारा माने गए अवैध खनन और निकाली गई डिमांड को गलत ठहराते हुए पूरे प्रकरण को समाप्त करने के आदेश जारी कर दिया। यहीं से विभाग के उच्च अधिकारियों को घोटाले की बू- आने लगी और पूरे प्रकरण के रिवीजन का फैसला लिया गया।
इसके बाद जो हुआ उससे साबित होता है कि अतिरिक्त निदेशक कहीं ना कहीं पूरे प्रकरण में लीजधारक के पक्ष में रिपोर्ट करते नजर आए, क्योंकि संयुक्त सचिव ने रिवीजन के बाद जो फैसला दिया उसमें न केवल लीजधारक से जुर्माना वसूली के आदेश दिए गए हैं बल्कि पूरे प्रकरण में लीजधारक के साथ खातेदार की मिलीभगत भी मानी गई है, उस पर भी करवाई के आदेश दिए हैं। इससे लगता है कि अतिरिक्त निदेशक दीपक तंवर का फैसला गलत था! अब देखना होगा कि पूरे प्रकरण में खान विभाग अतिरिक्त निदेशक पर भी क्या कार्रवाई करता है। इससे पहले भी दीपक तंवर पर 307 करोड रुपए की वसूली की गलत सूचना देकर सरकार को गुमराह करने के आरोप लग चुका हैं।
10 करोड़ के इस पूरे खेल की परत दर परत कहानी को समझे
- पिछले वर्ष 5 अप्रेल को जांच के दौरान खनन पट्टा संख्या 68/2008 के खननपट्टाधारी द्वारा स्वीकृत क्षेत्र के बाहर एडजोईनिंग खातेदारी भूमि खसरा सख्या 1702 में, अपने स्वीकृत क्षेत्र की तरफ से खातेदारी भूमि में खनिज लाईमस्टोन की मात्रा 70865 टन का अवैध खनन पाया गया।
- 21 अप्रेल 2023 खनन पट्टाधारी के विरूद्व पेनल्टी एवं कम्पाउण्ड फीस 9,92,31,996 की मांग कायम की गई।
- इसके विरूद्ध पट्टाधारी द्वारा उच्च न्यायालय, जयपुर में रिट दायर की गई, उच्च न्यायालय द्वारा मांग कायम आदेश को Set Aside करते हुए पट्टाधारी को सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए कार्यवाही करने के लिए रिमांड किया गया।
- 21 जून 2023 को खनन पट्टाधारी दमनजोत सिंह आनन्द एवं हल्का पटवारी की उपस्थित में मौके पर जॉच की गई, मौका जांच में पूर्व मौका पंचनामा दिनांक 5 अप्रेल 2023 के अनुसार ही अवैध खनन की स्थिति पाई गई अर्थात स्वीकृत खननपट्टा क्षेत्र 68/2008 के बाहर अवैध खनन स्वंय खनन पट्टाधारी दमनजोत सिंह आनन्द के द्वारा ही किये जाने की पुष्टि हुई।
- कार्यालय आदेश दिनांक 29 अगस्त 2023 से खनन पट्टाधारी के विरूद्व राशि रूपये 9.92 करोड़ की पुनः मांग कायम की।
- मांग आदेश के विरूद्ध न्यायालय अपर जिला एंव सेशन न्यायाधीश, रामगंजमण्डी के समक्ष टी.आई. प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
- प्रकरण के लंबित रहते इसी मांग आदेश के विरूद्ध एक प्रकरण और न्यायालय अतिरिक्त निदेशक (खान), कोटा के समक्ष अपील दायर की गई।
- अधीक्षण खनि अभियन्ता, कोटा आदेश दिनांक 15 दिसंबर 2023 खनन पट्टा संख्या 68/2008 को खण्डित किया गया।
- अपर जिला न्यायाधीश रामगंजमण्डी द्वारा निर्णय मौका पंचनामा रिपोर्ट दिनांक 05- अप्रेल 2023 व 21 जून 2023 की पालना में जारी किए गये वसूली राशि बाबत् नोटिस में वर्णित राशि की वसूली का फैसला मूल वाद नहीं करने एवं ना ही इस दौरान प्रार्थी के पक्ष में स्वीकृत खनन पट्टा 68/2008 को खण्डित करने के संबंध में आदेश दिनांक 22 मार्च 2024 पारित किया गया।
- 5 अप्रेल को न्यायालय अतिरिक्त निदेशक खान, उदयपुर को ट्रांसफर कर, निस्तारित करने के निर्देश गये।
- अधीक्षण खनि अभियन्ता, कोटा द्वारा खननपट्टा क्षेत्र का कब्जा राजपक्ष में लिया गया।
- शासन द्वारा पत्र दिनांक 18 मई 2024 से दिये न्यायालय अपर जिला एवं सेंशन न्यायाधीश, रामगंजमण्डी द्वारा पारित आदेश दिनांक 22 मार्च 2024 के विरूद्ध अपील करने का निर्णय लिये जाने पर उच्च न्यायालय, जयपुर में एस.बी. सिविल मिसलिनियस अपील संख्या 2967/2024 दिनांक 27 जून 2024 को अतिरिक्त राजकीय कौसिंल के माध्यम से दायर की।
- अतिरिक्त निदेशक खान, उदयपुर आदेश दिनांक 10 जुलाई 2024 से कमेटी की रिपोर्ट, दिनांक 21 जून 2023, खनि अभियन्ता, राजगंजमंडी द्वारा जारी मांग आदेश, दिनांक 29 अगस्त 2023, अधीक्षण खनि अभियन्ता, कोटा द्वारा पारित खनन पट्टा खण्डित आदेश दिनांक 15 दिसंबर 2023 एवं खनि अभियन्ता, रामगंजमंडी द्वारा खनन पट्टा कब्जा आदेश दिनांक 10 जून 2024 को राशि रूपये 9,92,31,996 अपास्त किया गया।
- निदेशालय के आदेश दिनांक 31 जूलाई 2024 से अतिरिक्त निदेशक खान, उदयपुर आदेश दिनांक 10 जुलाई 2024 के विरूद्ध संयुक्त शासन सचिव, खान एवं पेट्रोलियम विभाग, जयपुर में रिवीजन के आदेश दिये।
- संयुक्त सचिव, खान एवं पेट्रोलियम विभाग, जयपुर के समक्ष दिनांक 5 अगस्त 2024 को सूओमोटो रिवीजन की गई।
- 24 सितंबर को जांच अधिकारी और संयुक्त सचिव ने अतिरिक्त निदेशक के फैसले को गलत माना और अपना फैसला सुनाया।
संयुक्त सचिव (Joint Secretary) द्वारा सुनाए गए फैसले के अनुसार खसरा संख्या 1702 के खातेदारों द्वारा भी उनकी खातेदारी भूमि पर किये गये अवैध खनन के संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवायी गयी, जिससे स्पष्ट है खसरा संख्या 1702 के खातेदार भी उक्त अवैध खनन के जिम्मेदार है। पटवारी व खान विभाग द्वारा सूचना दिये जाने पर तहसीलदार द्वारा खातेदार के खातेदारी अधिकार निरस्त किये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करने, तहसीलदार द्वारा अवैध खनन के लिए खान विभाग के नियमों में दी गई शक्तियों का उपयोग कर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही करने, उक्त परिपत्र के क्रम में खसरा संख्या 1702 के खातेदारों के विरूद्व नियमानुसार कार्रवाई किये जाने के लिए खनि अभियन्ता, रामगंजमण्डी को निर्देशित किया गया है। यह कि आदेश पारित होने के 10 दिवस में संबंधित तहसीलदार को आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचित करने के लिए कहा गया है।
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इससे स्पष्ट है कि पूरे मामले में अतिरिक्त खनन निदेशक की भूमिका संदिग्ध रही है, अब देखना होगा कि लीजधारक पर कार्रवाई के साथ-साथ क्या खान विभाग अतिरिक्त निदेशक पर भी कार्रवाई करता है या नहीं?