New Delhi : एक चर्चित वैवाहिक विवाद केस में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अनूठा फैसला सुनाते हुए एक महिला आईपीएस अधिकारी को आदेश दिया है कि वह अपने पति और उनके परिवार से बिना शर्त माफी मांगे। कोर्ट ने आगे कहा कि यह माफी सिर्फ व्यक्तिगत रूप से नहीं, बल्कि इसे प्रमुख हिंदी और अंग्रेज़ी अखबारों के राष्ट्रीय संस्करणों और सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Social Media Platforms) पर प्रकाशित तथा प्रसारित करना अनिवार्य है।
क्या है मामला?
- शादी और विवाद:
दिल्ली के बिजनेसमैन और महिला आईपीएस अधिकारी ने 2015 में शादी की थी। 2018 में दोनों अलग हो गए। इसके तीन साल बाद महिला यूपी में अपने गृहनगर चली गईं और 2022 में आईपीएस अधिकारी बन गईं। - अदालत का समझौता:
समझौते के तहत महिला ने गुजारा भत्ता (maintenance) या भरण-पोषण (alimony) की मांग नहीं की। बल्कि उन्होंने अपने माता-पिता की अलीगढ़ स्थित संपत्ति के तीन हिस्से अपने पूर्व पति को देने की पेशकश की, जिसे गिफ्ट डीड के जरिए ट्रांसफर किया जाएगा।
पति और उनके परिवार को मानसिक प्रताड़ना
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्वीकारा कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के चलते पति को 109 और उनके पिता को 103 दिन जेल में रहना पड़ा। इससे पूरे परिवार को गहरा शारीरिक और मानसिक आघात पहुँचा।
क्यों दी गई माफी की शर्त?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस माफीनामे का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई और भावनात्मक तनाव को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त करना है। इसकी प्रकाशना और प्रसार राष्ट्रीय अखबारों तथा सोशल मीडिया पर करनी होगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यह माफीनामा भविष्य में महिला आईपीएस अधिकारी के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
अन्य मुख्य आदेश:
- बच्चे की प्राथमिक कस्टडी मां को दी गई, लेकिन पिता को मिलने का अधिकार भी रहेगा।
- पति और उसके परिवार को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
- कोर्ट ने महिला अधिकारी को सख्त चेतावनी दी कि वह अपने पद की शक्ति का कभी भी दुरुपयोग कर पति या उनके परिवार को कोई शारीरिक या मानसिक हानि ना पहुँचाएं।