टोंक। जिले में लोगो ने जमकर धुलंडी खेली (played Dhulandi fiercely)। भाई चारे का सन्देश देते हुए एक दूसरे को गुलाल और रंग (Gulal and colors) लगाया। जिला मुख्यालय पर रियासतकालिन सम्राट की सवारी (Ride of the princely emperor) गाजे-बाजे और आकर्षक झांकियों के साथ निकाली गई।
इस दौरान लोगो ने जमकर होली खेली। इस साल, सम्राट की सवारी में मशान अघोरी-तांडव, बरसाना की लट्ठमार, राधाकृष्ण की फूलों की होली और बाल-गोपाल कृष्ण की सखाओं की होली की सजीव झांकियों ने लोगो का सबसे अधिक ध्यान आकर्षण किया।
ऊंटगाड़ियों और घोड़ियों पर निकला जुलूस
सम्राट के जुलूस में बैंड-बाजों की धुनों के साथ नाचते-गाते चल रहे शहरवासी शामिल हुए, जो पूर्व की तरह 11 ऊंटगाड़ियों और 11 घोड़ियों पर सवार होली के मतवाले (Holi revellers riding on 11 camel carts and 11 horses) थे। एक ऊंट पर सवार सम्राट की सवारी की अगवाई कर आगे बढ़ता रहा।
शुक्रवार सुबह 9 बजे पुरानी टोंक अजमेर वालों की कोठी से जुलूस शुरू हुआ। यहाँ से होली का जुलूस पुरानी टोंक और मुख्य बाजार के कई भागों से होकर वापस अजमेर वालों की कोठी पहुंचा। इस दौरान हजारों शहरवासी जुलूस में उमड़े। इस दौरान पर्याप्त पुलिस बल तेनात रहा।
जुलूस का पुष्प वर्षा से किया स्वागत
होली व गणगौर महोत्सव समिति के संयोजक ओम पांडे ने बताया कि इस बार सम्राट की सवारी के जुलूस पर फूलों की बारिश से स्वागत (The procession of the emperor’s ride was welcomed with a shower of flowers) किया गया था. उन्होंने बताया कि राधाकृष्ण के साथ फूलों और बाल-गोपालों की होली की सजीव झांकियों के अलावा काशी की मसान होली, शिव तांडव होली और बरसाना की लट्ठमार होली की भी सजीव झांकियां थीं। विभिन्न संस्थाओं और संगठनों ने इस दौरान जुलूस पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
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इन रास्ते से गुजरा जुलूस
जुलूस सम्राट की सवारी का जुलूस अजमेर वालों की कोठी से शुरू होकर पुरानी टोंक के छीपो का मोहल्ला, जोशियों का मोहल्ला, माणक चौक, पालुकों का मोहल्ला, महावीर चौक से टिक्कीवालों का मोहल्ला, निजामसेठ की हवेली के रास्ते संघपुरा होते हुए मेहंदवास गेट से घण्टाघर होते हुए मुख्य बाजार से बड़ा कुआं छोटे तख्ता से, तेलियां की गली से गुजरता हुआ , नगर बाग रोड से, श्याम मंदिर से नौशेमिया के पुल से वापस मुख्य बाजार, फिर घंटाघर से गुजर कर और अजमेर वालों की कोठी पर खत्म हुआ।