बूंदी। केरल की भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को आगामी 16 जुलाई को यमन की सना जेल में फांसी दिए जाने की सजा सुनाई गई है, जिस पर वहां की सरकार ने अंतिम मुहर भी लगा दी है। इस गंभीर मानवीय मामले में भारत में निमिषा का जीवन बचाने के प्रयास तेज हो गए हैं।
चर्मेश शर्मा ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार
राजस्थान बीज निगम के पूर्व निदेशक और कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा, जो विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिए कार्य करते हैं, ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम राष्ट्रपति सचिवालय में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में भारतीय महिला का जीवन बचाने के लिए तत्काल अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक और वैधानिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। शर्मा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज करवाते हुए निमिषा प्रिया का जीवन बचाने की अपील की है।
क्या है निमिषा प्रिया का मामला?
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया रोजगार के लिए यमन गई थीं। 2016 में, उनके क्लिनिक के पार्टनर, एक यमन नागरिक, ने उनका पासपोर्ट छीन लिया और उन्हें जबरन वहीं रोककर भारत आने से मना कर दिया। अपने पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज वापस लेने के लिए निमिषा प्रिया ने उस यमन नागरिक को नशे का इंजेक्शन लगाया था। दुर्भाग्यवश, नशे की ओवरडोज से यमन नागरिक की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद से पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से निमिषा प्रिया यमन की सना जेल में बंद हैं। यमन के न्यायालय ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है।
अनजाने में हुई हत्या और कूटनीतिक हस्तक्षेप की मांग
राष्ट्रपति सचिवालय में दायर याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि यमन में कोई भी विदेशी नागरिक यदि अस्पताल या अपना संस्थान खोलता है, तो उसे तभी अनुमति मिलती है जब यमन का कोई स्थानीय नागरिक उसमें पार्टनर हो। निमिषा प्रिया ने भी यमन नागरिक तलाल आबदो मेहदी के साथ यमन सरकार के नियमानुसार क्लिनिक खोला था। हालांकि, यमन नागरिक ने निमिषा प्रिया को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था, और उसने उनका पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज छीनकर वापस नहीं लौटाए थे। वह उन्हें जबरन भारत आने से रोक रहा था। अपनी जान और दस्तावेजों को बचाने के लिए निमिषा प्रिया ने मजबूर होकर उस यमन नागरिक को नशे का इंजेक्शन लगाया था, जिसकी ओवरडोज से अनजाने में उसकी मृत्यु हो गई।
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याचिका में भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने, यमन सरकार से कूटनीतिक वार्ता करने, भारतीय दूतावास के माध्यम से वैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए यमन के राष्ट्रपति या सर्वाेच्च न्यायालय में अपील करने और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भी तत्काल अपना पक्ष रखकर फांसी पर स्टे लेने की मांग की गई है।