राजस्थान की भजनलाल कैबिनेट ने एक ऐतिहासिक निर्णय (Bhajanlal cabinet took a historic decision) लेते हुए राज्य में जिलों और संभागों की नई संरचना का ऐलान किया है, जिससे गहलोत सरकार के कार्यकाल में बनाये गए नए जिलों और संभागों को लेकर बड़ा निर्णय किया गया है। इस फैसले के तहत राजस्थान में अब केवल 41 जिले और 7 संभाग (Now only 41 districts and 7 divisions in Rajasthan) रहेंगे। गहलोत सरकार द्वारा अंतिम समय में घोषित 17 नए जिलों में से केवल 8 जिलों को यथावत रखा गया है, जबकि शेष 9 नए जिलों को समाप्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, बांसवाड़ा, सीकर और पाली जैसे नए संभागों को भी खत्म कर दिया गया है।
भजनलाल कैबिनेट का बड़ा निर्णय
कैबिनेट की इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि 1956 में राजस्थान के गठन के बाद लंबे समय तक केवल 26 जिले थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़कर 33 हुई, लेकिन गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में 17 नए जिलों और 3 नए संभागों की घोषणा की। यह फैसला चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले लिया गया, जिसे वर्तमान कैबिनेट ने “अव्यवहारिक” और “अवांछनीय” करार देते हुए पलट दिया।
कौन-कौन से जिले और संभाग समाप्त हुए?
भजनलाल सरकार ने दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर जिलों को समाप्त कर दिया है। वहीं, बांसवाड़ा, सीकर और पाली संभागों को भी खत्म कर दिया गया है।
यथावत रखे गए जिले
गहलोत सरकार (Gehlot government) द्वारा बनाए गए बालोतरा, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, कोटपूतली-बहरोड़, डीडवाना-कुचामन, फलोदी और सलूम्बर जिलों को यथावत रखा गया है। इन जिलों को रखने का निर्णय व्यावहारिकता और प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
7 संभाग और 41 जिलों का नया ढांचा
अब राजस्थान में केवल 7 संभाग और 41 जिले रहेंगे। यह नया ढांचा राज्य में प्रशासनिक प्रक्रियाओं को बेहतर और सुव्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। कैबिनेट का मानना है कि यह निर्णय राज्य की वर्तमान जनसंख्या और भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से अधिक व्यावहारिक और प्रभावी है।
ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन
कैबिनेट ने एक और बड़ा निर्णय (Cabinet took another big decision) लेते हुए ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन का ऐलान (Announcement of reorganization of Gram Panchayats) किया है। जिलों को तीन श्रेणियों में बांटकर – सामान्य जिले, मरुस्थलीय जिले और आदिवासी बहुल जिले दृ ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन आबादी और क्षेत्रफल के आधार पर किया जाएगा।
निर्णयों के पीछे तर्क
मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि 67 वर्षों में जब केवल 7 नए जिले बने, तो एक सप्ताह में 17 जिलों और 3 संभागों की घोषणा करना अनुचित था। इस फैसले ने राज्य के संसाधनों और प्रशासनिक तंत्र पर अत्यधिक दबाव डाल दिया था। वर्तमान कैबिनेट ने इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करते हुए पाया कि इतने बड़े पैमाने पर नए जिलों का गठन व्यावहारिक नहीं है।
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सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा पर निर्णय लंबित
कैबिनेट बैठक में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द करने का मुद्दा भी उठा, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका क्योंकि यह मामला फिलहाल कोर्ट के अधीन है।