देश में किसान आंदोलन एक बार फिर से चर्चा में है, इस बार वजह बनी है राजस्थान में होने वाला गांव बंद आंदोलन, जो 29 जनवरी को (Village bandh movement in Rajasthan on 29 January) आयोजित किया जाएगा। किसान लंबे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं, और अब राजस्थान की किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat of Rajasthan) ने इसे लेकर बड़े स्तर पर गांव बंद का ऐलान कर दिया है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य किसानों की प्रमुख मांगों को सरकार तक मजबूती से पहुंचाना है।
एमएसपी गारंटी कानून की मांग पर आंदोलन का ऐलान
पिछले कुछ सालों से देशभर में किसान आंदोलन जोर पकड़ता रहा है। केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून लाए जाने के बाद किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन किया। एक साल तक चले इस विरोध के बाद सरकार को आखिरकार तीनों कानून वापस लेने पड़े। इसके बाद भी किसानों की कई मांगें बाकी रह गईं, जिनमें सबसे प्रमुख मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून बनाने की रही। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से कोई ठोस पहल न होने के चलते अब राजस्थान में किसान महापंचायत ने गांव बंद आंदोलन की रणनीति अपनाई है।
गांव में ही बिकेगा उत्पाद, बाहर नहीं जाएगा कोई
किसान महापंचायत ने गांव बंद की रूपरेखा स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस दिन गांव का कोई भी व्यक्ति बाहर नहीं जाएगा। रेल, बस या अन्य किसी भी प्रकार के वाहन का उपयोग नहीं किया जाएगा। हालांकि आपातकालीन स्थिति में छूट दी जाएगी। इस दौरान गांव में उत्पादों की बिक्री गांव में ही होगी। यदि कोई बाहरी व्यक्ति गांव में आकर सामान खरीदना चाहेगा, तो किसान उसे बेच सकते हैं, लेकिन गांव का माल गांव के बाहर नहीं जाएगा।
पहली बार राजस्थान में होगा गांव बंद आंदोलन
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट (National President of Kisan Mahapanchayat Rampal Jat) ने बताया कि राजस्थान में पहली बार गांव बंद आंदोलन (village bandh movement) का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने इसे गांव बंद का ‘ब्रह्मास्त्र’ करार देते हुए कहा कि यह आंदोलन कभी विफल नहीं हो सकता। इसके लिए हर घर से समर्थन लिया जा रहा है। लोगों को शपथ दिलाई जा रही है कि वे गांव बंद के दौरान नियमों का पालन करेंगे। रामपाल जाट ने कहा कि गांव बंद के जरिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा ताकि एमएसपी गारंटी कानून की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
45537 गांव होंगे आंदोलन में शामिल
गांव बंद आंदोलन की सबसे खास बात यह है कि इसे राजस्थान के 45537 गांवों में लागू (Applicable in 45537 villages of Rajasthan) किया जाएगा। इस दौरान गांव के लोग अपनी दुकानों और वाहनों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। हालांकि आवश्यक चीजों की बिक्री गांव में ही होगी। इस आंदोलन को “कमाई के साथ लड़ाई” का नाम दिया गया है, जिसमें ग्रामीण अपनी सामान्य दिनचर्या का पालन करेंगे लेकिन बाहरी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे। किसान महापंचायत के अनुसार, यह आंदोलन व्यापक स्तर पर असर डालेगा और सरकार को किसानों की मांगों को लेकर गंभीर होना पड़ेगा।
गांव बंद के असर को लेकर प्रशासन सतर्क
राजस्थान में इतने बड़े स्तर पर होने वाले इस आंदोलन के मद्देनजर प्रशासन भी सतर्क हो गया है। 45537 गांवों में आंदोलन का प्रभाव (Impact of movement in 45537 villages) देखने को मिलेगा, ऐसे में आवश्यक सेवाओं के बाधित न होने देने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं, किसान महापंचायत की ओर से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा। किसी भी प्रकार की हिंसा या उपद्रव न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।
गांव बंद आंदोलन, सरकार पर दबाव की रणनीति
किसानों का कहना है कि यह आंदोलन सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। किसानों की लंबे समय से चल रही मांगों को अनसुना किया जा रहा है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि सरकार किसानों की बात सुने और एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए। गांव बंद आंदोलन के जरिए एकजुटता दिखाते हुए किसान अपनी ताकत का अहसास कराएंगे।
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क्या गांव बंद आंदोलन होगा सफल?
किसानों का मानना है कि गांव बंद आंदोलन एक नई पहल है और इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा। यदि 45537 गांवों में यह सफल होता है, तो सरकार पर दबाव बनेगा और किसानों की मांगों को लेकर बातचीत की संभावना बढ़ेगी। रामपाल जाट ने कहा कि यह आंदोलन सरकार को जगाने का आखिरी उपाय है।