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इसरो चीफ सोमनाथ ने बताया Chandryaan 4 का क्या है टारगेट, बोले- चांद से पत्थर लाएंगे हम

Chief Somnath told what is the target of Chandryaan 4, said - we will bring stones from the moon

इसरो के प्रमुख डॉ. श्रीधरा पन्नीकर सोमनाथ ने कहा कि अब चंद्रमा से उसकी मिट्टी और पत्थरों का सैंपल धरती पर लेकर आएगे। इसरो चीफ राष्ट्रपति भवन कल्चरल सेंटर मे राष्ट्रपति भवन विमर्श श्रृंखला मे लेक्चर दे रहे थे। उन्होने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भरोसा दिलाते हुए कहा मैं आपको भरोसा दिलाता हूं हम चांद से पत्थर लेकर जरूर आएंगे। वह अपने दम पर। उन्होने आगे कहा कि यह मिशन इतना आसान नही है। अगर आप चांद पर जाते है। वहा से वापस आते है। वह कई तरह की रिकवरी करते हुए आपको कई आधुनिक तकनीकों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए हमे अभी काफी काम करना है।

सैंपल रिटर्न मिशन काफी जटिल होता है। यह पूरा ऑटोमैटिकली होने वाला है। इसमे इंसानो की भूमिका कम से कम होगी। इसरो चीफ ने कहा इन तकनीको को विकसित करने मे कम से कम चार साल लग जाएंगे। यही हमारा टारगेट भी है। आपको बताते है चंद्रयान-4 मिशन मे क्या-क्या होगा। वैस तोे इसरो चीफ ने अपने लेक्चर मे बात नही बताई कि मिशन जापान के साथ कर रहे या नही। हो सकता है इसरो अकेले अपने दम पर कर रहै हो। पर पहले जो प्लान था, उसमे जापानी स्पेस एजेंसी शामिल थी। DVERTISEMENTChandrayaan&4 ISRO S- Somanath4@9Chandrayaan&4 4 मिशन का नाम पूरा नाम है हैLUPEX जापान प्रोजेक्ट मे भारत के साथ काम कर रहा है। वह भारत की सफलता को देखकर उसके साथ काम करने के लिए तैयार है। लूपेक्स मतलब लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन है। लूपेक्स असल मे अंतरराष्ट्रीय मिशन है। जिसे मुख्य रूप से इसरो और जापानी स्पेस एजेंसी रंगं मिलकर कर रहे है। जाक्सा चांद पर चलने वाला रोवर बनाएगी। इसरो लैंडर बनाएगी। नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी इसमें लगने वाले ऑब्जरवेशन इंस्ट्रूमेंट्स बनाएंगे।

यह यंत्र रोवर के ऊपर लगे होंगे। लूपेक्स मिशन मिशन मे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर-रोवर उतारा जाएगा। यह मिशन 2026-28 के बीच पूरा हो सकता है। भारत और जापान के वैज्ञानिक चंद्रयान-4 मिशन मे काफी कुछ बदलाव करेंगे। इस साल अप्रैल में जापानी डेलिगेशन भारत आया था। डेलिगेशन ने चंद्रमा पर लैंडिंग साइट के बारे मे इसरो से बातचीत की थी। आइडिया शेयर किए गए थे। इसके साथ अन्य लैंडिंग लोकेशन को खोजा गया था। इसके अलावा रोवर, एंटीना, टेलीमेट्री और पूरे प्रोजेक्ट के एस्टीमेट पर भी चर्चा की गई थी। पूरे मिशन का वजन 6000 किलोग्राम होगा। जबकि पेलोड का वजन 350 किलोग्राम के होगा।

साल 2019 मे भारत और जापान ने लूपेक्स मिशन मे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को शामिल करने की चर्चा की थी। अगर यह मिशन सफल होगा तो भारत-जापान मिलकर चंद्रमा की सतह पर 1.5 मीटर गहरा गड्ढा खोदकर वहा से मिट्टी का सैंपल लाएंगे। इसमे ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल किया जा सकता है। गड्ढा करने से पहले रोवर मिट्टी के अंदर मौजूद पानी की खोज करेगा। इसके लिए लेजर तकनीक की मदद लेगा। लेजर को जब मिट्टी के अंदर पानी की मौजूदगी दिखाई देगी तब वह अपने ड्रिलिंग मशीन के जरिए मिट्टी का सैंपल जमा करेगा। उसके बाद उस सैंपल को अपने अंदर मौजूद एक यंत्र मे डालकर उसकी जांच करेगा। इस जांच से पता चलेगा चंद्रमा की सतह के नीचे पानी मौजूद है या नही है।

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