जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर को तलब किया (High Court summoned CBI Director) है। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने सीबीआई डायरेक्टर को 17 मार्च को व्यक्तिगत रूप से अथवा वीसी के जरिए कोर्ट में मौजूद रहने के आदेश दिए हैं। अदालत ने यह आदेश प्रदेश में बजरी माफियाओं के खिलाफ अलग-अलग थानों में दर्ज मुकदमों में CBI द्वारा जांच करने में असमर्थता जताने पर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई डायरेक्टर पेश होकर कोर्ट को बताएं कि अदालती आदेश की पालना में इतना समय बीत जाने के बाद भी कोई प्रगति क्यों नहीं हुई।
दरअसल, हाईकोर्ट ने पिछले साल 16 अप्रैल को बूंदी जिले के सदर थाने में दर्ज एक मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करते हुए कहा था कि सीबीआई इस मामले के अलावा चंबल और बनास नदी क्षेत्र में अवैध खनन से जुड़े अन्य मामलों की संयुक्त जांच (Joint investigation of other cases related to illegal mining) करें।
राजस्थान में अवैध बजरी के 416 मामले दर्ज
मामले में न्यायमित्र अधिवक्ता पुनीत सिंघवी ने कहा कि जब अदालत ने इस मामले को CBI को ट्रांसफर किया था। उसके बाद अदालत के सामने आया कि प्रदेश के अलग-अलग थानों में बजरी माफिया और अवैध बजरी खनन के करीब 416 मामले दर्ज हैं।
सीबीआई ने इतने सारे मामलों में जांच करने में असमर्थता जता दी थी। इस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से सीबीआई को कुछ मामलों की संयुक्त जांच करने के लिए कहा था। कोर्ट के सामने आया कि सीबीआई ने फरवरी 2025 तक केवल बूंदी सदर थाने में दर्ज मामले (Cases registered in Bundi Sadar police station) के अलावा किसी अन्य मामले में कोई जांच नहीं की।
सीबीआई ने कहा कि संसाधनों और सहयोग की कमी
इस पर कोर्ट ने जब नाराजगी जताई तो CBI की ओर से कहा गया कि इन मामलों की संयुक्त जांच के लिए सीबीआई के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। इसके अलावा राज्य सरकार से भी उसे अपेक्षित सहयोग नहीं मिला है। ऐसे में वह इन मामलों की संतोषजनक जांच करने में असमर्थ हैं।
CBI की ओर से कहा गया कि किसी भी जांच के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है कि स्थानीय पुलिस से उसे नफरी उपलब्ध करवाई जाए। स्थानीय पुलिस से भी हमें कोई सहयोग नहीं मिला।
पुलिस, खान विभाग और बजरी माफिया की मिलीभगत
कोर्ट ने मामला CBI को ट्रांसफर करते हुए कहा था कि राजस्थान में बजरी माफिया, पुलिस और खान विभाग की मिलीभगत से अवैध खनन हो रहा है। ऐसे में इन मामलों पर सरकार लगाम नहीं लगा सकती। इसलिए इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा था कि प्रदेश की पुलिस बजरी खनन से जुड़े मामलों में केवल खानापूर्ति कर रही है। पुलिस और खान विभाग बजरी माफिया के खिलाफ कागजी अभियान चलाते हैं। जब कार्रवाई की बात आती है तो कुछ नहीं किया जाता।
इससे लगता है अधिकारियों को परवाह नहीं है। पुलिस और खान विभाग की बजरी माफिया से मिलीभगत जाहिर होती है। इस मामले में भी कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
यह भी पढ़े: नेशनल हाईवे निर्माण बदलेगा बीकानेर की किस्मत, प्रॉपर्टी के दामों में आएगा उछाल
CBI को यह छूट दी जाती है कि वह चंबल और बनास नदी के आसपास के क्षेत्र में बजरी माफिया पर दर्ज मामलों की भी जांच कर सकती है। कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर को निर्देश दिए थे कि वे इन मामलों की जांच करके 4 सप्ताह में कोर्ट में प्राथमिक रिपोर्ट पेश करें।