बूंदी। जिले की तालेड़ा पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली खड़ीपुर ग्राम पंचायत के सरपंच (प्रशासक) और तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी (VDO) के खिलाफ सरकारी राशि के गबन का मामला डाबी थाने में दर्ज किया गया है। यह शिकायत तालेड़ा पंचायत समिति की विकास अधिकारी नीता पारीक ने दर्ज कराई है। मामला सरकारी बैंक खाते से ₹24 लाख 62 हज़ार से अधिक के गबन से जुड़ा है, जिस पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
प्रशासनिक जांच में हुआ खुलासा
डाबी थाना प्रभारी हेमराज शर्मा ने बताया कि 11 जुलाई को BDO नीता पारीक ने खड़ीपुर सरपंच रामबिलास गुर्जर और तत्कालीन सचिव वीरेंद्र भल्ला के विरुद्ध लिखित रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में उल्लेख है कि स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के वर्ष 2023-24 के अंकेक्षण के दौरान यह पाया गया कि गुर्जर और भल्ला ने पंचायत के बैंक खातों से ₹24 लाख 62 हज़ार 980 रुपए की राशि निकाली, लेकिन उसे रोकड़ (कैश बुक) में दर्ज नहीं किया, जिससे गबन की पुष्टि हुई।
जांच दल ने गबन की गई राशि को 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूलने और इनके विरुद्ध पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इसी आदेश के तहत पारीक ने सरपंच और सचिव पर मुकदमा दर्ज कराया है। थाना प्रभारी ने बताया कि सरपंच और सचिव के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वास का आपराधिक हनन) और 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वास भंग) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
अन्य पंचायतों में भी गड़बड़ियां
यह पूरा प्रकरण पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय का है। जांच में तालेड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत खड़ीपुर के अलावा रघुनाथपुरा, लक्ष्मीपुरा और बरूंधन ग्राम पंचायत में भी बड़ी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थीं। इन पंचायतों के संबंधित सरपंचों- रघुनाथपुरा की मीनाक्षी व्यास, लक्ष्मीपुरा के रामदेव भील, बरूंधन की भारती शर्मा, और खड़ीपुर की रामबिलास गुर्जर, साथ ही तत्कालीन टक्व् वीरेंद्र भल्ला- को वसूली राशि के नोटिस थमाए गए थे। तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी भल्ला को ₹32 लाख 65 हज़ार 415 ब्याज सहित और ₹57 लाख 14 हज़ार 247 बिना ब्याज के वसूलने के नोटिस जारी किए गए थे।
कानूनी लड़ाई
बताया जा रहा है कि एक प्रभावशाली व्यक्ति ने अपने रसूख के बूते सारे नियम ताक पर रखकर तत्कालीन सचिव के साथ मिलकर इन चारों पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर धांधली की। प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद लोगों ने उच्च स्तर पर शिकायतें कीं। भाजपा से विधायक रहे अशोक डोगरा ने भी कलेक्टर से जांच की मांग की थी। लक्ष्मीपुरा, बरूंधन, रघुनाथपुरा और खड़ीपुर पंचायतों में वित्तीय अनियमितता की शिकायत के बाद कलेक्टर के निर्देश पर जांच कराई गई थी, जिसमें दोषी पाए जाने पर इन पंचायतों के सरपंच कार्यवाही से बचने के लिए कोर्ट की शरण में चले गए और स्थगन आदेश प्राप्त कर लिए।
खड़ीपुर सरपंच को नहीं मिली राहत
खड़ीपुर ग्राम पंचायत का यह मामला विशेष रूप से स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के 2023-24 के अंकेक्षण के दौरान पंचायत के बैंक खातों से राशि निकालकर रोकड़ में दर्ज न करने और ₹24 लाख 62 हज़ार 980 का गबन करने से जुड़ा है, जबकि विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितता का एक अलग मामला है।
यह भी पढ़े: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर भीषण हादसा: कोटा में खड़े ट्रक से टकराई मिनी-बस, 4 की मौत और 10 से ज्यादा घायल
जानकारी के अनुसार, खड़ीपुर सरपंच रामबिलास गुर्जर ने कार्यवाही से बचने के लिए राजनीतिक पार्टी भी बदली, लेकिन फिर भी उसे राहत नहीं मिल सकी। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है।