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राजस्थान में 100 से अधिक उपखंड हो सकते हैं खत्म, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस पर जोर

More than 100 subdivisions may be abolished in Rajasthan, emphasis on minimum government, maximum governance

जयपुर। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के अंतिम बजट में बनाए गए 17 में से 9 नए जिले और तीन नए संभागों को खत्म करने के बाद, अब भजनलाल सरकार एक और बड़ा प्रशासनिक फैसला लेने की तैयारी में है। सरकार की नजर उन उपखंड, तहसील और उप-तहसील कार्यालयों पर है जो वर्तमान मापदंडों पर खरे नहीं उतर रहे हैं।

दो या तीन तहसीलों पर एक उपखंड कार्यालय

राज्य सरकार दो या तीन तहसीलों के ऊपर एक ही उपखंड कार्यालय बनाने की योजना बना रही है। यदि यह योजना लागू होती है, तो प्रदेश में 100 से अधिक उपखंड कार्यालयों को कम किया जा सकता है, जो कुल उपखंडों का लगभग 32 प्रतिशत है। इस बड़े बदलाव के पीछे सरकार की श्मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंसश् की नीति है। इस संबंध में एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसने अब तक आधे जिलों से फीडबैक जुटा लिया है।

वर्तमान में प्रदेश में 323 उपखंड हैं, जो घटकर लगभग 213 तक हो सकते हैं। इसका अर्थ होगा कि 426 तहसीलों के हिसाब से भी, यदि एक उपखंड के अधीन कम से कम दो तहसीलें रखी जाती हैं, तो बड़ी संख्या में उपखंड कार्यालय खत्म होंगे।

समिति का फोकस और कार्यप्रणाली

गठित समिति को छह माह में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। इसके लिए समिति तीन प्रमुख कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

राजस्व इकाइयों का पुनर्गठनः- समिति संबंधित संभागों और जिलों से राजस्व इकाइयों के पुनर्गठन के लिए सुझाव लेगी और आवश्यक अनुशंसाएं करेगी।

प्रशासनिक इकाइयों की पद संरचनाः- यह कमेटी नवीन राजस्व इकाइयों के संबंध में मार्गदर्शी सिद्धांत तैयार करेगी। साथ ही, प्रशासनिक इकाइयों की पद संरचना, उनका आकार और कार्यों के अनुपात में पदों की आवश्यकता का आकलन करते हुए प्रशासनिक इकाइयों और राजस्व न्यायालयों की पदीय संरचना के संबंध में अनुशंसा करेगी।

जिलेवार अनुशंसाः- प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों और जन अपेक्षाओं के आधार पर सुलभ प्रशासन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्व इकाइयों के सृजन और पुनर्गठन के संबंध में जिलेवार अनुशंसा की जाएगी। कमेटी प्रशासनिक, तहसीलदार सहित विभिन्न कार्मिक संगठनों से भी मुलाकात कर उनके सुझाव लेगी।

पटवार सर्कलों पर भी पड़ सकता है असर

नियमानुसार, प्रत्येक पंचायत पर एक पटवार सर्कल होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में पंचायतों की तुलना में पटवार सर्कलों की संख्या कम है। सरकार का मानना है कि डिजिटलीकरण के इस दौर में पटवारी तक लोगों की सीधी पहुंच कम हुई है और अधिकांश कार्य ऑनलाइन हो गए हैं। ऐसे में समिति यह सुझाव भी दे सकती है कि क्या दो छोटी पंचायतों पर एक पटवार सर्कल किया जा सकता है। यदि पटवार सर्कलों की संख्या घटती है, तो इसका असर भू-अभिलेख निरीक्षक (आरआई) कार्यालयों पर भी पड़ेगा।

वर्तमान में प्रदेश में 323 उपखंड, 426 तहसील और 232 उप-तहसील हैं। इसी तरह, 2730 भू-अभिलेख निरीक्षक, 10971 पटवार सर्किल और 48,468 राजस्व गाँव हैं। उपखंड कम किए जाने का सीधा असर तहसील, उप-तहसील, आरआई और पटवार सर्कलों पर पड़ेगा।

अंतिम फैसला कैबिनेट में

सलाहकार समिति अपनी रिपोर्ट राजस्व विभाग को सौंपेगी। इसके बाद, कैबिनेट में इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा कि किस उपखंड, तहसील, उप-तहसील, आरआई सर्कल या पटवार सर्कल को कम किया जा सकता है।

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करीब छह महीने पहले भी सरकार ने सीकर, बांसवाड़ा और पाली संभागों के साथ-साथ सांचौर, अनूपगढ़, केकड़ी, गंगापुरसिटी, दूदू, शाहपुरा, नीमकाथाना, जोधपुर ग्रामीण और जयपुर ग्रामीण जैसे नए जिलों को समाप्त कर दिया था। यह नया प्रशासनिक पुनर्गठन राज्य में शासन को अधिक कुशल बनाने की दिशा में एक और कदम है।

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