Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Former Chief Minister Vasundhara Raje) के दिल्ली दौरे और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Chief Minister Bhajanlal Sharma) की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात (Meeting with Union Home Minister Amit Shah) के बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। सोमवार देर शाम को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से करीब 40 मिनट की इस मुलाकात में सत्ता और संगठन सहित कई मुद््दो पर चर्चा की। कहा जा रहा है कि भजनलाल सरकार के एक साल पूरा होने के मौके पर मंत्रिमंडल विस्तार की योजना (Cabinet expansion plan) बनाई जा रही है। इस विस्तार में वसुंधरा राजे खेमे के नेताओं को शामिल किए जाने की प्रबल संभावना है।
मंत्रिमंडल विस्तार में संभावित चेहरे
फिलहाल राजस्थान के मंत्रिमंडल में 6 पद खाली (6 posts vacant in Rajasthan cabinet) हैं। मौजूदा समय में मुख्यमंत्री समेत कुल 24 मंत्री पद भरे हुए हैं, जबकि नियम के अनुसार 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस खाली स्थान को भरने के लिए संभावित नामों की चर्चा जोरों पर है। वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं, जैसे कालीचरण सराफ, अनिता भदेल, श्रीचंद कृपलानी और पुष्पेंद्र सिंह राणावत का नाम सबसे आगे चल रहा है। ये चारों नेता वसुंधरा राजे के कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं और उनके विश्वासपात्र माने जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, जयदीप बियानी, आदूराम मेघवाल, हंसराज मीणा, रामविलास मीणा और गोवर्धन वर्मा जैसे नाम भी चर्चा में हैं। इन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देने की चर्चा इस बात का संकेत है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अब वसुंधरा राजे को फिर से संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका देने के लिए तैयार है।
राजे की सक्रियता का राजनीतिक संदेश
2023 में सरकार बनने के बाद राजे खेमे के विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। इसे वसुंधरा राजे को कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा गया। लेकिन हाल ही में जयपुर में सरकार की पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में वसुंधरा राजे को विशेष महत्व (Special importance to Vasundhara Raje) दिया गया, जहां उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात (Meeting with Prime Minister Narendra Modi) भी हुई। इसके बाद, वसुंधरा राजे दिल्ली दौरे पर गईं और फिर से पीएम मोदी से मिलीं।

इन मुलाकातों ने स्पष्ट कर दिया कि वसुंधरा राजे का प्रभाव भाजपा में बरकरार है। उनके हालिया दौरों के दौरान महिलाओं और आम जनता में उनकी लोकप्रियता फिर से उभरकर सामने आई है। इस सक्रियता को राजनीतिक विश्लेषक राजस्थान में उनके खेमे के पुनः सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम मान रहे हैं।
राजे समर्थकों के लिए उम्मीद
सिर्फ मंत्रिमंडल में ही नहीं, बल्कि अन्य राजनीतिक नियुक्तियों में भी वसुंधरा राजे खेमे के नेताओं को महत्व दिए जाने की संभावना है। कई निगम बोर्ड और प्रमुख पद, जिनमें बड़े राजनीतिक महत्व वाले पद शामिल हैं, राजे के समर्थकों को सौंपे जा सकते हैं। यह निर्णय भाजपा के राजस्थान में आगामी चुनावी समीकरणों को मजबूत करने का हिस्सा हो सकता है।
वसुंधरा राजे की नई भूमिका और भविष्य की रणनीति
भाजपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाने वाली वसुंधरा राजे को राजस्थान में एक वरिष्ठ नेता के तौर पर पुनः सशक्त भूमिका मिलने की चर्चा हो रही है। इससे न केवल उनके क्षेत्र झालावाड़ और हाड़ौती में विकास कार्यों में तेजी आएगी, बल्कि उनकी पकड़ राजस्थान की राजनीति में और मजबूत होगी।
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यह देखा जाना बाकी है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बीच की रणनीति वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों के लिए क्या रास्ते खोलती है। लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जो आगे की दिशा तय करेंगे।