Tiger Missing: राजस्थान के सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) जिले में स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park) से 25 बाघों के लापता होने की चौंकाने वाली खबर सामने आई है। इन 25 टाइगर का वन विभाग को कोई अता-पता नहीं है। ये कहां चले गए? क्या इनका शिकार कर लिया गया या प्राकृतिक मौत से मर गए? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए जांच कमेटी गठित की गई है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से 25 बाघों के लापता (25 Tigers Missing) होने पर राजस्थान के मुख्य वन्यजीव वार्डन और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) वन्यजीव पवन कुमार उपाध्याय का कहना है कि जब मैं मुख्य वन्यजीव वार्डन बना तब हमने बाघ निगरानी रिपोर्ट पढ़ना शुरू किया। इस संबंध में पहला पत्र अप्रैल 2024 में लिखा। हमें जवाब मिला लेकिन यह असंतोषजनक था। फिर हमने साप्ताहिक बाघ निगरानी रिपोर्ट मांगना शुरू किया।
पीसीसीएफ पवन कुमार उपाध्याय (PCCF Pawan Kumar Upadhyay) का कहना हैं कि 14 अक्टूबर 2024 की साप्ताहिक बाघ निगरानी रिपोर्ट के अनुसार 11 बाघ एक साल से अधिक समय से लापता हैं। लगभग 14 अन्य बाघ हैं जो एक साल से भी कम समय से लापता हैं। इसलिए, यह महसूस किया गया कि एक समिति बनाई जाए और इसकी जांच की जाए। ताकि बाघों की संख्या को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके।
साप्ताहिक बाघ निगरानी रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि 25 बाघों की मौजूदगी के पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए हैं कि वे कहां हैं? 14 बाघ की आखिरी फोटो ही छह माह पुरानी 15 मई 2024 की है। इस व्यवस्था में सुधार के लिए वन विभाग अपने स्तर पर ही कमेटी बनाकर मामले की जांच करवा रहे हैं।

पवन कुमार उपाध्याय ने बताया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक बनने के बाद रणथंभौर टाइगर रिजर्व का पहला दौरा किया तो देखा कि सवाई माधोपुर से शिवपुर की ओर जाने वाले मार्ग पर गांव बोदल के पास साल 2016 तक पतली सड़क हुआ करती थी, अब टू लेन हाईवे बन चुका था। उसके नीचे अंडर पास भी बनाए गए हैं।
पवन कुमार उपाध्याय के निर्देश पर वन विभाग के कर्मचारियों ने अंडर पास के नीचे कैमरा ट्रेप लगाए। मई 2024 की रिपोर्ट में पता चला कि साढ़े तीन हजार जंगली जानवरों ने उन अंडरपास का इस्तेमाल किया। उनमें चार टाइगर थे, जो अलग-अलग अंडरपास से निकले। उनमें दो टाइगर तो ऐसे थे, जो लंबे समय से दिखाई ही नहीं दे रहे थे।
पवन कुमार उपाध्याय का कहना हैं कि ऐसे में इन 25 लापता टाइगर (25 missing tigers) के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि इनका शिकार हो गया या ये मर गए। हो सकता है कि ये टाइगर कैमरा ट्रेप में नहीं आ पा रहे हैं। वन विभाग टाइगर की गिनती तीन तरह से करता है। एक पगमार्क, दूसरा डायरेक्टर साइटिंग और तीसरा कैमरा ट्रेप।
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डायरेक्टर साइटिंग और कैमरा ट्रेप (Director Sighting and Camera Trap) सबसे भरोसेमंद निगरानी स्रोत हैं। संभव है कि ये 25 टाइगर इन दोनों ही स्रोत्र के जरिए गिने नहीं जा रहे हैं। किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हकीकत तो जांच कमेटी की रिपोर्ट से पता चलेगी। रणथंभौर में कुछ समय पहले तक ऑन रिकॉर्ड 77 बाघ थे, जिनमें से दो टाइगर मारे गए। शेष 75 में से 25 के बारे में कोई सूचना नहीं।