जयपुर। राजस्थान में गहलोत सरकार के अंतिम छह महीनों में लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसलों की समीक्षा भाजपा सरकार द्वारा की जा रही है। इनमें भूमि आवंटन से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित मुद्दे शामिल हैं। इसके लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी अक्टूबर के पहले सप्ताह तक अपनी रिपोर्ट सौंपने की तैयारी कर रही है।
कैबिनेट सब कमेटी की समीक्षा बैठक
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में गहलोत सरकार के प्रमुख निर्णयों (Major decisions of Gehlot government) का रिव्यू किया गया। इस बैठक में विभिन्न विभागों से फैसलों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, और 29 अगस्त को फिर से बैठक आयोजित की जाएगी।
बैठक के बाद खींवसर ने कहा, “हम अगले दो से तीन सप्ताह में समीक्षा का कार्य पूरा कर लेंगे। विभागवार फैसलों का रिव्यू करते हुए संबंधित मामलों में रिपोर्ट तलब की जा रही है। आज 40 से अधिक मुद्दे हमारे सामने आए, जिनमें से कुछ पर आपत्तियां उठाई गईं हैं और उनके संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। आज की बैठक में मुख्य रूप से यूडीएच (शहरी विकास और आवास) और उद्योग विभाग के मामले चर्चा में थे।”
कांग्रेस सरकार पर आरोप
कैबिनेट सब कमेटी के सदस्य और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम छह महीनों (last six months of tenure) में बिना किसी ठोस आधार के और जल्दबाजी में कई फैसले लिए थे। इनमें भूमि आवंटन से जुड़े कई निर्णय शामिल हैं, जिन पर अब पुनर्विचार किया जा रहा है। कई मामलों में अनियमितताएं पाई गई हैं, जिनमें कुछ तकनीकी स्तर पर हैं और कुछ भावनात्मक निर्णयों पर आधारित हैं। उद्योग विभाग के अधिकांश मामले जमीन आवंटन से संबंधित हैं, जिनमें एक्सपर्ट की रिपोर्ट की आवश्यकता है।
आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप
खाद्य मंत्री सुमित गोदारा, जो कि सब कमेटी के सदस्य भी हैं, ने कहा कि “आचार संहिता लागू होने से एक-दो दिन पहले तक भी कई अनावश्यक फैसले किए गए, जिनका कोई ठोस आधार नहीं था। इन सभी की जांच की जा रही है और कई विभागों से रिपोर्ट तलब की गई है।”
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यह समीक्षा और जांच प्रक्रिया यह तय करेगी कि गहलोत सरकार के अंतिम महीनों में लिए गए निर्णयों में से किन्हें रद्द या संशोधित किया जाएगा।