पहले चरण में भरतपुर, अजमेर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बीकानेर, ब्यावर, और बूंदी बस स्टैंड को शामिल
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (Rajasthan Roadways) ने अपने पुराने और जर्जर बस स्टैंडों की स्थिति को सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। गुजरात मॉडल की तर्ज पर (On the lines of Gujarat model) राजस्थान के आठ प्रमुख बस स्टैंडों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इन बस स्टैंडों को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि वे यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं प्रदान कर सकें। इसके लिए पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत कार्य किया जा रहा है, जिसमें हर बस स्टैंड को तैयार करने में 150 से 200 करोड़ रुपये तक का खर्च होगा।
आधुनिक सुविधाओं की परिकल्पना
इन बस स्टैंडों को इस प्रकार डिज़ाइन किया जा रहा है कि वे न केवल यात्रियों के लिए बल्कि अन्य लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकें। चार मंजिला इमारतों में रेस्टोरेंट, कैफे, एसी वेटिंग हॉल, एटीएम, और सुलभ शौचालय जैसी सुविधाएं होंगी। ठहरने के लिए भी व्यवस्था की जाएगी, जिससे बस स्टैंड केवल एक यात्रा का माध्यम नहीं रहेगा, बल्कि एक संपूर्ण सेवा केंद्र के रूप में उभर सकेगा।
साथ ही, इन बस स्टैंडों को स्थानीय संस्कृति और हैरिटेज के आधार पर सजाया जाएगा (Bus stands will be decorated based on local culture and heritage), जिससे इनका डिज़ाइन न केवल आधुनिक होगा, बल्कि स्थानीय पहचान को भी दर्शाएगा। मॉल जैसी सुविधाएं और व्यावसायिक केंद्र बनाने की भी योजना है, जो आय के साधन को बढ़ावा देंगे।
पहले चरण में आठ बस स्टैंड शामिल
रोडवेज ने पहले चरण में भरतपुर, अजमेर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बीकानेर, ब्यावर, और बूंदी बस स्टैंड को शामिल किया है। इन सभी स्थानों का सर्वे पूरा हो चुका है और रिपोर्ट तैयार है। इसके लिए एक सलाहकार कंपनी को नियुक्त किया गया है जो इन योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए प्लान बना रही है।
हालांकि, कोटा और दूदू के बस स्टैंडों को भी इस योजना में शामिल किया गया था, लेकिन पीपीपी मॉडल पर इन्हें विकसित करने को लेकर वित्त विभाग ने आपत्ति जताई है। विभाग ने पहले इनकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट मांगी है।
आर्थिक संकट के बीच नया कदम
रोडवेज लंबे समय से घाटे में चल रहा है। हर महीने करीब 90 करोड़ रुपये का नुकसान झेल रहे इस निगम के पास बसों का संचालन तक मुश्किल हो रहा है। लेकिन रोडवेज के पास बड़ी जमीनें हैं, जिन्हें व्यावसायिक उपयोग में लाकर आय बढ़ाने और सौंदर्यकरण की योजना बनाई जा रही है।
इन बस स्टैंडों को बीओटी (बिल्ड, ऑपरेट, ट्रांसफर) मॉडल पर विकसित (Developed on the model) किया जाएगा। इसके तहत, निजी डेवलपर्स को आमंत्रित किया जाएगा, जो बस स्टैंडों का निर्माण और संचालन करेंगे। डेवलपर्स को बस स्टैंड के एक हिस्से को व्यावसायिक उपयोग के लिए दिया जाएगा, जबकि दूसरे हिस्से में रोडवेज बसों का संचालन होगा। इससे आय के साथ-साथ यात्रियों के लिए सुविधाएं भी बढ़ेंगी।
गुजरात मॉडल की तर्ज पर विकास
गुजरात में जिस तरह से बस स्टैंडों का विकास किया गया है, उसी तर्ज पर राजस्थान के बस स्टैंडों को भी उन्नत बनाया जाएगा। यह मॉडल न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि रोडवेज के लिए आय का स्रोत भी बनेगा। यात्रियों को अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ कॉमर्शियल स्पेस से डेवलपर्स आय अर्जित करेंगे।
यात्रा का नया अनुभव
बस स्टैंड पर प्रवेश और निकासी के लिए अलग-अलग व्यवस्था होगी। यह न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि भीड़भाड़ और अव्यवस्था को भी कम करेगा। बस स्टैंड पर वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भी पूरी योजना बनाई गई है, जिससे यहां आने वाले लोग समय बिता सकें और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।
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रोडवेज के एमडी का बयान
रोडवेज के एमडी पुरुषोत्तम शर्मा का कहना है कि इस योजना के तहत पूरे बस स्टैंड का संचालन और रखरखाव निजी कंपनियों द्वारा किया जाएगा। यह कदम न केवल रोडवेज के सौंदर्यकरण के लिए मददगार होगा, बल्कि इससे निगम को घाटे से उबरने में भी मदद मिलेगी।