राजस्थान में केंद्र सरकार की योजना के तहत पम्प स्टोरेज पॉवर प्लांट के निर्माण के लिए लगभग 15 लाख पेड़ों की कटाई की तैयारी चल रही है। सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए मंजूरी भी दी जा चुकी है, जिसमें सिरोही, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, करौली, बूंदी और टोंक सहित 17 स्थानों पर 4800 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जाएगा। इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से राज्य के पर्यावरण और जैव विविधता को गहरा नुकसान होने की संभावना है।
इंटेक का पोस्टकार्ड अभियान
सरकार के इस निर्णय के खिलाफ विरोध तेज हो रहा है। भीलवाड़ा की संस्था भारतीय सांस्कृतिक निधि (INTACH) ने इस मुद्दे को लेकर पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 51,000 पोस्टकार्ड (51,000 postcards) भेजे जाएंगे, जिसमें इस पर्यावरणीय खतरे को रोकने की अपील की जाएगी। इंटेक के संयोजक और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू (Environmentalist Babulal Jaju) ने इस पहल का नेतृत्व कर रहे है।
वनों की स्थिति और खतरा
जाजू के अनुसार, राज्य में वन क्षेत्र पहले ही 13.5% से घटकर 9% रह गया है। वनों की सघनता, जो पहले 0.8 थी, अब घटकर 0.3 रह गई है। इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से पर्यावरण के साथ-साथ पक्षियों और वन्यजीवों की करोड़ों प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में आ सकता है। यह क्षेत्र जीव जंतुओं का बसेरा है, जिसे काटने से ना सिर्फ वन्यजीवन प्रभावित होगा, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा हो जाएगा।
विकल्प और न्यायालय की शरण
जाजू ने सरकार से आग्रह किया है कि पावर प्लांट्स (power plants) को वन क्षेत्रों के बजाय रिक्त भूमि पर स्थापित किया जाए। यदि सरकार पेड़ों की कटाई के निर्णय को रद्द नहीं करती है, तो संस्था न्यायालय में जाकर इस परियोजना को चुनौती देने की योजना पर काम करेगी।
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अभियान की शुरुआत
पोस्टकार्ड अभियान की शुरुआत भीलवाड़ा में हुई, जहां इंटेक के पदाधिकारी गुमान सिंह पीपाड़ा, दिलीप गोयल, ओम हिंगड़, देवेंद्र देराश्री, ओम सोनी, रामगोपाल अग्रवाल, विद्यासागर सुराणा, अब्बास अली बोहरा और अन्य प्रमुख सदस्यों ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड लिखकर अपनी अपील भेजी। इस अभियान में खासकर विद्यार्थियों और युवाओं को शामिल किया जाएगा, ताकि वे पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम (This environmental protection campaign) का हिस्सा बन सकें।