बूंदी। जिला मुख्यालय पर स्थित रोडवेज बस स्टैंड गंदगी पर गंदगी के अंबार (Piles of dirt on roadways bus stand dirt) लगे है और शोचालय सड़ान्ध मार रहे है (toilets are rotting), जिसके चलते यात्री नाक को सिकोडते और मुंह पर रुमाल बांधने के लिए मजबूर (Passengers forced to wrinkle their noses and tie handkerchiefs over their mouths) हो रहे हैं। यहां तक की कर्मचारियों को भी गंदगी को देखकर शर्मसार होना पड़ रहा है। लेकिन यहां के रोडवेज प्रबंधक का इस और कोई ध्यान नहीं है।
जानकारी के अनुसार हाल ही में नगर परिषद द्वारा सीसी प्लेटफार्म का निर्माण करीब 2 करोड रुपए की लागत से करवाया था। इस दौरान यहां बने पुराने शौचालयों को ध्वस्त किया गया था जो गंदगी से आटे पड़े हुए थे। क्योंकि नगर परिषद द्वारा केवल प्लेटफार्म निर्माण के ही टेंडर करवाए गए थे। लेकिन रोडवेज अधिकारियो ने ठेकेदार को विश्वास में लेकर शौचालय के लिए ईंटों के स्ट्रक्चर खड़े करवा दिए (Erected brick structures for toilets)। लेकिन उसमें फर्स, प्लास्टर और ढ़कान नहीं करवाया। सोचालय से मुत्र निकासी के पुख्ता इंतजाम भी नही किए गए, जिसके चलते ईटों के ये ढांचे मुत्र से भरे पडे है। हालात यह है कि शौचालय बदबू और सड़ांध के केंद्र बन गए हैं। गंदगी बाहर तक फैली हुई है, स्थिति ऐसी है कि लोग शौचालय के ढांचे तक पहुंच नहीं पाते और दूर से ही सोच करके निकल जाते हैं, जिससे यह गंदगी आगे बढ़ती जा रही है।
बस स्टैंड निवर्तमान पुलिस चौकी के निकट कोटा की बसें लगती है। इसके पास ही एक ईंटो का ढांचा खड़ा करके शौचालय बनाया गया है, इसमें ना तो फर्श किया गया है ना ही ईटों के ढांचे पर प्लास्टर किया गया है, जिसे महिला और पुरुषों के लिए रखा गया है। हालत यह है कि उसे शौचालय से निकलने वाला मूत्र उल्टा बाहर की ओर आ रहा है। जिससे यह बाहर तक फैल गया है। वहीं दूसरी ओर यहां कचरे के ढेर लगे हुए हैं, जिस पर भी रोडवेज प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। यहां कोटा जाने वाली यात्रियों को यह बदबू इतनी तकलीफ देती है कि यह लोग अपनी नाक सिकोड लेते हैं और मुंह पर कपड़ा लगा लेते हैं।

वहीं दूसरी और एक और शौचालय केशोरायपाटन विंडो के सामने बनाया गया है, जिसमें एक तरफ पुरुष और एक तरफ महिला के लिए सुविधा का हवाला दिया है। लेकिन यहां भी केवल ढांचा खड़ा किया गया है, जिससे चलते गंदगी उसी में भरी हुई है और हालात यह है कि लोग इधर-उधर ही सोच कर के निकल जाते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी तो यहां महिलाओं को झेलनी पड़ती है।
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रोडवेज के मुख्य प्रबंधक की अनदेखी की इस बात से भी झलकती है कि एक और रोडवेज यात्रियों को सुविधा और स्वच्छ वातावरण देने का प्रयास करता रहा है, तो दूसरी ओर केशोरायपाटन विंडो के यहां बना यात्री प्रतीक्षा भी गंदगी का अंबार बना हुआ है। यहां इधर-उधर कपड़े और गोबर फैला हुआ है, जिस पर यहां के प्रबंधक का कोई ध्यान नहीं है। मामले में रोड़वेज प्रबंधक से संपर्क किया तो उन्होने फोन रिसीव नहीं किया।