टोंक/दूनी, (रिपोर्टर चेतन वर्मा)। अयोध्या में होने वाले श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम (Shri Ram Mandir Pran Pratistha Program) को लेकर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग उत्साहित नजर आ रहे हैं। वस्तुत यह दिन समर्पित होना चाहिए उन कारसेवकों के संघर्ष को जिन्होंने रामकाज के लिए युवावस्था में अपने घर परिवार छोड़कर सरकार एवं विधर्मियो से लोहा लिया और जेल में भी रहे।
इसके उदाहरण है देवली उपखंड के दूनी तहसील के आँवा गांव से अयोध्या पहुंचने वाले चार-चार राम भक्त कारसेवक (Four Ram devotee kar sevaks reaching Ayodhya from Aanva village of Dooni tehsil)। दरअसल यहां से चार रामभक्त कारसेवक 1990 एवं 1992 में अलग-अलग समय अयोध्या पहुंचे जिनमे यहां से 30 अक्टूबर 1990 में रामलाल गुर्जर,लक्ष्मण सिंह सोलंकी व गोपीकृष्ण वैष्णव तथा 6 दिसंबर 1992 को गणेश दाधीच व गोपीकृष्ण वैष्णव अयोध्या कारसेवा में पहुंचे। उस समय के संघर्ष की कहानियां आज भी जब गांव में इनकी जुबानी सुनते है तो सब रोमांचित हो उठते हैं। ये बताते है कि आसपास के सभी कारसेवक देवली से युगपुरुष स्वर्गीय दामोदर जी भाईसाब एवं उस समय के विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष दिनेश जी गौतम के नेतृत्व में अयोध्या गए थे। उसमें दूनी देवली से राजेंद्र बागड़ी,रामेश्वर साहू,ललित जैन,पदम कोठरी, गिरिराज जोशी, नरेंद्र गुगलिया, स्व.राजू सोनी सहित करीब 30 कारसेवक थे।

कारसेवक रामलाल गुर्जर बताते है कि वे 1990 में 25 अक्टूबर को दूनी व आसपास के रामभक्तो के साथ अयोध्या के लिए रवाना हुए थे परंतु फैजाबाद स्टेशन के पास उन्हें साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में ये फतेहगढ़ जेल में रहे। उस समय मुलायम सिंह सरकार ने कारसेवकों पर गोलियां चलाई और सैकड़ो कारसेवक रामजन्म भूमि (Karsevak Ramjanmabhoomi) पर पहुंच कर राम के काम आ गए परंतु उस समय रामजन्म भूमि पर कारसेवको ने भगवा झंडा अवश्य गाड़ ही दिया था।

उस वर्ष जैल में ही हुई थी दीवाली
1990 में अयोध्या गए आवा निवासी कारसेवक लक्ष्मण सिंह सोलंकी बताते है कि वे आमरवासी सरकारी सेवा में थे और 26 अक्टूबर को जहाजपुर से कारसेवा के लिए बस से रवाना हुए और मांडलगढ़ से ट्रेन द्वारा सहारनपुर पहुंचे थे उन्हें कहीं बार बीस-पच्चीस किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बरेली अस्थाई जेल में रखा। वहां से उन्हें बरेली सेंट्रल जेल में तकरीबन बीस दिन बिताने पड़े। उस वर्ष दीवाली और देवउठनी एकादशी का त्यौहार भी जेल में ही आया था। बरेली जेल में उन्हें दैनिक जागरण समाचार पत्र पढ़ने को दिया जाता था जिससे कारसेवको की खबरें पढ़ने को मिलती थी। वे आगे बताते है कि गोली कांड के समय कारसेवकों की लाशों को रेत के बोरों से बांधकर सरयू में डाल दिया गया था। सैकड़ों रामभक्त अयोध्या से वापस नहीं लोट सके थे। वे बताते है कि मन में संकल्प कर लिया था रामजन्म भूमि पर अवश्य जायेंगे और स्थिति सामान्य होने पर वे अयोध्या पहुंच सके।

कंधे पर बिठा कर ढांचे पर चढ़ाया था साथी कारसेवकों को।
6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा विध्वंस के समय गांव से अयोध्या गए 58 वर्षीय रामभक्त गणेश दाधीच बताते है कि उस समय युवावस्था में उनका शरीर सौष्ठव तगड़ा था और बाबरी ढांचे के चारों तरफ गहरी खाई लगी हुई थी तब साथी कारसेवकों को कंधे पर बिठाकर ऊपर चढ़ाने का कार्य उन्हें मिला था जिसे वह जीवन का सबसे शोभाग्यशाली कार्य मानते है।
मन्दिर प्राणप्रतिष्ठा में अयोध्या जाने की है प्रबल इच्छा
कारसेवकों से बात करने पर रामलाल गुर्जर व लक्ष्मण सिंह सोलंकी ने मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में अयोध्या जाने की प्रबल इच्छा जताई। परंतु अधिक भीड़ हो जाने एवं सुरक्षा कारणों से बंदिशे लगी हुई है जिसका इन्हें मलाल है। परंतु प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन करने अवश्य जाएंगे। इच्छा इतनी प्रबल है कि एक कारसेवक गणेश दाधीच तो यज्ञ हवन के प्रयोजन पंडितों के साथ पास बनवाकर अयोध्या पहुंच चुके है।
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22 जनवरी को गोपाल मंदिर समिति द्वारा कारसेवको का किया जाएगा सम्मान।
गोपाल मंदिर समिति के सुरेंद्र सिंह नरूका एवं किशन पारीक ने बताया कि आगामी 22 जनवरी को मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दिन गांव में दिवाली जैसा माहौल होगा तथा कारसेवकों का सम्मान समारोह आयोजित कर जुलूस निकाला जाएगा। समिति के ओमप्रकाश स्वर्णकार एवं प्रवीण पारीक ने बताया कि पूर्व में भी राम मंदिर शिलान्यास के अवसर पर 5 अगस्त 2020 को समिति द्वारा कारसेवकों का माला साफा एवं राम दरबार की तस्वीर भेंट कर स्वागत सम्मान किया गया था।