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IPS किशन सहाय की बेबाक राय, बोले- ईश्वर, अल्लाह, गॉड जैसी कोई शक्ति नहीं, देश को विज्ञानवाद की जरूरत

IPS Kishan Sahay's frank opinion, said - There is no power like Ishwar, Allah, God, the country needs scientism.

जयपुर। राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी आईजी मानवाधिकार किशन सहाय ने धर्म और भगवान पर एक बयान देते हुए कहा कि ईश्वर, अल्लाह, गॉड जैसी कोई शक्ति न कभी थी, न है। उनके इस बयान ने धार्मिक मान्यताओं पर एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि अगर लोग मानते हैं कि भगवान से उन्हें हिम्मत मिलती है, तो यह सिर्फ एक भ्रम है, क्योंकि धर्मग्रंथों में जिन शक्तियों का जिक्र किया गया है, वे केवल कल्पना मात्र हैं।

भारत विज्ञान-तकनीक में पिछड़ा, धर्म के कारण

सहाय का कहना है कि भारत में 98 प्रतिशत लोग धार्मिक दृष्टिकोण रखते हैं, फिर भी देश विज्ञान और तकनीक (Country Science and Technology) में पिछड़ा हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक देश वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं अपनाता, तब तक वह प्रगति नहीं कर सकता। धर्म से जुड़े देशों के उदाहरण देते हुए सहाय ने कहा, धार्मिक दृष्टिकोण (Religious viewpoint) वाले देश विज्ञान और तकनीक में पीछे हैं। उन्होंने इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि इजराइल विज्ञान और तकनीक के जरिए जीत रहा है, जबकि हमास और उनके सहयोगी इस्लामिक देशों के साथ अल्लाह की कोई मदद नहीं दिख रही।

गुलामी के समय भी भगवान ने मदद नहीं की

किशन सहाय ने भारतीय इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने सदियों तक गुलामी झेली, और उस समय भी भगवान या अल्लाह ने कोई मदद नहीं की। चाहे अरब, तुर्क, मुगल आए हों या बाद में अंग्रेज, किसी भी धर्म की कोई शक्ति भारतीयों को गुलामी से नहीं बचा सकी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भगवान होते, तो वह देश को गुलामी से बचाते।

विज्ञान और तकनीक ही प्रगति की कुंजी

आईपीएस किशन सहाय (IPS Kishan Sahay) का मानना है कि विज्ञान और तकनीक ही किसी देश को प्रगति की राह पर ले जा सकती है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि जिन देशों के पास बेहतर तकनीक और हथियार थे, वही देश आगे बढ़े हैं। उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन में 90 प्रतिशत लोग भगवान पर विश्वास नहीं करते, फिर भी वह देश विज्ञान और तकनीक में शीर्ष पर है और प्रगति कर रहा है। इसके विपरीत, भारत में 98 प्रतिशत लोग धार्मिक हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कमी के चलते पिछड़े हुए हैं।

धर्मग्रंथों की व्याख्या- कल्पना मात्र

सहाय ने अपने बयान में धर्मग्रंथों की व्याख्या को कल्पना मात्र कहा। उन्होंने बताया कि जब धर्मग्रंथ लिखे गए थे, तब विज्ञान का अस्तित्व नहीं था, इसलिए जिन शक्तियों का जिक्र धर्मग्रंथों में है, वे आज के वैज्ञानिक युग में प्रासंगिक नहीं हैं। उन्होंने देश के युवाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और रोजगार के अवसर पैदा करने पर जोर दिया, ताकि वे बेरोजगारी से निजात पा सकें।

देश को विज्ञानवाद की ओर ले जाने की अपील

किशन सहाय ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर देश को सही दिशा में ले जाना है, तो सभी लोगों को विज्ञानवाद को अपनाने की कोशिश करनी होगी। उन्होंने कहा कि जो देश विज्ञान को बढ़ावा दे रहे हैं, वही आज प्रगति कर रहे हैं। भगवान या अल्लाह से देश को मदद की उम्मीद करना व्यर्थ है, क्योंकि विज्ञान ही भविष्य की कुंजी है।

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प्रमोटी आईपीएस अधिकारी, एक निडर और बेबाक व्यक्तित्व

आईजी किशन सहाय, जो कि प्रमोटी आईपीएस अधिकारी हैं, ने 2013 में आईपीएस का पद ग्रहण किया। अपने करियर में विभिन्न पदों पर रहते हुए, उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। उनके निडर और स्पष्ट विचार उनकी बेबाकी को दर्शाते हैं, जिसने उन्हें हमेशा चर्चा में बनाए रखा है। वर्तमान में वह मानवाधिकार विभाग में आईजी के पद पर तैनात हैं।

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