राजस्थान के अजमेर में एक हाई-प्रोफाइल मामले ने तूल पकड़ लिया है। कोर्ट ने IPS-IAS समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी (Arrest warrant issued against 12 officers) कर दिया है। यह मामला जून 2023 का है, जब इन अफसरों पर एक होटल के कर्मचारियों के साथ मारपीट करने का आरोप (Accused of assaulting hotel staff) लगा था। पुलिस द्वारा क्लीन चिट देने के बावजूद, जब मामला कोर्ट में पहुंचा, तो सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त आदेश जारी कर दिए गए।
कैसे हुआ विवाद: होटल में शराब पार्टी के बाद मारपीट
घटना अजमेर के जयपुर रोड स्थित होटल “मकराना राज” (Hotel “Makrana Raj”) की है। 11 जून 2023 की रात आईपीएस सुशील बिश्नोई और आईएएस गिरधर समेत कई अफसर होटल में पार्टी कर रहे थे। बताया जा रहा है कि पार्टी के दौरान अफसरों ने जमकर शराब पी। नशे की हालत में आईपीएस सुशील बिश्नोई जब टॉयलेट के लिए अंदर गए, तो उनकी होटल के कर्मचारियों से कहासुनी हो गई। यह विवाद इतना बढ़ गया कि उन्होंने कर्मचारियों के साथ मारपीट कर दी। होटल में लगे सीसीटीवी कैमरों में पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई, जो अब इस केस का सबसे मजबूत सबूत बन गया है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल, होटल कर्मचारियों पर चला डंडा
घटना के तुरंत बाद होटल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि जब गेगल थाना पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्होंने उल्टा होटल कर्मचारियों को डंडों से पीटना शुरू कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम के भी सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं। तत्कालीन पुलिस अफसरों ने इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की, ताकि आरोपी अधिकारियों को किसी तरह बचाया जा सके। हालांकि, मामला हाई-प्रोफाइल होता गया और पीड़ित होटल कर्मचारी तेजपाल और अन्य ने मजबूरी में न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद, पुलिस ने आरोपियों को बचाने की हरसंभव कोशिश की।
एफआर रिपोर्ट पर उठे सवाल, कोर्ट ने लिया एक्शन
इस पूरे विवाद में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई थी। पुलिस ने मामले को रफा-दफा करने के लिए तत्कालीन एएसपी के निर्देश पर अजमेर न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रमांक 2 के समक्ष एफआर (फाइनल रिपोर्ट) पेश कर दी। लेकिन पीड़ित पक्ष ने हार नहीं मानी और कोर्ट में सीसीटीवी फुटेज सबूत के तौर पर पेश कर दिए। इन फुटेज की बारीकी से जांच की गई, जिसके बाद कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने इस मामले में भारी लापरवाही बरती थी। इसके बाद कोर्ट ने एफआर को नामंजूर कर दिया और 12 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए।
एसपी कराएंगे अफसरों को वारंट तामील
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, आरोपी अफसरों ने पुलिस जांच में सहयोग नहीं किया। इसे देखते हुए अब कोर्ट ने वारंट तामील की जिम्मेदारी अजमेर के एसपी को सौंप दी है। अब पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती है कि वे इन हाई-प्रोफाइल अधिकारियों के गिरफ्तारी वारंट तामील की कैसे सुनिश्चित करेंगे।
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क्या होगा अगला कदम?
इस मामले ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। आईपीएस और आईएएस अफसरों पर लगे गंभीर आरोपों ने सरकार और पुलिस विभाग की साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि पुलिस इस मामले में कोर्ट के आदेशों का कितना पालन करती है और क्या आरोपी अफसरों को कानून के दायरे में लाया जा सकेगा।