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हाईकोर्ट ने कहा- पुलिस और बजरी माफिया मिले हुए हैं, CBI 60 दिन में करें टोंक में हुए हत्याकांड की जांच

High Court said- Police and gravel mafia are in collusion, CBI should investigate the Tonk murder case in 60 days.

जयपुर। टोंक में बजरी माफियाओं के खिलाफ जांच अब CBI करेगी। दरअसल, हाईकोर्ट ने टोंक के पीपलू थाना क्षेत्र में करीब एक साल पहले बजरी से भरे ट्रैक्टर के ड्राइवर की मौत के मामले में जांच सीबीआई को सौंप दी है। हाईकोर्ट ने कहा- इस पूरे मामले में अब पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पुलिस और बजरी माफिया मिले हुए हैं।

अदालत ने CBI से कहा कि वह 60 दिन में मामले की जांच पूर्ण कर रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में पेश करें। जस्टिस समीर जैन (Justice Sameer Jain) ने यह आदेश अभिषेक और नीरज की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए। कोर्ट ने कहा कि 29 जून 2023 को पीपलू थाने में युवक शंकर मीणा की हत्या का मामला (Shankar Meena murder case) दर्ज किया गया था। पुलिस ने घटना के 3 दिन बाद धरना-प्रदर्शन और राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज किया था।

हाईकोर्ट (High Court) ने कहा कि पूरे मामले में पुलिस ने बजरी लीज होल्डर (Gravel lease holder) के खिलाफ एक साल पूरा होने के बाद भी जांच को पेंडिंग रखा हुआ है। केवल बजरी लीज होल्डर के यहां नाके पर काम करने वाले लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। साथ ही पूरे मामले को पहले एक दुर्घटना बता कर 3 दिन तक इसमें FIR दर्ज नहीं की गई। कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में मेडिकल बोर्ड की भूमिका भी संदिग्ध है।

सरकारी वकील शेर सिंह महला ने कहा कि अदालत ने अपने आदेश में लिखा है कि जिस तरह से युवक की हत्या की गई है। इससे लगता है कि बजरी लीज होल्डर यह एग्जाम्पल सेट करना चाहते थे कि उनके इलाके से कोई बजरी चुराकर नहीं ले जा सकता है। इसलिए युवक के साथ बुरी तरह से मारपीट की गई, जिसके चलते उसकी मौत हो गई।

वहीं मृतक की ओर से पैरवी करने वाले वकील मोहित बलवदा ने कहा कि कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी माना है कि घटना वाले दिन आरोपियों ने ही रात को पुलिस को फोन करके बुलाया था। यह जानकारी पुलिस ने रोजनामचे में दर्ज नहीं की। साथ ही आरोपियों के साथ मिलकर पुलिस ने पूरी घटना को दुर्घटना का रूप देने की भी कोशिश की है।

याचिका में कहा कि हत्या के 3 दिन बाद 29 जून, 2023 को पीपलू थाने में प्रकरण दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ताओं को मामले में झूठा फंसाया गया है। याचिका में कहा कि मृतक बजरी चोरी करने वाला आदतन अपराधी था, इसके अलावा चिकित्सक ने अपने बयान में कहा कि युवक की मौत चोट लगने से नहीं हुई थी। मृतक शराब का आदि था, ऐसे में उल्टी गले में फंसने के कारण उसकी मौत हुई थी। वहीं, FSL रिपोर्ट भी उनके खिलाफ नहीं है। इसके विरोध में पीड़ित पक्ष की ओर से अधिवक्ता मोहित बलवदा और उमा शंकर पांडे ने कहा कि उन्होंने समय पर रिपोर्ट दी थी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के दबाव के बाद ही रिपोर्ट दर्ज की गई।

वहीं, मृतक के गले पर गंभीर चोट सहित कुल 14 चोटें आई थी (The deceased had a total of 14 injuries including a serious injury on the neck), जिसके कारण उसकी मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्देश के तहत पीड़ित पक्ष एससी, एसटी वर्ग का होने के बावजूद उसे कानूनी कार्रवाई के लिए उचित संसाधन मुहैया नहीं कराए गए और ना ही पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी का गठन किया गया। गौरतलब है कि शंकर अपने साथियों के साथ अवैध रूप से बजरी भरकर ला रहा था, रास्ते में लीजधारक के लोगों ने उसके ट्रैक्टर को टक्कर मारी थी और बाद में उसकी हत्या हो गई थी।

27 जून 2023 को पीपलू थाना क्षेत्र में बजरी से भरे ट्रैक्टर के ड्राइवर शंकर मीणा की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी। घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी। लेकिन, पूरे मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया। अगले दिन गुस्साए ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में स्थानीय राजनेता भी शामिल हुए। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया।

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गौरतलब है कि इस मामले में बजरी रॉयल्टी नाके के 8 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 2 जुलाई 2023 को मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी।

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