बहुत देर की मेहरबां आते-आते। यह दाग देहलवी के शेर की लाइन सूनी ही होगी। अब आने का क्या फायदा, जब आने का कोई मतलब नहीं रह गया। जाहिर है, किसी शख्स के इंतजार के दर्द को बयां करता है। पर यहा बात एक जॉब की अर्जी की हो रही है। जिसका जवाब आने मे पूरे 48 साल लग गए है। इंतजार करने वाले की ना जाने कितनी लंबी रातें इस इंतजार मे गुजर गईं।
आखिरकार जब जवाब आया तो उस इंतजार का कोई मतलब न रहा। हम बात कर रहे है इंग्लैंड की एक महिला टिजी हॉडस( Tizzy Hodus, a woman from England)की जो कि अपनी जवानी मे नौकरी के लिए अर्जी भेजी थी। कई दिनो तक उस जवाब का इंतजार करती रही। उम्मीद थी यह नौकरी वह हासिल कर लेंगी। परऐसा नही हुआ। अब जब बूढ़ी हो चुकी है। तब उन्हें उनकी नौकरी की अर्जी का जवाब मिला है। जैसे ही उन्होंने उस खत को पढ़ा तो सारी सच्चाई सामने आ गई। उन्है 48 साल बाद पता चला उनकी अर्जी का जवाब आने मे इतनी देर क्यों हुई।
टिजी हॉडस अब 70 साल की हो चुकी है। इंग्लैंड के लिंकनशायर के गेडने हिल मे रहती है। हाल ही उनके पास डाक से एक लिफाफा आया जिसे उन्होंने खोला तो उनकी आंखें फटी रह गईं। लिफाफे के अंदर वही अर्जी थी जो उन्होंने 48 साल पहले एक नौकरी के लिए भेजी थी। टिजी एक स्टंटवुमैन थी। 1976 मे वह एक मोटरसाइकिल स्टंट राइडर बनना चाहती थी। उन्होंने जनवरी 1976 में इसी नौकरी के लिए आवेदन किया था। खत के ऊपर लिखा था कि पोस्ट ऑफिस की एक दराज के पीछे फंसा हुआ था।
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जिसकी वजह से डिलीवर नही हो पाया। यह लिफाफा करीब 50 साल लेट होकर अब लौटाया जा रहा है। पोस्ट ऑफिस की इस गलती के बावजूद, उनके करियर पर इसका कोई असर नही पड़ा है। उन्होंने अपने जीवन मे कई बाइक स्टंट किए है। 50 से ज्यादा बार घर बदला, 4-5 बार देश बदले है। पर वह हमेशा यह सोचती रही आखिर उन्हे जवाब क्यों नहीं मिला। हैरानी की बात है कि इतने सालो जगह बदलने के बावजूद डाक विभाग ने उन्हें ढूंढ लिया है।