बून्दी। खुशखबरीः जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व को एक नया टाइगर राजा मिलने जा रहा है, जिससे टाइगर रिजर्व की रौनक और पर्यटकों का आकर्षण बढ़ने की संभावना है। सरिस्का टाइगर रिजर्व से हरियाणा के झाबुआ जंगलों तक भटकता (Wandering from Sariska Tiger Reserve to Jhabua forests of Haryana) हुआ तीन साल का युवा बाघ “टाइगर 2303” (Tiger 2303) अब रामगढ़ में अपनी नई टेरिटरी (Our new territory in Ramgarh) स्थापित करने के लिए तैयार है। रविवार को वन विभाग की टीम ने इस बाघ को झाबुआ के जंगलों में ट्रेंकुलाइज कर उसे शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बूंदी रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक संजीव कुमार शर्मा का कहना है कि टाइगर एसटी 2303 (Tiger ST 2303) रात के 2 बजे के करीब बूंदी पहुंचने पर सॉफ्ट एन्क्लोजर में शिफ्ट किया जाएगा, कुछ दिन सॉफ्ट एन्क्लोजर (Soft Enclosure) में रखने के बाद इसे जंगल में छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बूंदी जिले वासियों के लिए सुःखद खबर है और इससे प्रकृति और पर्यटन विकास में वृद्वी से जिले वासियों को लाभ मिलेगा। रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
रामगढ़ के नया राजा 2303 का स्वागत
रामगढ़ टाइगर रिजर्व (Ramgarh Tiger Reserve) के पर्यावरण को नया जीवन देने के लिए टाइगर 2303 का स्वागत करने की तैयारियां जोरो से की जा रही है। लगभग तीन साल का यह टाइगर हृष्ट-पुष्ट है और रामगढ़ के जंगलों में उसके मूवमेंट से यहाँ के बाघों की संख्या में इजाफा होगा। पहले से ही मौजूद रणथंभौर से आया बाघ आरवीटी-1 इस क्षेत्र में अपनी टेरिटरी बना चुका है। अब रामगढ़ में दो नर और एक मादा बाघ के साथ-साथ अन्य मादा बघिनि भी है, जिससे इस इलाके में बाघों का कुनबा बढ़ने की पूरी संभावना है।

सरिस्का से निकल हरियाणा के झाबुआ के जंगलों में थी टाइगर 2303 की मुवमेंट
सरिस्का के टाइगर 2303 पिछले एक साल से अपनी नई टेरिटरी की तलाश में था। इस दौरान दो बार उसने सरिस्का की सीमा से बाहर निकलकर हरियाणा के झाबुआ के जंगलों में शरण ली थी। वन विभाग की टीम इस बाघ की लगातार निगरानी कर रही थी, लेकिन फसलें खड़ी होने के कारण उसे ट्रेंकुलाइज करना कठिन साबित हो रहा था। अंततः रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे इसे ट्रेंकुलाइज (Tranquilize) किया गया और रामगढ़ ले जाने के लिए टीम रवाना हो चुकी है।
नई टेरिटरी में बसने जा रहा है टाइगर एसटी-2303
राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर (Rajasthan-Haryana Border) पर झाबुआ के ग्रामीण इलाकों में इस बाघ के मूवमेंट से स्थानीय लोग दहशत में थे। बाघ का बार-बार जंगल से निकलकर बस्तियों के नज़दीक आना वन विभाग के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ था। खैरतल, वन अधिकारी संग्राम सिंह के अनुसार, टाइगर एसटी-2303 को ट्रेंकुलाइज करने के बाद अब यह बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में अपनी नई टेरिटरी में बसने जा रहा है। इससे स्थानीय बाशिंदों को भी राहत मिली है।
सॉफ्ट एन्क्लोजर में छोड़ा जाएगा
टाइगर 2303 को शुरुआत में सॉफ्ट एन्क्लोजर में रखा जाएगा, जिससे वह नए वातावरण के साथ सामंजस्य बिठा सके। वन विभाग का मानना है कि इस नए बाघ के आने से रामगढ़ में वन्यजीवों का साम्राज्य और मजबूत होगा और पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक नया केंद्र बनेगा।
प्रकृति और पर्यटकों के लिए उत्साहजनक अवसर
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में एक और बाघ की आमद से इस क्षेत्र की जैव विविधता को संजीवनी मिलेगी। इसके अलावा, पर्यटकों को भी एक अद्वितीय वन्यजीव अनुभव प्राप्त होगा। उम्मीद की जा रही है कि यह नया बाघ आने वाले समय में रामगढ़ के जंगलों में अपनी खुद की टेरिटरी बनाकर वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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रामगढ़ में टाइगर 2303 का आगमन न केवल वन्यजीवों के संरक्षण बल्कि पर्यटन में भी नए अवसर खोलेगा, जिससे इस क्षेत्र के विकास और संवर्धन में सहयोग मिलेगा।
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