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राजस्थान में गहलोत की 7 गारंटी बनाम पीएम मोदी की एक गारंटी, जाने किसका जनता पर सीधा असर?

Gehlot's 7 guarantees vs PM Modi's one guarantee in Rajasthan, know which one has direct impact on the public

Rajasthan assembly elections– राजस्थान विधानसभा चुनाव के प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा सहित सभी दलों ने अपनी ताक़त झोंक दी है। जो सीटें कमजोर लग रही हैं, वहां स्टार प्रचारकों की जनसभाएं करवाकर माहौल को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है। एक-दूसरे पर आरोप लगाने के साथ ही मतदाताओं को लुभाने के लिए अब गारंटियां दी जा रही (Guarantees are being given) हैं। गारंटियां इसलिए देनी पड़ रही हैं क्योंकि पिछले दो दशक में राजनीतिक दलों पर वोटरों का भरोसा कम हुआ है। इससे पहले राजनीतिक दल चुनाव घोषणा पत्र के जरिए मतदाताओं से वायदे (Promises to voters through election manifesto) करते थे। अब वायदों पर वोटरों को भरोसा नहीं रहा।

हालांकि कांग्रेस ने चुनाव घोषणा पत्र अभी जारी नहीं किया है। लेकिन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव के पहले चरण में ही 7 गारंटियां लांच की थीं। इन्हीं 7 गारंटियों को मुख्य मुद्दा बनाकर कांग्रेस चुनावी मैदान में डटी है। राहुल गांधी भी इन्हीं 7 गारंटियों के आधार पर मतदाताओं से वोट की अपील कर रहे हैं। वहीं भाजपा की ओर से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओऱ से केवल राजस्थान के विकास की गारंटी दी जा रही है। भाजपा ने गुरुवार को अपना संकल्प पत्र जारी किया है, उसमें बालिकाओं के लिए जन्म पर 2 लाख रुपए के बांड की गारंटी दी है। इसके अलावा बालिका को पढ़ाई के लिए अलग-अलग स्टेज पर आर्थिक सहायता मुहैया कराने का वायदा किया है। युवाओं को 5 साल में 2.50 लाख सरकारी नौकरियां और किसानों को गेहूं खरीद पर बोनस दिए जाने का वायदा किया है। लेकिन, इन गारंटियों का विश्लेषण करें तो गहलोत की गारंटियां ज्यादा प्रभावी नजर आ रही हैं। क्योंकि गारंटियों के माध्यम से आमजन को छूने का प्रयास किया गया है।

कांग्रेस की 7 गारंटियों का यूं समझें महत्व (Understand the importance of 7 guarantees of Congress like this)
गृह लक्ष्मी गारंटी
परिवार की मुखिया को हर साल 10,000 रुपए सम्मान राशि दी जाएगी यानि आधी आबादी को सीधे प्रभावित करने का प्रयास है। हालांकि अभी खुलासा नहीं है कि यह राशि सभी परिवारों की महिलाओं को मिलेगी या आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को।

गौ-धन गारंटी
इस योजना के तहत पशुपालकों से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदा जाएगा। इसमें गाय-भैंस दोनों का गोबर शामिल है। यानि किसान परिवारों को सीधे तौर पर आर्थिक फायदा दिए जाने की कोशिश है।

फ्री लैपटॉप गारंटी
इस योजना के तहत प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले प्रत्येक युवा को लेपटॉप या टैबलेट दिया जाएगा। इसके जरिए नव मतदाताओं को लुभाने की कोशिश है जो चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। इससे प्राइवेट के बजाय सरकारी कॉलेजों के प्रति स्टूडेंट्स का रुझान बढ़ेगा।

चिरंजीवी आपदा राहत बीमा गारंटी
बाढ़, बिजली, आंधी-तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान पर 15 लाख रुपए तक का बीमा दिया जाएगा। यह फैसला गांव-गरीब और किसानों को प्रभावित का प्रयास है।

अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में मुफ्त शिक्षा
इसके माध्यम से हर परिवार को लुभाने का प्रयास है। क्योंकि आज के मौजूदा दौर में मजदूर, किसान और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर व्यक्ति भी चाहता है कि उसके बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ें। लेकिन, उसकी इतनी आर्थिक क्षमता नहीं होती।

500 रुपए में गैस सिलेंडर
प्रदेश के 1 करोड़ से ज्यादा परिवारों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर उपलब्ध कराए जाने का वायदा करके आधी आबादी यानि महिलाओं को लुभाने का वायदा किया है। चूंकि अभी 76 लाख बीपीएल और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को 500 रुपए में सिलेंडर दिया जा रहा है, इसलिए यह ज्यादा प्रभावी होगी।

OPS कानून बनाने की गारंटी
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह बहुत बड़ा वायदा है। हालांकि कांग्रेस राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू कर चुकी है। जाहिर है कर्मचारियों का बहुत बड़ा वर्ग है और उनकी यह बहुत पुरानी लंबित मांग है। भाजपा ने किसी राज्य में ओपीएस लागू नहीं की है। ना ही इस पर कोई बात कर रही है।

राजस्थान में BJP की गारंटियां – ERCP और OPS पर साधी चुप्पी
भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। इसीलिए मोदी जी की ओर से राजस्थान के विकास की गारंटी दी जा रही है। यह ऐसा वेग शब्द है जो आम मतदाता को कतई प्रभावित नहीं करता है। जाहिर है कि वोटर को व्यक्तिगत लाभ की योजनाएं ज्यादा प्रभावित करती हैं। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) जो 13 जिलों के 80 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है, उस परियोजना के बारे में संकल्प पत्र में एक तरह से चुप्पी साध ली गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित करने का वायदा किया था। इस बार संकल्प पत्र में सिर्फ इस प्रोजेक्ट को समयबद्ध तरीके से पूरा करने को कहा है। इसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट बनाने की कोई बात नहीं की है।

इसी तरह दूसरा बड़ा मुद्दा है सरकारी कर्मचारियों से जुड़ा ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) का। इस मुद्दे पर भी भाजपा ने पूरी तरह चुप्पी साध ली है। सरकारी कर्मचारियों से जो वायदे किए हैं, वे बहुत ही छोटे स्तर के हैं जो संकल्प पत्र में लाने लायक भी नहीं हैं। जैसे- सरकारी कर्मचारियों को उनका वेतन और अन्य लाभ बिना किसी देरी के भुगतान करेंगे। पारदर्शी तबादला नीति लागू करेंगे। सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और संविदा कर्मियों को आय़ुष्मान भारत योजना के तहत बीमा कवर देंगे।

संकल्प पत्र संयोजक केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल रहे हैं। वे खुद अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं। लेकिन, अनुसूचित जाति को प्रभावित करने वाले बड़े वायदे नहीं हैं। जैसे घोषणा पत्र में सिर्फ इतना कहा गया है कि सरकारी पदों के बैकलॉग को समयबद्ध तरीके से भरा जाएगा। एससी प्रमाण-पत्रों का समयबद्ध तरीके से वितरण किया जाएगा। शिकायतों का समाधान करने के लिए कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा। अंबेडकर तीर्थ योजना शुरू की जाएगी। सबसे बड़ी बात भाजपा एक तरफ दलितों पर अत्याचार को मु्द्दा बना रही है, वहीं दूसरी ओर बाड़ी में दलित एईएन और जेईएन पर हमला कर 22 हड्डियां तोड़ने वाले गिर्राज सिंह मलिंगा को पार्टी में शामिल करके टिकट दे दिया।

अगर आधी आबादी यानि महिलाओं की बात करें तो बालिकाओं के लिए सेविंग बॉंड के अलावा गरीब परिवार की छात्राओं को केजी से पीजी तक मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी। मुख्यमंत्री स्कूटी योजना के तहत 12वीं पास करने वाली मेधावी छात्राओं को स्कूटी दी जाएगी। यह योजना वर्तमान भी लागू है। पीएम मातृ वंदना योजना की राशि 5 से बढ़ाकर 8000 करने, सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड बनाने लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण देकर 1 लाख रुपए की सहायता राशि दिए जाने का वायदा किया है। कुल मिलाकर मोदी की ये गारंटियां वोटरों को बहुत ज्यादा प्रभावित करने वाली नहीं हैं।

भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मुद्दे
भाजपा राजस्थान में भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है। भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा जरूर है। यह बात भी सही है कि गहलोत शासन में जिस तरह विधायकों द्वारा खुलकर भ्रष्टाचार किया गया। ब्यूरोक्रेसी बेलगाम हुई है, उससे आम जन मानस में कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के प्रति नाराजगी है। फिर भी कांग्रेस ने उन्हीं विधायकों को टिकट दिए हैं, यही कांग्रेस की सबसे बड़ी खामी साबित हो सकती है। क्योंकि मौजूदा विधायक का टिकट नहीं काटने का फार्मूला कांग्रेस को बहुत ज्यादा लाभदायक नहीं रहा है। लेकिन, वोटर जब भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा-कांग्रेस की तुलना करेगा तो यह मुद्दा गौण हो जाता है। क्योंकि ललित मोदी का जमाना अभी लोग भूले नहीं हैं, जब एक-एक बीघा जमीन की 90बी के पैसों का रामबाग होटल में बैठकर हिसाब होता था।

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जहां तक पेपर लीक की बात है तो भाजपा मुद्दा जरूर बना रही है। लेकिन, जब गुजरात, हरियाणा और अन्य प्रदेशों की बात होती है तो पेपर लीक वहां भी हुए हैं। हरियाणा में तो राज्य लोक सेवा के अफसर से दफ्तर में ही करोड़ों रुपए बरामद हुए थे। उन बातों का भाजपा जवाब कैसे दे पाएगी। भाजपा ने संकल्प पत्र में सिर्फ इतना वायदा किया है कि पेपरलीक मामलों की त्वरित जांच एवं दोषियों पर कार्रवाई के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित करेंगे। जबकि गहलोत सरकार तो कानून में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान तक कर चुकी है। कुल मिलाकर वायदों के मामलों में भाजपा काफी पिछड़ रही है।

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