जयपुर। मुख्यमंत्री व खान मंत्री भजन लाल शर्मा के खनन क्षेत्र में राज्य को देश का अग्रणी प्रदेश बनाने, प्रदेश में खनिज खोज खनन कार्य को गति देने, जीरो लॉस माइनिंग और माइनिंग क्षेत्र से राजस्व और रोजगार के और अधिक अवसर विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के दिशा-निर्देशों के अनुसार परिवर्तित बजट में राज्य में नई खनिज नीति लागू करने और एम सेंड पॉलिसी में बदलाव लाने सहित बजटीय घोषणाओं के क्रियान्वयन की दिशा में खनिज विभाग ने एक्शन मोड पर काम करना शुरु कर दिया है।
राज्य की नई खनिज नीति को स्टेक होल्डर्स (Stakeholders to the new mineral policy) व आमजन के सुझावों के लिए विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने के बाद शनिवार को उद्योग भवन में खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकान्त ने माइंस क्षेत्र से जुड़े स्टेक होल्डर्स, माइनिंग एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों और माइनिंग लीजधारकों से सीधा संवाद कायम किया। खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने कहा कि प्रदेश में वैध माइनिंग (legal mining) में स्थानीय स्तर पर आने वाली समस्याओं के स्थानीय स्तर पर ही समाधान का मैकेनिज्म विकसित किया जाएगा। वहीं, माइनिंग ब्लॉकों के ऑक्शन के बाद आवश्यक औपचारिकताओं के कारण उनके ऑपरेशन में लगने वाले समय को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि माइनिंग विभाग के सिस्टम में बदलाव (Changes in the system of mining department) लाते हुए इसे टेक्नोसेवी बनाया जाएं ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता, सरलीकरण, तय समय सीमा में निस्तारण और दायित्व का निर्धारण हो सके। रविकान्त ने कहा कि प्रदेश में वैज्ञानिक तरीके से देश दुनिया की नवीनतम तकनीक का उपयोग करते हुए खनन कार्य किया जाना चाहिए ताकि बेशकीमती खनिजों को बेहतर खनन के साथ ही जीरो लॉस माइनिंग संभव हो सके। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री व खान मंत्री भजन लाल शर्मा का स्पष्ट संदेश है कि प्रदेश को माइनिंग सेक्टर में आगे ले जाते हुए औद्योगिक निवेश, रोजगार और राजस्व बढ़ाने के समग्र प्रयास किये जाने हैं। इसके लिए माइनिंग सेक्टर से जुड़े लोगों और सरकार दोनो को साझा प्रयास करने होंगे। निदेशक माइंस भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि राज्य सरकार माइनिंग क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं से अवगत है और नई पॉलिसी में इसे दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने संवाद के दौरान दिए गए सुझावों को सकारात्मक बताते हुए कहा कि इससे प्रदेश के माइनिंग सेक्टर को और अधिक गति मिल सकेगी। चर्चा के दौरान माइंस को भी उद्योग का दर्जा दिए जाने, रिप्स प्रावधानों का लाभ माइनिंग सेक्टर को भी दिलाने, एक्सक्लूसिव माइनिंग जोन बनाने, राजस्व जमाबंदी में माइनिंग क्षेत्र का स्पष्ट उल्लेख दर्ज होने, वन विभाग से ओवरलेपिंग नहीं होने, रवन्ना की धरातलीय समस्या के समाधान, अन्य विभागों से बेहतर समन्वय व समस्या समाधान, 2040 तक लीज अवधि बढ़ाने पर ली जाने वाली राशि को व्यावहारिक करने, एम सेण्ड के लिए एक हैक्टर करने के साथ ही किरायेदारों को भी यूनिट लगाने की अनुमति, डिजिटल पोर्टल बनाने सहित कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। प्रतिभागियों ने ऑक्शन के बाद आवश्यक औपचारिकताओं में लगने वाली देरी व बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया।
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उन्होंने कहा कि इससे लीजधारक के साथ ही सरकार को भी राजस्व की हानि होती है। सुझावों में वैध खनन को प्रोत्साहित करने, पेचिदगियों को हटाने पर जोर दिया गया। माइनिंग एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने खान विभाग को भी पैकेज देकर तकनीक, आधुनिक संसाधन, उपकरण व मानव संसाधन आदि आवश्यक सुविधायुक्त बनाने का सुझाव दिया। अतिरिक्त निदेशक बीएस सोढ़ा ने सुझावों को सकारात्मक बताते हुए कहा कि विभाग द्वारा इन सुझावों का लाभ लिया जाएगा। चर्चा के दौरान माइनिंग एसोसिएशन फैडरेशन के अक्षयदीप माथुर, ब्यावर से राधाबल्लभ माहेश्वरी, नीम का थाना महेन्द्र गोयल, ब्यावर से सुरेश सिंह, भरतपुर से महेन्द्र सिंह सांखला, करौली से राजेन्द्र कुमार व पूरण प्रताप, महेश अग्रवाल सहित माइनिंग एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों और लीज धारकों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस अवसर पर जेएस आशु चौधरी, अतिरिक्त निदेशक पीआर आमेटा, ओएसडी श्रीकृष्ण शर्मा, एसीपी जयेश सहित विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।


