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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हादसा, निर्माणाधीन सुरंग में एक मजदूर की मौत, तीन गंभीर घायल

Accident on Delhi-Mumbai Expressway, one worker killed, three seriously injured in under-construction tunnel

कोटा। शनिवार रात को कोटा जिले में रामगंजमंडी के मोड़क इलाके में एक बड़ा हादसा हुआ, जब दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा ढह गया (Part of tunnel under construction on Delhi-Mumbai Expressway collapsed)। यह घटना रात करीब 12 बजे हुई, जब मजदूर सुरंग के निर्माण कार्य में व्यस्त थे। हादसे के कारण एक मजदूर की जान चली गई, जबकि तीन मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा सुरंग के उस हिस्से में हुआ, जहां “कट एंड कवर” तकनीक से आर्टिफिशियल सुरंग बनाई जा रही थी।

घटना का विवरण

मजदूरों के बयान के अनुसार, निर्माण स्थल पर 10-15 मजदूर काम कर रहे थे। वे सुरंग की सीमेंट-कंक्रीट की दीवारों को स्थिर करने के लिए सरिया बांधने का काम कर रहे थे। इसी दौरान अचानक मिट्टी और पत्थरों का बड़ा हिस्सा ढह गया। चार मजदूर मलबे में दब गए, जबकि अन्य मजदूरों ने भागकर अपनी जान बचाई। मलबे का ढेर लगभग पांच फीट ऊंचा था। तीन मजदूर आंशिक रूप से दबे हुए थे और उन्हें करीब 15-20 मिनट के भीतर बाहर निकाल लिया गया। हालांकि, एक मजदूर, 33 वर्षीय शमशेर सिंह रावत, जो पूरी तरह से मलबे में दब गया था, उसे बाहर निकालने में करीब आधा घंटा लग गया। जब तक उसे निकाला गया, तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी।

घायलों को तुरंत पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले जाया गया। मृत मजदूर शमशेर सिंह उत्तराखंड के देहरादून जिले के कोथी गांव का निवासी था। घटना ने निर्माण स्थल पर सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी को उजागर किया, क्योंकि मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के काम कर रहे थे।

लापरवाही और सुरक्षा की कमी

हादसे के बाद मजदूरों और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य के दौरान मजदूरों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण नहीं मुहैया कराए गए थे। सुरंग निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार ने हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट (Helmet, Safety Belt) और अन्य आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था नहीं की थी, जिससे इस हादसे में मजदूरों की जान पर बन आई।

जांच के लिए कमेटी गठित

घटना के तुरंत बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की है। NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संदीप अग्रवाल ने बताया कि यह कमेटी पूरी सुरंग निर्माण प्रक्रिया की सेफ्टी ऑडिट (Safety audit of tunnel construction process) करेगी। इसमें टनल निर्माण में इस्तेमाल की गई तकनीकों और ठेकेदार की लापरवाही की विस्तृत जांच की जाएगी। कमेटी टनल निर्माण में संभावित तकनीकी खामियों और सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर रिपोर्ट तैयार करेगी।

निर्माणाधीन सुरंग की विशेषताएं

यह सुरंग दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के पास बनाई जा रही है। सुरंग की कुल लंबाई 4.9 किमी है, जिसमें से 3.3 किमी हिस्सा पहाड़ के नीचे और 1.6 किमी हिस्सा सीमेंट और कंक्रीट से बनी आर्टिफिशियल सुरंग (Artificial tunnel made of cement and concrete) का है। सुरंग का निर्माण “ग्रीन ओवरपास” के तहत किया जा रहा है, ताकि इसके ऊपर से बाघ और अन्य वन्यजीव बिना किसी बाधा के गुजर सकें।

सुरंग की डिजाइन और निर्माण प्रक्रिया में ऑस्ट्रेलियाई तकनीक का उपयोग (Use of Australian technology) किया जा रहा है। इसमें अत्याधुनिक सेंसर लगाए जा रहे हैं, जो वाहनों की आवाजाही और निर्माण प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। यह सुरंग साउंडप्रूफ और वाटरप्रूफ (Tunnel soundproof and waterproof) होगी, जिससे वाहन चालकों को एक सुरक्षित और आरामदायक यात्रा अनुभव मिलेगा। सुरंग में दो समानांतर रास्ते होंगे, जिनमें प्रत्येक में चार-चार लेन की सड़क होगी। इस प्रकार, कुल आठ लेन का यातायात यहां सुगमता से संचालित होगा।

परियोजना की लागत और समय सीमा

इस सुरंग के निर्माण पर लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। परियोजना को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह सुरंग न केवल दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भी एक मॉडल परियोजना मानी जा रही है।

सुरक्षा उपायों पर उठे सवाल

यह घटना सुरंग निर्माण प्रक्रिया में सुरक्षा मानकों की अनदेखी (Ignoring safety standards) का एक स्पष्ट उदाहरण है। ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि निर्माण कार्य के दौरान मजदूरों को सभी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही, निर्माण स्थल पर नियमित सेफ्टी इंस्पेक्शन और मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

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इस हादसे ने निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदारों और अधिकारियों की जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एनएचएआई की जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि इस हादसे के पीछे कौन से कारण जिम्मेदार थे और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कौन से कदम उठाए जाने चाहिए।

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