नई दिल्ली। भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा और आपूर्ति के मामले में एक अहम मोड़ आ चुका है, जब अमेरिका और रूस (America and Russia) दोनों ही उससे ऊर्जा संबंधी बड़े समझौतों की पेशकश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया अमेरिका दौरे के दौरान भारत और अमेरिका के बीच तेल और गैस व्यापार को लेकर अहम समझौता हुआ। वहीं, रूस ने भी भारत को सस्ती गैस खरीदने का ऑफर दिया है। इन दोनों घटनाओं ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक नई दिशा तय करने का सवाल खड़ा कर दिया है।
अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार समझौता
अमेरिका और भारत के बीच हाल ही में हुआ समझौता (Recent agreement between America and India) बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच ऊर्जा व्यापार को एक नई ऊंचाई मिलेगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने इस समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका जल्द ही भारत का प्रमुख तेल और गैस आपूर्तिकर्ता बन जाएगा। इस समझौते के बाद, भारत का ऊर्जा आयात अमेरिका से बढ़ सकता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को भी लाभ होगा।
रूस का सस्ती गैस का ऑफर
इस बीच, रूस ने भारत को अपने प्राकृतिक गैस का ऑफर दिया (Russia offered its natural gas to India) है। रूस के डिप्टी ऊर्जा मंत्री पावेल सोरोकिन ने रूस के सरकारी ब्रॉडकास्टर रसिया टीवी से बात करते हुए बताया कि रूस अपने एलएनजी (लिक्विफाइड नैचुरल गैस) बाजार का विस्तार कर रहा है और भारत को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर गैस प्रदान करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस, प्रतिबंधों के बावजूद अपने प्राकृतिक गैस उत्पादन और निर्यात को बढ़ा रहा है और भारत से व्यापार करने के लिए उत्सुक है।
भारत की गैस की जरूरतें
भारत अपनी जरूरत का लगभग 50ः प्राकृतिक गैस आयात करता है, और आगामी वर्षों में इसकी खपत में 60ः तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। भारत मुख्य रूप से कतर और अमेरिका से गैस का आयात करता है। 2023-2030 तक भारत की गैस की खपत में यह वृद्धि भारतीय ऊर्जा नीति के लिए एक चुनौती पेश करेगी, और उसे अधिक गैस आयात करना पड़ेगा।
भारत में एलएनजी आयात की स्थिति
भारत में वर्तमान में सात LNG टर्मिनल हैं, जिनकी कुल क्षमता लगभग 4.77 करोड़ मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक, भारत में एलएनजी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
रूस और अमेरिका की प्रतिस्पर्धा
भारत के ऊर्जा संबंधी समझौतों के बीच, अमेरिका और रूस दोनों देश एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। जहां अमेरिका भारत को अधिक गैस और तेल आपूर्ति करने का इच्छुक है, वहीं रूस भी सस्ती कीमतों पर गैस और तेल देने का प्रस्ताव दे रहा है। रूस, भारत को अपेक्षाकृत सस्ती कीमतों पर गैस ऑफर कर रहा है, जो भारत के लिए एक आर्थिक रूप से फायदेमंद सौदा हो सकता है।
भारत के लिए क्या है सही निर्णय?
अमेरिका और रूस दोनों से अलग-अलग ऑफर आ रहे हैं, जिससे भारत को अपनी ऊर्जा नीति के लिए एक रणनीतिक निर्णय लेना होगा। अमेरिका की ओर से होने वाली गैस आपूर्ति पर एक सकारात्मक असर हो सकता है, लेकिन रूस का सस्ता गैस ऑफर भारत के लिए ज्यादा फायदे का सौदा साबित हो सकता है। भारत को यह देखना होगा कि किस देश से गैस और तेल की आपूर्ति उसके दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहतर साबित होगी।
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अंत में, भारत को अमेरिका और रूस से ऊर्जा व्यापार के प्रस्तावों पर सावधानीपूर्वक विचार करना होगा। एक ओर जहां अमेरिका का प्रस्ताव आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से आकर्षक हो सकता है, वहीं रूस का ऑफर भी भारत के लिए एक दीर्घकालिक समाधान प्रदान कर सकता है। दोनों देशों के साथ संतुलित और स्थिर ऊर्जा संबंधों की दिशा में भारत को अपने निर्णय लेने होंगे।