तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव (Tension between Taliban and Pakistan) का नया अध्याय शुरू हो चुका है। हाल ही में, पाकिस्तान के फाइटर जेट्स ने अफगानिस्तान के पकतिका क्षेत्र में चार स्थानों पर बमबारी की। इस हमले में 46 लोगों के मारे जाने की खबर (News of 46 people killed in the attack) है। तालिबान ने दावा किया है कि मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इसके साथ ही तालिबान ने यह भी ऐलान किया है कि वह इस हमले का बदला जल्द ही लेगा (Will take revenge for the attack soon)।
पाकिस्तान के हमले और तालिबान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी एयरफोर्स द्वारा किए गए इस हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान का दावा है कि इन ठिकानों से उसकी सेना पर हमले किए जा रहे थे। हमला अफगानिस्तान के पहाड़ी इलाकों में किया गया, जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास स्थित हैं।
इस घटना के बाद तालिबान (Taliban) ने अपने सैकड़ों सैनिकों को भारी हथियारों के साथ सीमा की ओर भेज दिया है। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defense of Afghanistan) ने पाकिस्तान के इस हमले को “कायराना हरकत” करार दिया है और सख्त जवाब देने की चेतावनी दी है। अफगानिस्तान के तालिबान नेतृत्व ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह इस तरह की कार्रवाई से बाज आए, वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
पाकिस्तानी पत्रकारों की प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी पत्रकार मंसूर अली खान ने इस पूरे मामले पर कहा, “पाकिस्तान का हमेशा से यह कंसर्न रहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमलों के लिए किया जाता है। जब अफगान हुकूमत इस मामले में कुछ नहीं करती, तो पाकिस्तान ने खुद इन समस्याओं से निपटने का फैसला किया।”
दूसरी ओर, पाकिस्तानी पत्रकार कमर चीमा ने कहा, “क्या कोई सोच सकता था कि अफगान तालिबान (Afghan Taliban), जो कभी पाकिस्तान का साथी था, अब हमारे सैनिकों को मार रहा है। ये स्थिति चिंताजनक है और पाकिस्तान के लिए एक बड़ा खतरा है।”
पाकिस्तान और तालिबान के बीच कूटनीतिक खाई
यह मामला तब और पेचीदा हो गया जब पाकिस्तान ने काबुल में एक विशेष दूत, सादिक खान, को तालिबान नेतृत्व से बातचीत के लिए भेजा। सादिक खान का उद्देश्य दोनों देशों के बीच कूटनीतिक समस्याओं को सुलझाना था। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान ने बमबारी कर दी (Pakistan bombed), जिससे तालिबान के साथ रिश्ते और खराब हो गए।
पाकिस्तानी पत्रकार कामरान यूसुफ ने कहा, “इस हमले की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं। यह हमला तब किया गया जब पाकिस्तान का डिप्लोमैटिक डेलिगेशन काबुल में तालिबान के साथ बातचीत कर रहा था। यह पाकिस्तान की कूटनीतिक कोशिशों पर पानी फेरने जैसा है।”
पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व और सेना में टकराव
इस घटना ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना के बीच संभावित टकराव को भी उजागर किया है। शहबाज शरीफ तालिबान के साथ दोस्ती की कोशिशों में लगे हुए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि सेना ने उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव की मुख्य वजह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) है। TTP पाकिस्तान में हमले करता है, जबकि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार TTP को अपना भाई मानती है और उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेती।
क्या तालिबान के सामने टिक पाएगा पाकिस्तान?
पाकिस्तानी सेना ने तालिबान से मुकाबले के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। इस साल सितंबर में पाकिस्तान ने लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक को आईएसआई का चीफ नियुक्त किया, जो खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में कमांडर (Commander in Khyber Pakhtunkhwa and Balochistan) रह चुके हैं। इन क्षेत्रों में तालिबान का खासा प्रभाव है।
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लेकिन इतिहास गवाह है कि तालिबान ने अमेरिका और रूस जैसे वैश्विक शक्तियों को भी चुनौती दी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान तालिबान के सामने टिक पाएगा? पाकिस्तानी सेना की क्षमताओं और तालिबान के युद्ध कौशल के बीच यह संघर्ष आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकता है।