नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को उत्तर भारत में वायु प्रदूषण को ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ करार दिया और आगामी शीतकालीन सत्र में इस संकट पर प्राथमिकता से चर्चा करने की मांग की। दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिरने के बाद राहुल ने यह बयान दिया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए, इस समस्या पर सामूहिक राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया।
राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी ने पर्यावरणविद विमलेंदु झा के साथ इंडिया गेट पर हुई चर्चा का वीडियो साझा किया और इस संकट के बहुआयामी प्रभावों को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “वायु प्रदूषण एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है, जो हमारे बच्चों का भविष्य छीन रहा है, बुजुर्गों को घुटन महसूस करा रहा है और अनगिनत जिंदगियां बर्बाद कर रहा है।”
राहुल ने बताया कि यह संकट गरीब तबके पर सबसे ज्यादा असर डालता है, जिससे स्वास्थ्य असमानताएं बढ़ रही हैं और आर्थिक अवसर घट रहे हैं। उन्होंने कहा, “सबसे गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, जो इस जहरीली हवा से बच नहीं सकते। परिवार स्वच्छ हवा के लिए तरस रहे हैं, बच्चे बीमार हो रहे हैं और लाखों जिंदगियां समय से पहले खत्म हो रही हैं। पर्यटन घट रहा है और हमारी वैश्विक प्रतिष्ठा कमजोर हो रही है।”
Air pollution in North India is a national emergency—a public health crisis that is stealing our children’s future and suffocating the elderly, and an environmental and economic disaster that is ruining countless lives.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 22, 2024
The poorest among us suffer the most, unable to escape the… pic.twitter.com/s5qx79E2xc
संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान
राहुल ने कहा, “प्रदूषण का बादल सैकड़ों किलोमीटर तक फैला हुआ है, इसे साफ करने के लिए सरकारों, कंपनियों, विशेषज्ञों और नागरिकों से निर्णायक कार्रवाई और बड़े बदलाव लाने की आवश्यकता है। हमें राजनीतिक दोषारोपण के बजाय एक सामूहिक राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत है।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने सांसदों से अपील करते हुए कहा, “संसद में जब चर्चा होगी, तो सांसदों की जलती आंखें और गले की खराश हमारी साझा जिम्मेदारी का एक कठोर स्मरण कराएगी।”
विमलेंदु झा के सुझाव
इस वीडियो चर्चा के दौरान, पर्यावरणविद विमलेंदु झा ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में पराली जलाना और जीवनशैली विकल्पों को बताया।
उन्होंने कहा कि पराली जलाना एक तीन सप्ताह का मौसमी मुद्दा है, लेकिन इसे सुलझाने के लिए किसानों को दीर्घकालिक प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
इसके अलावा, झा ने वाहनों से निकलने वाले धुएं और औद्योगिक कचरे जैसे दीर्घकालिक प्रदूषण स्रोतों से निपटने के लिए जीवनशैली में बदलाव की बात कही।
दिल्ली में गंभीर स्थिति
शुक्रवार को दिल्ली एक घने स्मॉग की चादर में लिपटी हुई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को 371 (‘बहुत खराब’) दर्ज किया।
विशेष प्रदूषण हॉटस्पॉट्स, जैसे आनंद विहार (410), बवाना (411), मुंडका (402), और वजीरपुर (413), में AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह अगले सप्ताह यह समीक्षा करेगी कि GRAP-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत लागू सख्त प्रतिबंधों को शिथिल किया जाए या नहीं। कोर्ट ने इन उपायों के कठोर प्रभावों को स्वीकार करते हुए कहा कि यह समाज के विभिन्न वर्गों पर गंभीर परिणाम डाल सकता है।
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यह मुद्दा केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे उत्तर भारत के लिए चिंता का विषय है। सामूहिक प्रयास और सख्त कदमों के बिना इस संकट का समाधान मुश्किल होगा।