बूंदी। राजस्थान के चौथे टाइगर रिजर्व, रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य से मंगलवार को एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई। छोटी काशी के नाम से मशहूर इस क्षेत्र में वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों के बीच बाघिन आरवीटी-102 की मौत और उसके कंकाल मिलने की खबर ने हड़कंप मचा दिया। यह बाघिन, जिसने पिछले साल तीन शावकों को जन्म दिया था, अब नहीं रही, और इसके साथ ही एक शावक भी कई दिनों से लापता है। यह वन्यजीव संरक्षण और वन विभाग की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
बाघिन का कंकाल मिलने से मचा हड़कंप
सोमवार रात, रामगढ़ महल के पास गोवर्धन पर्वत के नाले में वन विभाग के कर्मचारियों को बाघिन T-2 का कंकाल मिला (Tigress T-2 skeleton found)। जैसे ही यह खबर वन विभाग के अधिकारियों तक पहुंची, वहां हड़कंप मच गया। मंगलवार को अधिकारियों की मौजूदगी में बाघिन का कंकाल जेत सागर रोड स्थित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (Ramgarh Vishdhari Tiger Reserve) कार्यालय लाया गया, जहां उसके ट्रैकिंग सिस्टम से पुलिस की एमओबी टीम ने साक्ष्य जुटाए। इसके बाद, मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया गया और बाघिन का विधिवत दाह संस्कार किया गया। इस मौके पर डीसीएफ संजीव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमा शर्मा और एसडीएम एच.डी. सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
बाघिन की मौत प्राकृतिक या प्रशासनिक चूक?
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के डीसीएफ संजीव शर्मा (Sanjeev Sharma, DCF of Ramgarh Vishdhari Tiger Reserve) ने कहा कि बाघिन की मौत 10 से 15 दिन पहले प्राकृतिक कारणों से हुई है। हालांकि, वन्यजीव प्रेमी इस दावे को खारिज कर रहे हैं। उनका मानना है कि शव 30 से 45 दिन पुराना है और बाघिन के लापता होने के बावजूद विभाग उसकी ट्रैकिंग करने में असफल रहा। उनका कहना है कि यह विभाग की बड़ी चूक है और इस मामले में प्रशासन को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
बाघिन का इतिहास- रणथंभौर से रामगढ़ तक का सफर
बाघिन टी-102 को 16 जुलाई 2022 को सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से ट्रेंकुलाइज कर रामगढ़ लाया गया था। उसे रामगढ़ महल के सॉफ्ट एन्कलोजर में कड़ी सुरक्षा के बीच छोड़ा गया था। जल्द ही, उसने तीन शावकों को जन्म दिया। वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह एक बड़ी सफलता मानी गई, लेकिन अब, एक शावक लापता है और बाघिन की मौत ने इस सफलता पर सवालिया निशान लगा दिया है।
बाघों की घटती संख्या से बढ़ी चिंता
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में पहले से ही केवल 6 बाघ थे। बाघिन की मौत और एक शावक के लापता (Death of tigress and missing of a cub) होने के बाद यह संख्या घटकर अब केवल 4 रह गई है। यह वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए गहरी चिंता का विषय है। उनकी नजर में, बाघों की संख्या में इस तरह की गिरावट प्रशासनिक चूक और मॉनिटरिंग की कमी का नतीजा है।
मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग की व्यवस्था पर उठे सवाल
बाघिन आरवीटी-102 की मौत और शावक के लापता होने के बाद रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व की ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। वन विभाग का दावा है कि बाघिन की साइटिंग और ट्रैकिंग लगातार की जा रही थी, लेकिन वन्यजीव प्रेमी इसे प्रशासनिक नाकामी मानते हैं। उनका कहना है कि अगर मॉनिटरिंग सही तरीके से होती, तो बाघिन और शावक को सुरक्षित रखा जा सकता था।
वन्यजीव प्रेमियों ने यह भी आरोप लगाया है कि बाघों की ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग (Tracking and Monitoring) के लिए विभाग के पास अनुभवहीन सीविल डिफेंस और होमगार्ड्स पर निर्भरता है, जो एक बड़ी समस्या है। वे यह मांग कर रहे हैं कि ट्रैकिंग के लिए अनुभवी वन्यजीव विशेषज्ञों को नियुक्त किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
वन्यजीव प्रेमियों ने कह- यह दूसरा मुकुंदरा बन सकता है
वन्यजीव प्रेमियों ने रामगढ़ अभ्यारण्य में हो रही मॉनिटरिंग पर गहरा असंतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि बाघिन लंबे समय से गायब थी, फिर भी गलत ट्रैकिंग रिपोर्ट्स चलाई जा रही थीं। उनकी आशंका है कि अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही, तो यह क्षेत्र दूसरे मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व जैसा हो सकता है, जहां भी बाघों की मौतों की घटनाएं बढ़ी थीं।
जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। वे चाहते हैं कि लापरवाही बरतने वाले रेंजर को तत्काल निलंबित किया जाए और रामगढ़ अभ्यारण्य में सभी गैर-वानिकी गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए।
मौत के कारणों का खुलासा रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक संजीव शर्मा का कहना है, बाघिन आरवीटी-102 की पिछले कुछ दिनों से साइटिंग नहीं हो रही थी। हमने लगातार ट्रैकिंग की, लेकिन सोमवार को उसका कंकाल मिला। पोस्टमार्टम करवाया गया है, और मौत के कारणों का खुलासा रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा।
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वन्यजीव प्रेमी पृथ्वी सिंह राजावत (Wildlife lover Prithvi Singh Rajawat) ने कहा कि रामगढ.विषधारी में बाघों की मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग अनुभवहीन सीविल डिफेंस और होमगार्ड्स के भरोसे छोड़ा जाना गंभीर लापरवाही हैं। रिजर्व में 6 बाधों मे 1 बाघ, दो बाघिन के साथ 3 शावक मौजूद थे। जिनमें से काफी समय से लापता हैं, वहीं बाघिन आरवीटी -2 के कंकाल का मिलना दुखद हैं। साथ ही 1 ओर शावक भी मॉनिटरिंग से दूर बताया जा रहा हैं। जो विकट परिस्थितियों का संकेत दे रहा हैं।