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जोधपुर में चिकित्सा अधिकारी को 24 घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, ठगे 9 लाख

Medical officer in Jodhpur kept under digital arrest for 24 hours, defrauded of Rs 9 lakh

राजस्थान के जोधपुर में साइबर ठगों ने स्वास्थ्य विभाग के एक चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहम्मद शाकिर गौरी से 9 लाख रुपए ठग लिए। परिवादी ने सदर कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया है। बता दें ये जोधपुर में डिजिटल अरेस्ट का चौथा मामला है। जांच अधिकारी सदर कोतवाली थाने के एसआई पुखराज ने बताया कि नागौरी गेट स्थित महावतों की मस्जिद के पास रहने वाले डॉ. मो. शाकिर गौरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वह बालेसर में चिकित्सा अधिकारी हैं।

पुलिस के मुताबिक गौरी के पास 6 अक्टूबर को फोन आया, जिसमें किसी पार्सल के बारे में बताया गया और अधिक जानकारी के लिए 1 दबाने के लिए कहा। 1 दबाने पर एक व्यक्ति ने अपना नाम अमित शर्मा बताया, जिसने किसी पार्सल को डॉक्टर के नाम पर बुक होने की बात कही। जब परिवादी ने कहा कि ऐसा कोई पार्सल बुक नहीं है तो कॉलर ने बताया कि परिवादी के नाम दिल्ली से थाईलैंड के लिए कोई पार्सल बुक है। यह दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया है, जिसमें 5 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड, 4.2 किलो कपड़े, 1 लैपटॉप और 1.4 ग्राम एमडी ड्रग्स मिला है।

पाकिस्तान फंडिंग के नाम पर डराया

ठगों ने डॉक्टर को डरा धमकाकर कहा कि उन्हें दो घंटे में दिल्ली क्राइम ब्रांच पहुंचना होगा। जब परिवादी ने उनसे कहा कि उनका जोधपुर से इतनी जल्दी दिल्ली आना मुश्किल है। इस पर ठगों ने परिवादी को वॉट्सएप पर वीडियो कॉल किया और खुद को आईपीएस समाधान पंवार बताया। ठगों ने कहा कि परिवादी के लोकल बैंक, लोकल पॉलिटिकल और पुलिस की मिलीभगत से यह खाता खोला गया है, जो ऑपरेट हो रहा है। इस खाते से पाकिस्तान से भी फंडिंग हुई है। इन 5 पासपोर्ट में 3 पाकिस्तान के हैं। जब डॉक्टर ने ऐसा सब कुछ होने से इनकार किया तो उन्होंने कहा कि यह मामला ह्यूमन ट्रैफिकिंग का है।

ड्यूटी पर गए तो वापस बुलाया

ठगों ने डॉक्टर से कहा कि 24 घंटे का सहयोग करोगे तो बच जाओगे। इस बीच न मोबाइल बंद करना है और न ही किसी से इस बारे में जिक्र करना है, अगले दिन 7 अक्टूबर को जब डॉक्टर सुबह ड्यूटी पर चला गया, तब ठगों ने उसे वापस घर पर जाने के लिए कहा। इस पर पूरे दिन डिजिटल अरेस्ट रखकर ठगों ने आरटीजीएस के जरिए एचडीएफसी बैंक के खाते में यह कहकर रुपए डलवाए कि 6 घंटे बाद यह रुपए वापस अपने आप खाते में आ जाएंगे। तब डॉक्टर ने 9 लाख 5 हजार रुपए खाते में डाल दिए। शाम को जब 6 बजे वॉट्सएप चेक किया तो नंबर ऑफलाइन हो गया था। वापस कॉल किया तो कोई जवाब नहीं मिला। ठगी का एहसास होने पर डॉक्टर ने मामला दर्ज करवाया है।

उल्लेखनीय है कि जोधपुर डिजिटल अरेस्ट होने का सबसे पहला मामला अगस्त माह में आया था, जब बदमाशों ने आईआईटी की प्रोफेसर से 23 लख रुपए ठगे थे। इसके बाद मेडिकल कॉलेज की पूर्व विभाग अध्यक्ष से 87 लाख ठगे। फिर एक डेंटिस्ट डॉक्टर को अपना निशाना बनाया और 6 लाख रुपए ठगे। इन मामलों में पुलिस ने ट्रांजेक्शन के जो खाते काम में लिए थे उनको पकड़ा है।

डिजिटल अरेस्ट का खतरनाक खेल

राजस्थान के जोधपुर में साइबर अपराधियों ने एक और बड़ी ठगी को अंजाम दिया है। स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा अधिकारी, डॉ. मोहम्मद शाकिर गौरी, को ठगों ने 24 घंटे के लिए “डिजिटल अरेस्ट” में फंसाकर 9 लाख रुपए की ठगी कर ली। यह जोधपुर में इस प्रकार की ठगी का चौथा मामला है, जो डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों को फंसाने का नया तरीका साबित हो रहा है।

कैसे हुई ठगी?

6 अक्टूबर को डॉ. गौरी को एक फोन आया जिसमें पार्सल के बारे में जानकारी दी गई और 1 दबाने के लिए कहा गया। जैसे ही उन्होंने 1 दबाया, कॉलर ने खुद को अमित शर्मा बताया और दावा किया कि उनके नाम से थाईलैंड जाने वाला एक पार्सल दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया है। पार्सल में 5 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड, 1.4 ग्राम ड्रग्स, और अन्य सामग्री होने की बात कही गई।

डॉक्टर को किया गया डराने का प्रयास

ठगों ने डॉक्टर को यह कहकर डराया कि यह पार्सल ह्यूमन ट्रैफिकिंग और पाकिस्तान फंडिंग से जुड़ा है। इसके बाद ठगों ने उन्हें दिल्ली क्राइम ब्रांच में रिपोर्ट करने के लिए कहा। जब डॉक्टर ने अपनी असमर्थता जताई तो उन्हें वॉट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से एक फर्जी आईपीएस अधिकारी समाधान पंवार से जोड़ा गया। ठगों ने यह दावा किया कि डॉक्टर का बैंक खाता पाकिस्तान से जुड़ा है और इसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग की फंडिंग हुई है।

24 घंटे का डिजिटल अरेस्ट और ठगी की साजिश

ठगों ने डॉक्टर से कहा कि वह 24 घंटे का सहयोग करें, जिससे वह इस आरोप से बच सकते हैं। इस दौरान उन्हें फोन बंद नहीं करने और किसी से इस बारे में चर्चा न करने की हिदायत दी गई। 7 अक्टूबर को डॉक्टर जब अपनी ड्यूटी पर गए, तब उन्हें घर लौटने का निर्देश दिया गया और उन्हें पूरे दिन डिजिटल अरेस्ट में रखा गया। ठगों ने डॉक्टर से कहा कि अगर वह 9 लाख रुपए एक बैंक खाते में ट्रांसफर करेंगे, तो यह रकम 6 घंटे बाद उनके खाते में वापस आ जाएगी।

9 लाख की ठगी और ठगों की चालबाजी

डॉक्टर ने ठगों के कहने पर 9 लाख 5 हजार रुपए एचडीएफसी बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दिए। शाम 6 बजे जब डॉक्टर ने वॉट्सएप चेक किया तो ठगों का नंबर ऑफलाइन था। कई बार कॉल करने पर कोई उत्तर नहीं मिला, तब डॉक्टर को ठगी का एहसास हुआ और उन्होंने सदर कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई।

डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामले

जोधपुर में इस प्रकार के ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अगस्त में आईआईटी प्रोफेसर से 23 लाख, मेडिकल कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष से 87 लाख और एक डेंटिस्ट से 6 लाख की ठगी हो चुकी है। इन मामलों में ठग डिजिटल अरेस्ट का तरीका अपनाकर लोगों को फंसाते हैं और उनकी मेहनत की कमाई लूट लेते हैं।

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साइबर ठगी से बचने के उपाय

इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना जरूरी है। किसी भी अज्ञात फोन कॉल या संदिग्ध जानकारी पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचें। यदि आप किसी संदिग्ध गतिविधि का सामना करते हैं, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

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