HDFC Bank Increases MCLR: लोन की EMI में वृद्धि कर करोड़ो ग्राहकों गहरा झटका दिया है। देश के सबसे बड़े निजी बैंक, HDFC Bank ने अपने करोड़ों खाताधारकों को बड़ा झटका दिया है। त्योहारों से ठीक पहले, HDFC बैंक ने अपने MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) में 0.05% की बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह दरें 7 अक्टूबर 2024 से लागू हो गई हैं, जिससे होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की EMI पर सीधा असर पड़ेगा। अगर आप दिवाली के समय नई कार, घर या किसी अन्य चीज़ के लिए लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह आपके लिए महंगा साबित हो सकता है।
MCLR में बढ़ोतरी से ग्राहकों को होगा बड़ा नुकसान
बैंक की इस बढ़ी हुई MCLR दर का सीधा असर लोन पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिलेगा। नए और मौजूदा दोनों तरह के लोन पर यह लागू होगा, जिससे लोन की EMI बढ़ जाएगी। खासकर जो ग्राहक पहले से फ्लोटिंग रेट पर लोन ले चुके हैं, उनकी मासिक किस्तों में वृद्धि होगी।
HDFC Bank की नई MCLR दरें
HDFC बैंक द्वारा जारी की गई नई MCLR दरें इस प्रकार हैं:
ओवरनाइट MCLR: 9.10%
एक महीने की MCLR: 9.15%
तीन महीने की MCLR: 9.30%
छह महीने की MCLR: 9.45%
एक साल की MCLR: 9.45%
दो और तीन साल की MCLR: 9.50%
MCLR क्या है और यह कैसे तय होता है?
MCLR (Marignal Cost of Funds Based Lending Rate) वह न्यूनतम ब्याज दर होती है जिस पर बैंक लोन देते हैं। इसे तय करने में कई आर्थिक कारक शामिल होते हैं, जैसे:
जमा दर (Deposit Rate): बैंक द्वारा ग्राहकों से लिए गए डिपॉजिट पर ब्याज दर।
रेपो दर (Repo Rate): बैंकों को रिज़र्व बैंक द्वारा दिए जाने वाले लोन की दर।
परिचालन लागत: बैंक के कामकाज और प्रशासनिक खर्च।
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) की लागत।
बैंक की MCLR दर में किसी भी प्रकार के बदलाव का सीधा असर लोन की ब्याज दरों और ग्राहकों की EMI पर पड़ता है।
MCLR बढ़ोतरी का असर: लोन और EMI महंगे
होम लोन: जिन ग्राहकों ने घर के लिए लोन लिया है, उनकी मासिक किस्त में बढ़ोतरी हो जाएगी।
ऑटो लोन: कार या किसी अन्य वाहन के लिए लोन लेने वालों को भी अब ज्यादा ब्याज देना होगा।
पर्सनल लोन: जिन ग्राहकों ने पर्सनल लोन लिया है, उन्हें भी ज्यादा EMI चुकानी पड़ेगी।
बढ़ी EMI से कैसे होगा नुकसान?
MCLR बढ़ने से लोन लेने वाले ग्राहकों की EMI बढ़ जाती है। मौजूदा लोन धारकों की मासिक किस्तों में इज़ाफा होगा, जिससे उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा, नए ग्राहकों को लोन महंगा मिलेगा, यानी उन्हें अधिक ब्याज दर पर लोन चुकाना होगा।
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कर्जदारों के लिए सलाह
लोन की रीफाइनेंसिंग: अगर आपका लोन महंगा हो रहा है, तो आप दूसरे बैंक से लोन रीफाइनेंस करवा सकते हैं।
फ्लोटिंग रेट की निगरानी: जिन ग्राहकों के लोन फ्लोटिंग रेट पर हैं, वे अपनी EMI की लगातार निगरानी करें और बेहतर विकल्प तलाशें।
लोन प्रीपेमेंट: अगर संभव हो, तो आप अपने लोन का प्रीपेमेंट कर सकते हैं ताकि ब्याज की कुल राशि कम हो सके।