उदयपुर के गोगुंदा इलाके में इन दिनों एक आदमखोर लेपर्ड ने ग्रामीणों में खौफ फैला दिया है। हालात इतने भयावह हो गए हैं कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगे हैं। तेंदुए के हमलों से डरे हुए ग्रामीणों ने गुरूवार को वन विभाग के कर्मचारियों पर गुस्से में पत्थर फेंके, जिससे अधिकारियों को सरकारी स्कूल में छिपकर जान बचानी पड़ी।
तेंदुए का आतंक से फैला ग्रामीणों में आक्रोश
गुरुवार शाम को केलवों का खेड़ा गांव में एक महिला और उसके बेटे पर लेपर्ड ने अचानक हमला (Leopard suddenly attacked a woman and her son in Kelvon Ka Kheda village) कर दिया। उनकी किस्मत अच्छी थी कि वे समय पर भागने में सफल रहे, लेकिन इस घटना ने गांव में भय और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया। ग्रामीणों ने इसे लेकर वन विभाग के अधिकारियों पर अपना गुस्सा निकाला और पत्थरबाजी की।

वन विभाग के प्रयासो के बावजूद नहीं मिली सफलता
वन विभाग लगातार तेंदुए को पकड़ने की कोशिश (Attempt to catch leopard) कर रहा है। पिंजरे लगाए गए हैं और उसे ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास जारी है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। अधिकारियों का कहना है कि लेपर्ड के हमलों में अब तक नौ लोग मारे जा चुके हैं, जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। ग्रामीणों में यह बात तेजी से फैल रही है कि तेंदुआ खासकर महिलाओं को निशाना बना रहा है, जिससे गांवों में दहशत का माहौल और गहरा हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लेपर्ड (Supreme Court leopard) को मारने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता अजय दुबे ने तेंदुए को न मारने का अनुरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए हाई कार्ट जाने की छूट दी है। सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया है कि तेंदुए को मारने से पहले उसे शांत करने और पिंजरे में रखने के सभी संभव प्रयास किए जाएंगे। यदि अंतिम उपाय के रूप में आवश्यक हुआ, तो ही उसे मारा जाएगा।
गांवों में खौफ और ग्रामीणों की दिनचर्या पर असर
लेपर्ड के हमलों से प्रभावित गांवों के लोग अब रात के समय घरों से बाहर निकलने में डरते हैं। वे लाठियां लेकर बाहर जाते हैं और समूह में ही चलते हैं। बच्चों को स्कूल भेजने में भी ग्रामीणों को डर सताने लगा (Villagers started getting scared) है। गांव के मवेशियों के लिए चारा लाने में भी दिक्कत हो रही है क्योंकि लोग खेतों में जाने से डर रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा- कब खत्म होगा यह खौफ?
गोगुंदा, झाड़ोल और बड़गांव की कई ग्राम पंचायतें इस आतंक से जूझ रही हैं। ग्रामीण कहते हैं, “अब तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। न हम मवेशियों को चरा पा रहे हैं और न ही बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं।” महिलाएं अपने घरों के बरामदे में बैठकर इस खौफनाक स्थिति से बाहर निकलने का इंतजार कर रही हैं, लेकिन तेंदुए के बढ़ते हमले ग्रामीणों के दिलों में डर और निराशा को गहरा कर रहे हैं।
वन विभाग और ग्रामीणों के बीच टकराव
वन विभाग के प्रयासों के बावजूद लेपर्ड को पकड़ने में नाकामी और हमलों का सिलसिला जारी रहने से ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोग अब सरउदयपुर के गोगुंदा इलाके में इन दिनों एक आदमखोर लेपर्ड ने ग्रामीणों में खौफ फैला दिया है। हालात इतने भयावह हो गए हैं कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगे हैं। तेंदुए के हमलों से डरे हुए ग्रामीणों ने गुरूवार को वन विभाग के कर्मचारियों पर गुस्से में पत्थर फेंके (Villagers angrily threw stones at forest department employees on Thursday), जिससे अधिकारियों को सरकारी स्कूल में छिपकर जान बचानी पड़ी।
तेंदुए का आतंक से फैला ग्रामीणों में आक्रोश
गुरुवार शाम को केलवों का खेड़ा गांव में एक महिला और उसके बेटे पर लेपर्ड ने अचानक हमला कर दिया। उनकी किस्मत अच्छी थी कि वे समय पर भागने में सफल रहे, लेकिन इस घटना ने गांव में भय और आक्रोश का माहौल (An atmosphere of fear and anger in the village) पैदा कर दिया। ग्रामीणों ने इसे लेकर वन विभाग के अधिकारियों पर अपना गुस्सा निकाला और पत्थरबाजी की।
वन विभाग के प्रयासो के बावजूद नहीं मिली सफलता
वन विभाग लगातार तेंदुए को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। पिंजरे लगाए गए हैं और उसे ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास जारी (Efforts to tranquilize continue) है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। अधिकारियों का कहना है कि लेपर्ड के हमलों में अब तक नौ लोग मारे जा चुके हैं, जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। ग्रामीणों में यह बात तेजी से फैल रही है कि तेंदुआ खासकर महिलाओं को निशाना बना रहा है, जिससे गांवों में दहशत का माहौल और गहरा हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लेपर्ड को मारने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता अजय दुबे ने तेंदुए को न मारने का अनुरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए हाई कार्ट जाने की छूट दी है। सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया है कि तेंदुए को मारने से पहले उसे शांत करने और पिंजरे में रखने के सभी संभव प्रयास किए जाएंगे। यदि अंतिम उपाय के रूप में आवश्यक हुआ, तो ही उसे मारा जाएगा।
गांवों में खौफ और ग्रामीणों की दिनचर्या पर असर
लेपर्ड के हमलों से प्रभावित गांवों के लोग अब रात के समय घरों से बाहर निकलने में डरते हैं। वे लाठियां लेकर बाहर जाते हैं और समूह में ही चलते हैं। बच्चों को स्कूल भेजने में भी ग्रामीणों को डर सताने लगा है। गांव के मवेशियों के लिए चारा लाने में भी दिक्कत हो रही है क्योंकि लोग खेतों में जाने से डर रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा- कब खत्म होगा यह खौफ?
गोगुंदा, झाड़ोल और बड़गांव की कई ग्राम पंचायतें इस आतंक से जूझ रही हैं। ग्रामीण कहते हैं, “अब तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। न हम मवेशियों को चरा पा रहे हैं और न ही बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं।” महिलाएं अपने घरों के बरामदे में बैठकर इस खौफनाक स्थिति से बाहर निकलने का इंतजार कर रही हैं, लेकिन तेंदुए के बढ़ते हमले ग्रामीणों के दिलों में डर और निराशा को गहरा कर रहे हैं।
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वन विभाग और ग्रामीणों के बीच टकराव
वन विभाग के प्रयासों के बावजूद लेपर्ड को पकड़ने में नाकामी और हमलों का सिलसिला जारी रहने से ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोग अब सरकार और वन विभाग से जल्द से जल्द इस आतंक को खत्म करने की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने सामान्य जीवन में वापस लौट सकें।कार और वन विभाग से जल्द से जल्द इस आतंक को खत्म करने की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने सामान्य जीवन में वापस लौट सकें।