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Fake Registry : गुमनाम भूमि पर फर्जी रजिस्ट्री का खुलासा: राजस्व मंत्री ने जांच के दिए आदेश

Fake registry on unnamed land exposed: Revenue Minister orders investigation

टोंक (चेतन वर्मा)। टोंक की ग्राम पंचायत अरनिया केदार में गुमनाम जमीनों पर कब्जा करने के प्रयास का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस मामले में राजस्व विभाग द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने सोमवार को तहसील परिसर में उप पंजीयक कार्यालय में संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए। इनमें शिकायतकर्ता, सरपंच, और पटवारी शामिल थे। इस गंभीर मामले में उप रजिस्ट्रार के बयान मंगलवार को दर्ज किए जाएंगे।

फर्जीवाड़े का पर्दाफाश-

शिकायतकर्ता रामधन चौधरी ने आरोप लगाया कि लगभग 300 बीघा जमीन (300 bigha land) पर आरोपियों की नजर थी। लेकिन मामला उजागर होने के बाद उन्होंने फिलहाल अपने अवैध कार्यों से किनारा कर लिया है। जांच अधिकारी एडीएम बीसलपुर (Investigating Officer ADM Bisalpur), हरिताभ आदित्य ने बताया कि सोमवार को अरनिया केदार के पटवारी सुमित्रा चौधरी, सरपंच हंसराज फागणा, कांग्रेस पार्षद राहुल सैनी, और शिकायतकर्ता रामधन चौधरी के बयान दर्ज किए गए हैं। इसके बाद मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है।

राजस्व मंत्री का हस्तक्षेप-

मामला उजागर होने के बाद, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा (Revenue Minister Hemant Meena) ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में एडीएम बीसलपुर हरिताभ आदित्य, दूनी तहसीलदार रामसिंह मीना, पीपलू पटवारी नरेंद्र दहिया, और टोंक पटवारी सुरेश चौधरी को शामिल किया गया है।

जांच की दिशा-

जांच अधिकारी हरिताभ आदित्य ने बताया कि आरोपियों में से एक जयपुर निवासी विक्रेता अभी तक जांच में उपस्थित नहीं हुआ है। वहीं, चार खरीदारों में से तीन जांच में शामिल हो चुके हैं, और दो गवाहों से भी पूछताछ की गई है। जांच अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता द्वारा किए गए आरोपों की पुष्टि के लिए सभी साक्ष्यों की बारीकी से जांच की जा रही है।

फर्जी रजिस्ट्रियों का जाल-

जांच में यह भी सामने आया है कि जिले के अरनिया केदार गांव में पहमल नाम के एक व्यक्ति की करीब 20 बीघा जमीन थी, जिसके कोई वारिस नहीं हैं। इसका फायदा उठाते हुए कुछ भूमाफियाओं ने फर्जी व्यक्ति के आधार कार्ड का उपयोग कर उसके नाम पर फर्जी रजिस्ट्री करा ली। यह फर्जीवाड़ा तब उजागर हुआ जब जांच के दौरान पता चला कि जिस व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री की गई थी, वह 1970 में मात्र 8 साल का था, जबकि जमीन का अलॉटमेंट 1947 में हुआ था।

फर्जी दस्तावेज और पहचान छुपाने का खेल-

माफियाओं ने बंबोर, सोरण, इस्लामपुरा, और अरनिया केदार में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से अवैध रजिस्ट्रियों का खेल खेला। इस पूरे मामले की जांच के लिए 23 अगस्त को राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने राज्य स्तरीय जांच कमेटी गठित की थी, जिसे 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। हालांकि, जांच का समय अब केवल तीन दिन शेष रह गया है।

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यह मामला राजस्व विभाग के लिए एक चुनौती बन चुका है, और उम्मीद है कि जांच रिपोर्ट से दोषियों को बेनकाब कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में भू-माफियाओं के बढ़ते साहस को उजागर किया है, बल्कि भूमि संबंधी कानूनों के सख्त पालन की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।

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