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श्री सम्मेद शिखरजी के लिए 9वीं जैन तीर्थ यात्रा 21 अगस्त को मालपुरा से होगी रवाना

9th Jain pilgrimage for Shri Sammed Shikharji will leave from Malpura on 21st August

टोंक/मालपुरा, (मनोज टाक)। जैन शांतिनाथ मंडल समिति पांडुकशिला द्वारा झारखंड में स्थित जैन तीर्थ क्षेत्र श्री सम्मेद शिखरजी के लिए 9वीं जैन तीर्थ यात्रा 21 अगस्त बुधवार को रवाना होगी। इस यात्रा में 1008 यात्रियों का पहला जत्था रवाना होगा। यात्रियों के जत्थे को हरी झण्डी दिखाकर जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी, केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम, अग्रवाल समाज अध्यक्ष ताराचंद जैन, सरावगी समाज अध्यक्ष डॉ. राकेश जैन रवाना करेगे। यात्रियों का जत्था 21 अगस्त बुधवार को सुबह 9 बजे रवाना होगा। यह जानकारी यात्रा प्रभारी राकेश जैन कागला व विनोद जैन नेता ने दी।

जानें- जैन तीर्थ क्षेत्र श्री सम्मेद शिखरजी के बारे में
शिखरजी या श्री सम्मेद शिखरजी भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल भी है। श्री सम्मेत् शिखर जी (Mr. Samet Shikhar ji) के रूप में चर्चित इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वाेच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ (23rd Tirthankara Lord Parshvanath) ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। माना जाता है कि 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों ने यहां पर मोक्ष प्राप्त किया था। जो चार हजार सिडीयो पर स्थित है, 1,350 मीटर (4,430 फ़ुट) ऊँचा यह पहाड़ झारखंड का सबसे ऊंचा स्थान भी है।

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स्थिति –
1365 एम शिखरजी जैन धर्म के अनुयायिओं के लिए एक महतवपूर्ण तीर्थ स्थल है। पारसनाथ पर्वत विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल लाखों जैन धर्मावलंबियों आते है, साथ-साथ अन्य पर्यटक भी पारसनाथ पर्वत की वंदना (Worship of Parasnath Mountain) करना जरूरी समझते हैं। गिरिडीह स्टेशन से पहाड़ की तलहटी मधुवन तक क्रमशः 14 और 18 मील है। पहाड़ की चढ़ाई उतराई तथा यात्रा करीब 18 मील की है। सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह सिद्धक्षेत्र कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात् तीर्थों का राजा कहा जाता है। यह तीर्थ भारत के झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में मधुबन क्षेत्र में स्थित है। यह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ है। इसे पारसनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है।

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