बूंदी। बूंदी रियासत कालीन संपत्ति का विवाद (Bundi princely state property dispute) बुधवार को गहरा गया यहां बूंदी गढ़ पैलेस और मोती महल (Bundi Garh Palace and Moti Mahal) में घुसकर पूर्व राज परिवार की संपत्ति को जनता के हवाले करने की मांग को लेकर ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाडा के नेतृत्व में करीब एक दर्जन लोगों ने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाडा (Brigadier Bhupesh Singh Hada) का कहना है कि यह संपत्ति बूंदी राज परिवार की है, इसपर भंवर जितेंद्र सिंह (Bhanwar Jitendra Singh) का कोई अधिकार नहीं है। इस घटना क्रम की सूचना पर कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची।
मौके पर पहुंची पुलिस को राजेन्द्र भारद्वाज सुपरवाईजर गढ़ पैलेस बूंदी, व सिलविन क्वाड्रस प्रबंधक कुलदेवी आशापुरा माताजी ट्रस्ट बूंदी ने बताया कि ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाडा ने अपने साथियों के साथ मिलकर गढ़ पैलेस में लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए व गढ़ पैलेस और मोती महल पर जबरन कब्जा कर रहे है और उन्हें देख लेने की धमकी दे रहे है। मौके पर पुलिस ने काफी देर तक ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाडा व उनके साथियों के साथ समझाइश की। पुलिस उप निरीक्षक अवधेश ने गढ़ पैलेस और मोती महल में अनाधिकृत रूप से नहीं बैठने व बाहर आकर बातचीत करने के लिए कहा। लेकिन वे नहीं मानें। इस पर उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई।
जिसपर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमा शर्मा मौके पर पहुंची, प्रदर्शन कर रहे लोगो से समझाईश की। करीब चार घंटे में प्रदर्शनकारी नहीं माने तो पुलिस ने ब्रिगेडियर भूपेश हाडा सहित करीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में ले लिया। थाने लाकर पुलिस ने इनके खिलाफ शांति भंग की धारा 107, 151 में कार्यवाही प्रारंभ कर दी। पुलिस ने ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाडा पुत्र विजयराज सिंह हाडा़ निवासी मालकपुरा हाउस पुलिस लाईन रोड़ बूंदी, त्रिभुवन सिंह हाड़ा पुत्र दिनेश सिंह हाड़ा निवासी सिविल लाईन ईश्वरी निवास बूंदी, कौशल कश्यप पुत्र प्रदीप कुमार शर्मा मकान नं 12 कैलाश नगर पंजाबाड़ी कामरूप आसाम, अनुराग सिंह पुत्र लोकेन्द्र सिंह निवासी ड़गारिया थाना देई खेड़ा जिला बूंदी को गिरफ्तार किया है। जिन्हें शाम को उपखंड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जहां से उन्हें रिहा किया गया।

आपको बतादें, कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह को राजस्थान हाई कोर्ट से करीब एक सप्ताह पुर्व झटका लगा है। कोर्ट ने बूंदी राजघराने की संपत्तियों के धोखाधड़ी से जुड़े मामले में ट्रायल कोर्ट और रिवीज़न कोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार करते हुए भंवर जितेन्द्र सिंह की याचिका को खारिज़ कर दी है।
जस्टिस अनिल उपमन ने बूंदी की एडीजे कोर्ट के 25 मई 2023 व सीजेएम बूंदी के 18 नवंबर 2021 के आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि निगरानी न्यायालय व ट्रायल कोर्ट ने विस्तृत व कारण सहित आदेश दिया और इसमें उन्हें सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दी गई शक्तियों के तहत किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। याचिका में भंवर जितेन्द्र सिंह ने सीजेएम के प्रसंज्ञान आदेश व एडीजे कोर्ट के गैर जमानती वारंट को जमानती वारंट में बदलने वाले आदेश को चुनौती दी थी।
भंवर जितेन्द्र सिंह पर मामा की वसीयत के साथ छेड़छाड़ का आरोप
छरअसल, इस मामले में अविनाश चानना ने भंवर जितेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ 2017 में एफआईआर दर्ज कराई थी और उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने मामा रणजीत सिंह की वसीयत से छेड़छाड़ करके उसे अपने पक्ष में किया है। सीजेएम कोर्ट ने उनके खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था।
इसे भंवर जितेन्द्र सिंह द्वारा निगरानी कोर्ट में चुनौती देने पर अदालत ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदल दिया था। लेकिन प्रसंज्ञान लेने को सही माना। निगरानी व ट्रायल कोर्ट के दोनों आदेशों को भंवर जितेन्द्र सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि यह मामला सिविल नेचर का है और संपत्ति विवाद के दावे पेंडिंग चल रहे हैं। इसलिए निगरानी व ट्रायल कोर्ट के आदेश रद्द किए जाए।
फर्जी डीड बनाकर धोखाधड़ी का आऱोप
दरअसल, बूंदी रियासत के पूर्व नरेश रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके भांजे पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने एक ट्रस्ट डीड उजागर की। जिसमें रणजीत सिंह ने अपनी संपत्ति की ट्रस्ट डीड बनाकर उसे आशापुरा माता मंदिर को समर्पित कर दिया। इस वसीयत के अनुसार आशापुरा माताजी मंदिर का इंचार्ज भंवर जितेन्द्र सिंह को बनाया गया था। इस आधार पर रणजीत सिंह की सारी संपत्ति आशापुरा ट्रस्ट को हस्तांतरित कर दी गई।
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लेकिन इस मामले में रणजीत सिंह के दोस्त अविनाश चानना ने ट्रस्ट डीड को फर्जी बताते हुए साल 2017 में कोतवाली पुलिस थाने में भंवर जितेन्द्र सिंह और ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाड़ा, बृजेन्द्र सिंह के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करवाया था। बूंदी पुलिस ने इस मामले में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगाकर मामला कोर्ट में पेश कर दिया था। कोर्ट में अविनाश चानना ने पुलिस की ओर से लगाई गई अंतिम रिपोर्ट को चुनौती दी। जिस पर कोर्ट ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद प्रसंज्ञान लेते हुए भंवर जितेन्द्र सिंह, श्रीनाथ सिंह हाड़ा और बृजेन्द्र सिंह को धारा 420, 467, 468, 471 में गिरफ्तारी वारंट से तलब किया था। बाद में भंवर जितेन्द्र सिंह की अपील पर रिवीज़न कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदल दिया था। लेकिन प्रसंज्ञान आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।