उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरोजनी नगर के रसूलपुर गांव में आयोजित किए गए किसान कारवां कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों ने उन्नत खेती करने के तरीको के बारे में जानकारी दी। साथ ही किसानों को अनाज की खेती से हटकर फूल और सब्जियों की खेती (Cultivation of flowers and vegetables) करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि वो ज्यादा कमाई कर सकें।
फूलों की खेती कर लाखों कमा रहे किसान
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अखिलेश दुबे ने बताया कि किसान को अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए फसल अवशेष का इस्तेमाल करना होगा, फसलों के बचे हुए अवशेष को वर्मी कंपोस्ट के साथ मिलाकर खाद के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, इससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ जाएगी और मिट्टी स्वस्थ हो जाएगी क्योंकि उसमें जीवाणुओं की संख्या ज्यादा होगी, जिसके चलते पैदावार भी अच्छी होगी, इतना ही नहीं बाजारों से रासायनिक पदार्थ और कीटनाशक भी नहीं खरीदना पड़ेगा।
वरिष्ट वैज्ञानिक ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि हरी खाद के रूप में ढैंचा लगाएं और सनई का इस्तेमाल करें और खेत को कभी भी खाली ना छोड़ें, उसमें जुताई कर दें ताकि पैदावार में कमी ना आए। उन्होंने बताया कि खेत खाली छोड़ने पर मिट्टी की उपज क्षमता कम हो जाती है।
किसानों को अगर अपनी आय बढ़ानी है तो खेती के अलावा उन्हें पशुपालन और फूलों व सब्जियों की बागवानी करनी चाहिए (If farmers want to increase their income then apart from farming they should do animal husbandry and gardening of flowers and vegetables)। किसान गेंदे और गुलाब की खेती (Farmers cultivating marigold and roses) कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक ने उदाहरण देते हुए जिक्र किया कि लखनऊ में ऐसे कई किसान हैं जो पिछले 15 सालों से गुलाब की खेती कर रहे हैं और प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रुपए कमा लेते हैं। गेंदे के फूल की खेती में गुलाब के मुकाबले लागत कम लगती है।
गुलाब की खेती (Rose cultivation) करने वाले किसान अपने गांव में छोटे-छोटे गुलाब का अर्क निकालने का प्लांट (Rose extract plant) भी लगा सकते हैं, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार मेंथॉल की खेती के लिए किसान प्लांट लगाते हैं और इसके बाद किसान अर्क को बेंच सकते हैं और एक्सपोर्ट भी कर सकते हैं। गुलाब की खेती से निकले अर्क का गुलाब जल औऱ इत्र बनाया (Made rose water and perfume from extracts obtained from rose cultivation) Made rose water and perfume from extracts obtained from rose cultivation) जा सकता है, इससे किसानों को काफी लाभ होगा।
वैज्ञानिक दुबे ने बताया कि खेतों में अक्सर ठंड के कारण पाला पड़ जाता है। ऐसे में फसलों को पाले से बचाने के लिए किसान तुरंत सिंचाई करेंगे तो तापमान मेंटेन रहेगा, इसके अलावा फफूंदी नाशक कार्बन दाइजीन और मेटालिक्जिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करते हैं तो पाले का असर नहीं होगा।
गर्मी का मौसम आ रहा है, ऐसे में किसान सब्जियों की खेती करेंगे, खेत में खरपतवार ना लगे इसके लिए किसान मेढ़ के बीच में जो खाली जगह होती है वहां फसल के अवशेष डाल दें तो खरपतवार नही उपजेगा। दूसरी तकनीक यह है कि पन्नी लगाकर उसमें छेद कर दें तो खरपतवार बिल्कुल ही नहीं उगेगी।
वहीं, अगर नीम का तेल इस्तेमाल करके छिड़काव कर दिया जाए तो कीड़ा रोग नहीं लगेगा। इसकी लकड़ी की राख को सब्जी की फसलों के ऊपर डाल दिया जाए तो कीड़े पत्ते नहीं खाएंगे। वहीं क्यूनाल फास दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर हर 10 से 12 दिन में छिड़काव करेंगे तो रोग नहीं लगेगा।
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आगे बताया कि जलवायु का परिवर्तन कभी भी हो जाता है, जिससे फसल पर बहुत बुरा असर पड़ता है, ऐसे में किसानों को सतर्क रहना चाहिए और उन्हें इंडियन मेटियोरोलिजकल ऐप डाउनलोड करके समय-समय पर मौसम की जानकारी लेते रहना चाहिए, जिससे वह अपनी फसल की देखरेख सही तरीके से कर सकेंगे।
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किसानों को रासायनिक खाद की जगह गोबर की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा किसानों को फसल बीमा जरूर करवाना चाहिए। वहीं सहजन की खेती करने पर सरकार मनरेगा से पैसे भी देगी, इसकी जानकारी किसान तक के मंच से दी गई।