अमेरिका और चीन (America and china)के बीच अंतरिक्ष की रेस ज्यादा रोमांचिक होने वाली है। चीन, चांद पर एक लूनर बेस बनाने की तैयारी मे है। इस स्टेशन के साथ ही चीन, अमेरिका से आगे निकल जाएगा। जानकारी के अनुसार चंद्रमा पर मनुष्य को भेजने के साथ ही बेस बनाने की रेस मे चीन, अमेरिका से आगे निकल जाएगा। अमेरिकी अधिकारी इस बात को लेकर खासे परेशान है अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने मे चीन को अमेरिका की तुलना मे काफी फायदा हो सकता है। अमेरिकी खुफिया अधिकारियो ने अंतरिक्ष कार्यक्रम मे चीन के अंतरिक्ष स्टेशन के तेजी से निर्माण पर हैरानी जताई है।
अमेरिकी अधिकारी अब दावा कर रहे कि चीन चंद्रमा पर मील का पत्थर हासिल करने के रास्ते पर है। चीन की इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर मनुष्यो को उतारने और इसके दक्षिणी ध्रुव पर एक स्थायी आधार स्थापित करने की योजना है। यह रहस्योद्घाटन तब हुआ जब नासा की इन दिशाओ मे हो रही कोशिशो मे देरी हो रही है। जून 2023 को नासा ने आर्टेमिस 3 मिशन के लिए स्पेसएक्स के स्टारशिप मून लैंडर की तैयारी के बारे मे चिंता जताई है। यह साल 2025 के अंत तक अमेरिकियों को चंद्रमा पर वापस लेकर जाने वाला पहला मिशन होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने संकेत दिया कि मिशन की समयसीमा को दिसंबर 2025 से आगे बढ़ाकर 2026 तक किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप साल 2030 तक चंद्रमा पर एक स्थायी बेस स्थापित करने मे अमेरिका की योजना मे देरी हो सकती है।
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन (NASA Administrator Bill Nelson)ने पिछले दिनो कहा था यह बहुत पुरानी बात नही कि चीन ने कहा था उसका साल 2035 तक चांद पर उतरने का इरादा रखता है। अब वह तारीख करीब आ रही है। इसे बहुत गंभीरता से ले रहे कि चीन चांद पर पहुंचने की होड़ मे है। एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने बात पर जोर दिया कि चीन अमेरिका का मुकाबला करने के लिए अंतरिक्ष को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप मे देखता है। अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि चीन का लक्ष्य साल 2020 तक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनने का लक्ष्य ही नहीं रखता है बल्कि 20वीं सदी में अमेरिका की तरह 21वीं सदी में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है।