एक वक्त था जब सांस फूलने की समस्या बुजुर्गों को हुआ करती थी। लेकिन अब कम उम्र के युवाओं में भी देखने को मिल जाता है। कई बार तो छोटे बच्चे भी इसके चपेट में आ जाते है। जीवन और शरीर की बुनियादी जरूरतों में से सांस लेना एक प्रमुख प्रक्रिया है। बिना इसके हम जीवन की संभावनाओं की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसी वजह से, श्वास प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले फेफड़ों की समस्या, सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना एक बड़ी और गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो कि जानलेवा साबित हो सकती है। विशेषज्ञो कि माने तो कि आज के दौर में युवा पीढ़ी को सांस फूलने की समस्या से जूझना आम सा हो गया है।
जिनको कोई बीमारी नहीं है उनमें सांस फूलने का मुख्यता दो कारण है। युवाओं में बढ़ता धूम्रपान और बढ़ता प्रदूषण। आज के समय में जो सिगरेट पीता है उसको दिक्कत तो होती है, साथ ही जो अब नवजवानों में हुक्का का क्रेज बढ़ा है वह भी नुकसान कर रहा है।
सांस फूलने का एक कारण ये भी है बाजार का तला हुआ और फास्ट फूड का अधिक सेवन करना। फ्रेंच फ्राइज, आलू चिप्स, बर्गर, समोसा आदि में मौजूद ट्रांस फैटी एसिड बुरे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। साथ ही गुड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।जिससे सांस फूलना,हॉर्ट अटैक से लेकर मधुमेह समेत अन्य गंभीर बीमारियों का भी खतरा बढ़ता है। अगर आपको कोई गंभीर बीमारी नहीं है और फिर भी सांस फूलने की समस्या हो रही है तो आपको अपनी जीवनशैली में सुधार करने की आवश्यकता है। सांस फूलने की समस्या में राहत पाने या उसे दूर करने के लिए आपको एक्सरसाइज या योगा करना चाहिए।