कोटा, (कलीमुद्दीन अंसारी)। राजस्थान में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections in Rajasthan) को लेकर कांग्रेस (Congress) और भाजपा अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं। एक तरफ भाजपा राम मंदिर के नाम पर गांव- गांव जाकर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) की तैयारी कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस (Congress) ने भी महंगाई, बेरोजगारी आदी मुद्दो को लेकर लोकसभा प्रत्याशी (Lok Sabha Election Candidate) चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कांग्रेस (Congress) की ओर से पर्यवेक्षक और प्रभारी लोकसभा क्षेत्र में भेजे जा रहे हैं।
पर्यवेक्षक और प्रभारी करेगें चर्चा-
कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से पर्यवेक्षक और प्रभारी पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Former minister Pratap Singh Khachariyawas), विधायक जुबेर खान, प्रभारी महासचिव विधायक मुरारी लाल मीणा, प्रभारी सचिव श्रीमति अनीता मीणा सोमवार को बूंदी और कोटा पहुंचकर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी से राय शुमारी करेंगे। जिसमें कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलकर पदाधिकारियो की बात हाईकमान तक पहुंचायी जाएगी।
लोकसभा चुनाव में 16 मेंसे 6 बार ही जीती कांग्रेस-
कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र वैसे तो भाजपा का गढ़ माना जाता है, यहां अब तक 16 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 6 चुनाव जीत पायी। जबकि भाजपा को छह बार, तीन बार जनसंघ और एक बार जनता पार्टी को जीत मिली है।

ये 8 विधानसभाएं शामिल-
कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र (Kota-Bundi Lok Sabha) में आठ विधानसभा आती है, जिनमें बूंदी, केशोराय पाटन, पीपल्दा, सांगोद, कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण, लाडपुरा और रामगंजमंडी शामिल है। इनमें चार विधानसभा कांग्रेस के कब्जे में हैं तो चार भाजपा के पास है। यानि मुकाबला कड़ा और बराबरी का है।
विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस की स्थिति-
लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को 45.7% यानी कुल 717916 वोट मिले, जबकि भाजपा को 47.2% यानी 740016 वोट प्राप्त हुए। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के बीच आठों विधानसभाओ का वोट अंतर मात्र 22100 वोटो का ही रहा है।
लोकसभा चुनाव 2019 का गणित-
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो यहां 69.8% मतदान हुआ था, जिसमें कांग्रेस को 38.4% जबकि भाजपा को 59.1% वोट मिला था, यानी कि पिछली बार कांग्रेस भारी अंतर से पराजित हुई थी।
क्या है जातीय आधार-
कोटा बूंदी लोकसभा सीट (Kota-Bundi Lok Sabha Seat) पर जातीय आधार देखा जाए तो यहां 21% अनुसूचित जाति, 13% अनुसूचित जनजाति और 14% मुस्लिम मतदाता है। गुर्जर और मीना मतदाता निर्णायक रहते आए हैं।
कांग्रेस किसी नए चेहरे पर खेल सकती दावं-
इस बार भाजपा की ओर से लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (OM Birla) फिर से उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं, उनके पास कार्यकर्ताओं की लंबी फौज और बेहतर मैनेजमेंट उनकी जीत का लक्ष्य तय करता रहा है। वही इस बार कांग्रेस किसी नए चेहरे को उम्मीदवार बना सकती है, जिसमें पीपल्दा विधायक चेतन पटेल, कोटा उत्तर विधायक शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal), पूर्व मंत्री भरत सिंह, हिंडोली विधायक अशोक चांदना (Hindoli MLA Ashok Chandna) के अलावा भाजपा से कांग्रेस में लोटी महिला आयोग की पुर्व अध्यक्षा ममता शर्मा का नाम चर्चाओं में।
अशोक चांदना सबसे मजबूत-
लेकिन इन सभी नाम में अगर पर गौर किया जाए तो कांग्रेस के सबसे मजबूत उम्मीदवार अशोक चांदना (Ashok Chandna) हो सकते हैं। पुर्व खेल मंत्री विधायक अशोक चांदना (Ashok Chandna) ही राजनिति के इस मैदान में जीत का दावं खेल सकते है। क्योंकि उनके पास कार्यकर्ताओं की लम्बी फौज, चुनावी मैनेजमेंट और आर्थिक रूप से मजबूती उनको जीत की ओर ले जा सकती है। जैसा की क्षेत्र में गुर्जर और मीना मतदाता क्षेत्र में निर्णायक भूमि का निभाते हैं, वही मुस्लिम एससी और एसटी मतदाताओं का क्षेत्र में हार जीत में बड़ा योगदान रहता आया है।